गया दर्शन बौद्ध गया तीर्थ – बौद्ध गया दर्शनीय स्थल Naeem Ahmad, June 4, 2018March 12, 2024 बिहार की राजधानी पटना से 178 किलोमीटर दूर फल्गु नदी के किनारे बसा यह शहर मगध साम्राज्य का अभिन्न अंग रहा है। गया दर्शन ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से गया का विशेष महत्व रहा है। गया की खूबसूरती का राज इसके चारो ओर फैली पर्वत श्रृंखला है। जो गया को गया पर्यटन, के रूप में पेश करती है। और गया के मंदिर व गया की ऐतिहासिक इमारते गया तीर्थ के रूप में पेश करती है। यदि आप गया यात्रा, गया भ्रमण, गया की सैर की योजना बना रहे है तो हमारी यह पोस्ट आपके लिए सुविधाजनक हो सकती है। अपने इस लेख में हम आपको गया दर्शन, गया के पर्यटन स्थल, गया दर्शनीय स्थल, गया के मंदिर, गया तीर्थ स्थल, गया के आकर्षक स्थलो की जानकारी हिंदी में उपलब्ध करा रहे है। गया और बौद्ध गया दो अलग अलग नगर है। गया और बौद्ध गया के बीच की दूरी लगभग 11 किलोमीटर है। सबसे पहले हम गया के दर्शनीय स्थलो के बारे में जानेगें और गया दर्शन करेगें।गया दर्शन – गया दर्शनीय स्थल अहिल्याबाई का मंदिरइस मंदिर का निर्माण सन 1781 में महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था। यह मंदिर “प्रेतशिला” पर्वत पर बना है। कहते है कि इसी मंदिर की वजह से प्रेतशिला पर्वत संपूर्ण देश में प्रसिद्ध है। पर्यटक सबसे पहले इसी स्थान पर आना पसंद करते है। यह मंदिर गया दर्शन में प्रमुख मंदिर माना जाता है।गया और बोधिगया के दर्शनीय स्थलो के सुंदर दृश्यअशोक स्तूपअशोक स्तूप गया से लगभग एक किलोमीटर दक्षिण की ओर ब्रह्मयोनि पहाड पर स्थित है। बौद्ध साहित्य के अनुसार सम्राट अशोक ने महात्मा बुद्ध की स्मृति में अशोक स्तूप का निमार्ण करवाया था। इसकी कलाकृति दर्शनीय है।विष्णु पद मंदिरफल्गु नदी के तट पर अनेक मंदिर है, जिनमें विष्णु पद मंदिर का अपना विशेष महत्व है। यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के कारण देश भर में प्रसिद्ध है, तथा गया दर्शन का मुख्य स्थल है।सूर्य कुंडयह मगध का प्राचीन सरोवर है। सूर्य पूजा से जुडे इस तालाब का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है।सीता कुंडयह मंदिर विष्णु पद मंदिर के ठीक सामने फल्गु नदी के दूसरी ओर बना है। इस मंदिर में काले पत्थर का एक हाथ रखा है। किवंदंती है कि यह हाथ अयोध्या के राजा दशरथ का है।कमला देवी का मंदिरयह मंदिर रामशिला दुखहरनी देवी से एक मील दूर है। यहा पिंडदान किया जाता है। इस पहाड पर चढने के लिए 357 सीढियां है।प्रेतशिला पहाडप्रेतशिला पहाड राशिला से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार यहा पिंडदान देने से मृतक का प्रेत योनि से उद्धार हो जाता है। इस पहाड पर चढने के लिए 400 सीढिया है।मंगल गौरी का मंदिरयहा पहुंचने के लिए 125 सीढियां चढनी पडती है। इस मंदिर की अपनी धार्मिक मान्यता है।जनार्दन मंदिरमंगला गौरी मंदिर के पास बनबना यह मंदिर अपने शिल्प के लिए गया दर्शन में महत्वपूर्ण है।ब्रह्मयोनि पहाडयह पहाड विष्णु पद से डेढ किलोमीटर दूर है। इस पर चढने के लिए 424 सीढिया है। इस पहाड के ऊपर 2 संकीर्ण गुफाएं है। जिनके बारे में कहा जाता है कि इन गुफाओ के अंदर से पार निकलने पर आवागमन से मुक्ती मिल जाती है। वैसे आजकल यह गुफाएं बंद है। दोस्तो अब तक हमने गया दर्शन में गया के दर्शनीय व गया तीर्थ स्थलो के बारे में जाना। आगे हम बौद्ध गया दर्शन करेगें और बौद्ध गया के पर्यटन स्थलो के बारे में विस्तार से जानेगेंबोधगया गया से 11 किलोमीटर दूर निरंजना नदी के तट पर बसा है। पुराने समय में इस स्थान को “उरूबेला, उरेला या उरूविल्ला” कहा जाता था। अहिंसा , करूणा, शांति और प्रेम का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध की इस कर्मस्थली में विदेशी पर्यटक विशेष रूप से आते है। बोधगया दर्शन – बोधगया के दर्शनीय स्थल महाबोधि मंदिरमाना जाता है कि महाबोधि मंदिर का निर्माण 5वी शताब्दी के पूर्व हुआ था। उत्तर भारत के अन्य मंदिरो की अपेक्षा यह मंदिर अद्वितीय और बेमिशाल है। लगभग 170 फुट ऊंचा यह मंदिर आर्य और द्रविड शैली का मिला जुला रूप है। बौद्ध गया दर्शन में यह मंदिर प्रमुख स्थान रखता है।बोधि वृक्षबोधि वृक्ष महाबोधि मंदिर के परिसर में स्थित है। इतिहास में कोई वृक्ष इतना प्रसिद्ध नही हुआ जितना कि बोधि वृक्ष हुआ है। बोधगया आने वाले पर्यटको के लिए बोधि वृक्ष हमेशा से ही उत्सुकता का विषय रहा है। कहते है कि इस वृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।वज्रासनयह एक चबुतरा है। जो बोधि वृक्ष के किनारे ही है। इस चबुतरे पर चरणो के निशान है। जिनके बारे में कहा जाता है कि ये महात्मा बुद्ध के चरणो के निशान है।चक्रमण स्थलच्क्रमण स्थल महाबोधि मंदिर से उत्तर दिशा में जाने पर दिखाई देता है। यहा महात्मा बुद्ध ने तीसरा सप्ताह बिताया था। बोद्ध गया दर्शन में यह स्थान भी महत्वपूर्ण है।मुचलिंद सरोवरयह सरोवर मुख्य मंदिर के दक्षिणी छोर पर स्थित है। यहा बुद्ध ने छठा सप्ताह बिताया था। यहा के नयनाभिराम दृश्य पर्यटको का मन मोह लेते है।हमारे यह लेख भी जरूर पढे:–पटना के दर्शनीय स्थलराजगीर की यात्राबिहार का इतिहासजबलपुर पर्यटनरांची के दर्शनीय स्थल बुद्ध प्रतिमा80 फुट ऊंची और 51 फुट चौडी महात्मा बुद्ध की यह प्रतिमा हाल में बनी है। इस प्रतिमा की सबसे बडी खासियत यह है कि इसके पेट में एक गैलरी बनी हुई है। जिसमे छोटी छोटी मूर्तियो को सजाकर रखा गया है। यह प्रतिमा बौद्ध गया दर्शन में सबसे अधिक देखी जानी वाली प्रतिमा है।संत दरिया साहब बिहार वाले का जीवन परिचयधर्म चक्र200 क्विंटल लोहे से बना धर्म चक्र पर्यटको में चर्चा का विषय रहा है। कहा जाता है कि इस चक्र को घुमाने पर पापो से मुक्ती मिल जाती है।कूच बिहार का इतिहास – कूच बिहार के दर्शनीय स्थलअजपाल का वट वृक्षयह स्थान महाबोधि मंदिर के ठीक सामने है। यहा महात्मा बुद्ध ने ध्यानस्थ होकर 5 वां सप्ताह बिताया था। अशोक स्तंभयह स्तंभ महाबोधि मंदिर के दक्षिण दिशा में है। वर्तमान में इस स्तंभ की ऊंचाई मात्र 15 फुट है। कहि जाता है कि सम्राट अशोक के समय यह स्तंभ कभी 100 फुट से भी अधिक ऊंचा हुआ करता था। मनौती दीप केंद्रजैसा कि नाम से स्ष्पट है कि यहा दीप जलाने से व्यक्ति की मुरादे पूरी होती है। संग्रहालययह संग्रहालय सन् 1956 में निर्मित हुआ था। यहा 9वी से 10 वी शताब्दी के बीच खुदाई से संबंधित वस्तुओ को रखा गया है। इतिहास में रूची रखने वालो के लिए यह संग्रहालय गया दर्शन में एक शोध स्थान है।मखदूम कुंड दरगाह का इतिहास राजगीर बिहारगया दर्शन, बोधगया दर्शन, गया दर्शनीय स्थल, बोधगया दर्शनीय स्थल, गया भारत आकर्षक स्थल, गया पर्यटन स्थल, गया तीर्थ यात्रा, बौद्ध तीर्थ आदि शीर्षको पर आधारित हमारा यह लेख आपको कैसा लगा हमे कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तो के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है।हमारे यह लेख भी जरुर पढ़े:–[post_grid id=”6702″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new 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