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ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह व मजार

ख्वाजा गरीब नवाज का इतिहास – हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती हिस्ट्री इन हिन्दी

हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी जिन्हे ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती इस्लाम धर्म के एक ऐसे महान सूफी संत रहे है। जिन्होने इस्लाम के सुखते दरख्त को फिर से हरा भरा किया। जो गरीबो के मसीहा थे। खुद भूखे रहकर दुसरो को खाना खिलाते थे। जो दीन दुखियो के दुखो को दूर करते थे। जो पाप को पुण्य में बदल देते थे। वो अल्लाह के सच्चे बंदे थे। अल्लाह ने उन्हे उन्हे रूहानी व गअबी ताकते बख्शी थी। जिनके मानने वालो की एक विशाल संख्या जिनको इस्लाम धर्म के लोग ही नही हिन्दू सिख आदि अन्य सभी धर्मो के लोग मानते है। जिनके मानने वालो में राजा से लेकर रंक नेता से लेकर अभिनेता तक है जो ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत के लिए हमेशा लयलित रहते है। जिनकी दरगाह आज भी हिन्दुस्तान की सरजमी को रोशन कर रही है। आज के अपने इस लेख में हम इसी महान सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की जीवनी के बारे में विस्तार से जानेगें। और उनके जीवन से जुडे हर पहलू की बारीकी के साथ समझने की कोशीश करेंगें।

ख्वाजा गरीब नवाज के माता पिता कौन थे

हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती के माता पिता कौन थे

हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती के वालिद(पिता)का नाम हजरत ख्वाजा ग्यासुद्दीन था। और वालिदा(माता)का नाम बीबी उम्मुल वरअ था। कहा जाता है कि ख्वाजा के माता पिता का खानदानी नसबनामा हजरत अली के से जाकर मिलता है। जिससे यह साबित होता है कि ख्वाजा गरीब नवाज हजरत अली की नस्ल में से थे। हांलाकि कुछ विद्वान लोगो का मत है कि ख्वाजा की माता (वालिदा) का नाम माहनूर खासुल मलिका था। जो दाऊद बिन अब्दुल्लाह अल-हम्बली की बेटी (पुत्री) थी। इस्लामी विद्वानो में ख्वाजा की वालिदा को लेकर अलग अलग मत से यह साफ जाहिर होता है। कि ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की वालिदा असल में कौन थी? यह स्पष्ट नही है।

ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह व मजार
ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह व मजार

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मोईनुद्दीन चिश्ती का जन्म स्थान – ख्वाजा गरीब नवाज का जन्म स्थान

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती गरीब नवाज का जन्म कहा हुआ? यह प्रश्न भी अनेक मतभेदो से भरा हुआ है। कुछ इतिहासकार और विद्वानो का मत है कि ख्वाजा का जन्म संजर में हुआ था कुछ मानते है कि सिस्तान में हुआ था। कुछ मानते है की संजार जो मोसुल के पास है। कुछ विद्वान मानते है की ख्वाजा का जन्म संजार जो इस्फिहान के पास है वहा हुआ था। लेकिन इन सभी मतो में ज्यादातर बल इस मत को मिलता है कि ख्वाजा का जन्म या पैदाइश की जगह इस्फ़िहान है। बाद में ख्वाजा की परवरिश संजार में हुई जिसे संजर के नाम से भी जाना जाता था। उस समय इस्फ़िहान के एक मौहल्ले का नाम संजर था। उस मौहल्ले में ख्वाजा के माता पिता रहते थे। ख्वाजा गरीब नवाज का जन्म कब हुआ? – हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती का जन्म कब हुआ? जिस प्रकार ख्वाजा की माता और जन्म स्थान के बारे में विद्वानो और इतिहासकारो में अनेक मतभेद है। उसी प्रकार ख्वाजा के जन्म के समय को लेकर भी विद्वानो और इतिहासकारो में अनेक मतभेद है। कुछ विद्वान ख्लाजा के जन्म का समय 1137 (532 हिजरी) कुछ 1142 (537 हिजरी) कुछ 1140 (535 हिजरी) कुछ 1141 (536 हिजरी) कुछ 1130 (525 हिजरी) बताते है। लेकिन इन मतभेदो में सबसे ज्यादा बल 1135 (530 हिजरी) को मिलता है। ज्यादातर लोगो का मानना है कि ख्वाजा का जन्म 1135 में हुआ था।

ख्वाजा गरीब नवाज मोईनुद्दीन चिश्ती का बचपन

ख्वाजा की पैदाइश के बाद मां बाप ने बच्चे का नाम मोईनुद्दीन हसन रखा प्यार से मां बाप ख्वाजा को हसन कहकर ही पुकार ते थे। ख्वाजा बचपन में और बच्चो की तरह नही थे। बचपन में ही ख्वाजा की बातो को देखकर ऐसा लगता था कि यह बच्चा कोई आम बच्चा नही है। बचपन से ही खवाजा दूसरो के लिए फिक्रमंद रहते थे। ख्वाजा के दूध पिने की उम्र में ही जब कोई औरत अपने दूध पीते बच्चे के साथ ख्वाजा के घर आती और उस औरत का बच्चा दूध पीने के लिए रोता तो ख्वाजा अपनी मां को इशारा करते। जिसका मतलब होता कि वे अपना दूध इस बच्चे को पिला दे। ख्वाजा की मां अपने बच्चे के इशारे को समझ जाती और अपना दूध उस बच्चे को पिला देती। जब वह बच्चा ख्वाजा की मां का दूध पीता तो ख्वाजा बहुत खुश होते थे। ख्वाजा कै इतनी खुशी होती की ख्वाजा हंसने लगते थे। जब ख्वाजा की उम्र तीन चार साल की हुई तो ख्वाजा अपनी उम्र के गरीब बच्चो को अपने घर बुलाते और उनको खाना खिलाते थे। एक बार की बात है ख्वाजा ईद के मौके पर अच्छा लिबास पहने ईदगाह में नमाज पढने जा रहे थे। उस वक्त लगभग ख्वाजा की उम्र पांच सात साल रही होगी। रास्ते में अचानक ख्वाजा की नजर एक लडके पर पडी। वह लडका आंखो से अंधा था तथा फटे पुराने कपडे पहने हुए था। ख्वाजा ने जब उस लडके को देखा तो बहुत दुख हुआ। ख्वाजा ने अपने कपडे उसी समय उतारकर उस लडके को पहना दिए और उसे अपने साथ ईदगाह में ले गए। ख्वाजा का बचपन बहुत ही संजीदगी से गुजरा था। ख्वाजा और बच्चो की तरह खेल कूद नही करते थे। ख्वाजा की तालीम ख्वाजा के वालिद एक बडे आलिम थे। ख्वाजा की शुरूआती तालिम घर ही हुई। लगभग नौ साल की उम्र में ही ख्वाजा ने कुरआन हिफ्ज कर लिया था। इसके बाद संजर के एक मदरसे में आगे की तालीम के लिए ख्वाजा का दाखिला हुआ। वहा ख्वाजा ने आगे की तालीम हासिल की। थोडे ही समय में ख्वाजा ने तालीम के मामले में एक अच्छा मुकाम हासिल कर लिया था। ख्वाजा की जवानी की जिन्दगी अभी ख्वाजा की उम्र लगभग पन्द्रह साल की ही हुई थी अभी ख्वाजा ने जवानी की दहलीज पर कदम ही रखा था कि ख्वाजा के वालिद (पिता) का स्वर्गवास हो गया। ख्वाजा के वालिद की मृत्य 1149 के लगभग हई थी। बाप की मृत्यु के बाद ख्वाजा गरीब नवाज के हिस्से में बाप की जायदाद में से एक बाग और एक पनचक्की आयी थी। बाग और पनचक्की की आमदनी से ही ख्वाजा अपनी गुजर बसरर करते थे। ख्वाजा को शुरू से ही फकीरो सूफियो और दरवेशो से बहुत लगाव था। वह अधिकतर इसी तब्के के लोगो में समय गुजारते थे। एक समय की बात है खवाजा अपने बाग को पानी दे रहे थे। एक सूफी जिनका नाम इब्राहीम क़दोज था उधर से गुजर रहे थे। अचानक उनकी नजर बाग में पानी देते उस नौजवान पर पडी। नौजवान पर नजर पडते है उन्हे एक ऐसी कशीश हुई की वो नौजवान से मिलने बाग के अंदर चले गए। ख्वाजा ने एक सूफी संत को बाग में आया देख उनकी बहुत आवभगत की। इब्राहिम क़ंदोजी ने ख्वाजा को देखकर पहचान लिया की यह कोई मामूली इंसान नही है। आगे चलकर यह गरीबो का मसीहा बनेगा। लोगो की रूहानी प्यास बुझाएगा। लेकिन आज यह लडका अपनी रूहानी ताकत से बेखबर है। फिर इब्राहिम क़दोजी ने अपनी झोली से एक खल का टुकडा निकाला ओर उस टुकडे को ख्वाजा को खाने के लिए दिया। खल के टुकडे को खाते ही ख्वाजा ने अपने अंदर एक अजब सी तब्दीली महसूस की। उनकी आंखो से परदे उठते चले गए। दुनिया की मौहब्बत से दिल एक दम खाली हो गया। हजरत इब्राहिम क़न्दोजी तो वहा से चले गए। वही से ख्वाजा ने अपनी जिन्दगी का नया रास्ता अपनाया। जो रास्ता दुनिया की मौहब्बत से बिलकुल अलग था। वो रास्ता अल्लाह की याद से भरा था वो रास्ता दीन दुखियो की मदद से भरा था। वो रास्ता एक रूहानी रास्ता था। वो रास्ता अल्लाह और महबूब के बीच की दूरी को कम करता था। इसके बाद फिर क्या था। ख्वाजा ने अपना बाग और चक्की बेचकर उससे प्राप्त सारे धन को गरीबो में बाट दिया और खुद हक की तलाश में उस रूहानी रास्ते पर निकल पडे।

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इस रूहानी रास्ते पर निकलने के बाद ख्वाजा ने फिर पिछे मुडकर नही देखा। ख्वाजा इल्म व तालीम हासिल करते हुए समरकंद, बुखारा, बगदाद, इराक, अरब, शाम, आदि का सफर तय करते हुए 1157 में ख्वाजा हारून पहुचें। जहा ख्वाजा ने उसमान हारूनी से बेअत व खिलाफत पाई।

ख्वाजा गरीब नवाज का अजमेर आना

हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेर में पहली बार 1190 में आये थे। इस समय अजमेर पर राजा पृथ्वीराज चौहान का शासन था। जब हजरत गरीब नवाज अपने साथियो के साथ अजमेर पहुंचे तो ख्वाजा ने अजमेर शहर से बाहर एक जगह पेडो के साए के नीचे अपना ठिकाना बनाया। लेकिन राजा पृथ्वीराज के सैनिको ने ख्वाजा को वहा ठहरने नही दिया उन्होने ख्वाजा से कहा आप यहा नही बैठ सकते है। यह स्थान राजा के ऊंटो के बैठने का है। ख्वाजा गरीब नवाज को यह बात बुरी लगी। ख्वाजा ने कहा- अच्छा ऊंट बैठते है तो बैठे।

ख्वाजा गरीब नवाज जीवनी
ख्वाजा गरीब नवाज जीवनी

यह कहकर ख्वाजा वहा से उठकर अपने साथियो के साथ चले गए। यहा से जाकर ख्वाजा ने अनासागर के किनारे अपना ठिकाना किया। यह जगह आज भी ख्वाजा का चिल्ला के नाम से जानी जाती है। ऊंट रोज की तरह अपने स्थान पर आकर बैठे। लेकिन वह ऊंट ऐसे बैठे की उठाए से भी नही उठे । ऊंटो को ऊठाने का काफी प्रयत्न किया गया परंतु ऊंट वहा से उठकर न दिए। राजा के सभी नौकर परेशान हो गए। नौकरो ने इस सारी घटना की खबर राजा पृथ्वीराज को दी। राजा पृथ्वीराज यह बात सुनकर खुद हैरत में पड गए। उन्होने नौकरो को आदेश दिया कि जाओ उस फकीर से माफी मांगो। नौकर ख्वाजा के पास गए और उनसे माफी मागने लगे। ख्वाजा ने नौकरो को माफ कर दिया और कहा अच्छा जाओ ऊंट खडे हो गए है। नौकर खुशी खुशी ऊटो के पास गए। और उनकी खुशी हैरत में बदल गई जब उन्होने जाकर देखा की ऊंट खडे हुए थे। इसके बाद भी ख्वाजा की वहा अनेक करामाते हुई। और धीरे धीरे अजमेर और आस पास के क्षेत्र में ख्वाजा की प्रसिद्धि चारो ओर फैल गई। ख्वाजा से प्रभावित होकर साधूराम और अजयपाल ने इस्लाम कबूल कर लिया यह दोनो व्यक्ति अपने समाज में अहम स्थान रखते थे। अब तक ख्वाजा अनासागर के किनारे ही ठहरे हुए थे। साधूराम और अजयपाल ने इस्लाम कबूलने के बाद ख्वाजा गरीब नवाज से विनती की– कि आपने यहा शहर शहर के बाहर जंगल में ठिकाना बनाया हुआ है। हम आपसे विनती करते है कि आप आबादी में ठहरे। ताकि आपके कदमो की बरकत से लोग फायदा उठा सके। ख्वाजा ने उन दोनो की की बात मान ली। ख्वाजा ने अपने साथी यादगार मुहम्मद को शहर में ठहरने हेतु उपयुक्त स्थान देखने के लिए भेजा। यादगार मुहम्मद ने स्थान देखकर ख्वाजा ख्वाजा को सूचित किया। फिर ख्वाजा अपने साथियो के साथ उस स्थान पर अपना ठिकाना बनाया। यहा ख्वाजा ने जमाअत खाना, इबादत खाना, मकतब बनवाया। यही वो मुकद्दस जगह है जहां आज भी खवाजा की आलिशान दरगाह है।

ख्वाजा गरीब नवाज की वफात कब हुई?

हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु कब हुई

कहा जाता है कि 21 मई 1230 को पीर के दिन (6 रजब 627 हिजरी) को इशा की नमाज के बाद ख्वाजा अपने हुजरे का दरवाजा बन्द किया। किसी को भी ख्वाजा के हुजरे में दाखिल होने की इजाजत नही थी। हुजरे के बाहर ख्वाजा के सेवक हाजिर थे। रात भर उनके कानो में तिलावते कुरान की आवाजे आती रही। रात के आखीरी हिस्से में वह आवाज बंद हो गई। सुबह फजर की नमाज का वक्त हुआ लेकिन ख्वाजा बाहर नही आए। सेवको को फिक्र हुई उन्हने ख्वाजा को अनेक आवाजे लगायी व दस्तक दी। काफी देर तक कोई प्रतिक्रिया ना मिलने पर हुजरे के दरवाजे को तोडा गया। दरवाजा तोडकर जब सेवक अंदर गए तो उन्होने देखा की ख्वाजा इस दुनिया से रूखसत हो चुके थे। तथा उनके माथे पर कुदरत के यह शब्द लिखे हुए थे– हाजा हबीबुल्लाह मा-त फ़िहुब्बुल्लाह° । ख्वाजा की मृत्यु अजमेर शरीफ के लिए एक दुखद घटना थी सारा शहर ख्वाजा के गम में आसू बहा रहा था। ख्वाजा के जनाने में काफी भीड थी। ख्वाजा की जनाजे की नमाज ख्वाजा के बेटे ख्वाजा फखरूद्दीन ने पढाई। और ख्वाजा को उनके हुजरे में ही दफन किया गया। और वहा ख्वाजा का मजार बनाया गया जिसकी जियारत करने के लिए आज भी ख्वाजा के चाहने वाले दुनिया भर से यहा आते है। ख्वाजा गरीब नवाज की जीवनी पर आधारीत हमारा यह लेख आपको कैसा लगा आप हमे कमेंट करके बता सकते है। इस जानकारी को आप अपने दोस्तो के साथ सोशल मिडिया पर भी शेयर कर सकते है। यदि आप हमारे हर एक नए लेख की सूचना ईमेल के जरिए पाना चाहते है तो आप हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब कर सकते है। प्रिय पाठकों यदि आपके आसपास कोई ऐशी ऐतिहासिक या प्रसिद्ध दरगाह या धार्मिक स्थल है। जिसके बारे में आप पर्यटकों को बताना चाहते है तो आप उस स्थल के बारे मे सटीक व सही जानकारी कम से कम 300 शब्दो में यहां लिख सकते है Submit a post हम आपके द्वारा लिखी गई सही जानकारी को अपने इस प्लेटफार्म पर आपके निम के साथ शामिल करेंगे

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Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

This Post Has 38 Comments

  1. Naved Ali Khan

    Great bahut achi tarike se apne garib nawaz ka jivan parichay diya h

  2. Ajaychand

    Aapne kitne khoobsurat tarike khawaja garib nawaz ke baare me bataya h aapka dhanyawad YA KHAWAJA GARIB NAWAZ

  3. AJAYCHAND

    aapne hame kitne khoobsurat tarike se khawaja garib nawaz ke baare me bataya h aapka dhanyawad YA KHAWAJA GARIB NAWAZ

  4. AJAYCHAND

    Aapne hame kitne khoobsurat tarike se khawaja garib nawaz ke baare me bataya h aapka dhanyawad YA KHAWAJA GARIB NAWAZ

  5. Rameshwar Jirafe Bhawsar

    लेकिन मैंने बहुत बार सोशल मीडिया पर पढ़ा है के हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने हिंदुओं पर बहुत जुल्म किया है बड़ी मात्रा में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराया गया आदि . सच क्या है भाई साहब ?
    मेरी दुविधा को दूर करे मेरा एवं मुझ जैसों का समाधान करे । यही बिनती है ।

  6. islamic Nelofar Azhari

    Bhai greeb nawaz ne har insan ko nawaza hai ykeen nahi dargha jakar dekhlijiye hindu kya hr dharm ke log apko wha milenge or apke sawal ka jawab bhi

  7. Saif Ali Khan

    Mere paayre dost Rameshwar ji aapne bahut bando se garib nawaj ke baare me suna hoga ki khawaja garib nawaj garibo ke data hai aur ye haqeekat bhi bas mai aapse request karta hu ki aap bas ek baar ajmer sharif jaake dekh lijiye aapke sawal ke jawab ke saath saath aapka dil bhi bahut khush hoga aur aapko baar baar jaane ka mann bhi karega

  8. Sanjay

    मुझे ऐसा कभी नही लगा
    मैं अजमेर दरगाह 2 ,3 बार गया हूं
    वहाँ के बंदे लड़ने को तैयार बैठे रहते है
    हो सकता है कि पहले ऐसा ना हो but अब वह पहले वाले मुस्लिम नही है
    ओर अब तो हर जगह बस ….………..?

  9. Atik

    Bhot sahi aapne history bataye h khawaja sahab ki mashaallah

  10. Azhar khan

    Agar asa hota ki hinduo PR jurm Kiya hai unhone to Hindu kabhi bhi baha PR chadar chadane nhi jate. Gareeb nawaj sabhi ke pyare hai.

  11. Rahul kumar

    Moinuddin chishti vahi insan tha jisane mahan samrath prithviraj chohan ki patni maharani sanyogita ke islam kabul na karne par nirvastra kar unhe muslim sainiko ke samane rape karne ke liye fek diya tha.
    Bad me samrath prithviraj chohan ki betiyo ne moinuddin chishti ke tukade kar diye the.

  12. Ayaz Hassan khan

    @ Rahul Kumar , Kahan se late ho history Yar. Kv kitab see pala nh pada h Kya .
    M v pirthiviraj Chauhan k khandan se Hun.. pirthiviraj ek bht bde raja the or khawaja garib Nawaz ek sant fakir.
    Khawaja garib Nawaz k pas sainik Kahan se aa gye. Kisi k pas itni himmat nh thi k pirthiviraj se takraye lkn ye ruhani takat thi Jo bhid gya or unpar bhari pada.
    Wahan k sbse bde dharm gurauon be Islam kubul Kiya tha or khud khawaja ko jgh di thi.
    Pirthiviraj Chauhan ne jb ek surahi Pani lene se khawaja garib nawaj ko mna Kiya to unhone Sara samundar hi surahi men sokh liya or fir jb pirthiviraj ne mafi mangi to use waps samundar ko Pani se bhar Diya or wahi talab aj annasagar h.jisme Kal m ne dubte hue 2 bachhe ko bachaya.

    Dost jb tk Bina Jane dusre k kahne par rhoge , dusre ki ek hazar burai nazar ayegi. Wahan jakar dekho unk mannewale kaun kaun se dharm k log hn.
    Bolliywood men har film release hone se pahle yehan chadar chdate hn ,akhir Kun kunk wo sbka h.
    Agr wo bure hote to itni Shakti thi k ajmer ka naksha hi change kr dete lkn nh Kiya kunki wo dusre k lye bne the.
    Ek bar darshan De dijiye apni koi Murad lekar agr Puri na Hui..tb kahna.

  13. Ram arya

    Jisko ye itna bada darza dete hai bo sirf gumrah karta tha sabko or jadoo Tona kar ke in jaise ko apna gulam banata tha aacha kiya prithavi raj chauhan ki betiyon ne iske tukde tukde kar diye

  14. anushka tiwari

    bahut acha hai …aise lekh aur share kijiye…😊 aapne bahut simple words me ye samjha diye hai.. thanks😚

  15. Banti pulkit

    Bahut pyara lekh lga

  16. M.Abid

    Masha Allah
    Bahut khoobsurat tarike se hazrat ki sawaneh samjhai mukhtasar alfazo me.

    Beta ram Arya khwaja ki ek biwi sahiba prithvi Raj Chauhan ki ek beti thi jinki mazaar AJ Bhi khwaja ke mazaar ke pass hai woh khwaja ki rehamdili or karamato se unke haath pe musalman hui.

  17. HiManshu

    Raja prathvi Raj chauhan ji ko bandi banaye jane matter to likha hi nahi……
    Adhi adhuri jankari pelne aa jate ho…..
    Puri Story to likho jise pad kar history me dadat badhe

  18. Amit

    सही कहा भाई, हिन्दुओं को बेवकूफ बनाया जा रहा है।जिसने शोषण किया उसे ही संत बना दिया।और जो हिन्दू चादर चढ़ाने अजमेर जाते है उनको सत्य का पता नहीं है।आया चिस्ती …अब सब को पता चल रहा है कि क्या सच है और हम और भी सच्ची बाते लाएंगे सबके सामने।

  19. Amit

    Abid Bhai, chisti kon tha, kya tha isse hme koi Lena dena nhi hai…ab koi chisti nhi banega Hindustan me, jo sach hai wo sweekar kro.

  20. Sahil

    Bhai jo garib nawaj ke khilaf he apni mansikta sudhare

  21. Ajay verma

    या ख्वाजा गरीब नवाज

  22. Poonamkaur

    Garib nawaj sabkbo ensaf dilatyh

  23. Poonam

    Garib nawaj sabke sath insaf karty h

  24. राजवीर सेन

    आपने बिल्कुल सही कहा वहां के लोग हमारे साथ लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। हमारे ही देश में हमें काफिरों की नजर से देखते।

  25. Firoj

    Nice information about khawaja garib nawaz

  26. देवराज झाला

    इस लेख मे लिखा है कि ख्वाजा को हिंदू सिख सभी मानते थे। अरे बाबा ख्वाजा का काल 11 वीं सदी का था जो और सिख पंथ की स्थापना 15 वीं शताब्दी मे हुई तो क्या ये मान लें कि ख्वाजा लगभग 350 साल जिंदा रहे थे और सिखों को भी अनुयायी बनाया🤣🤣🤣

  27. Bhai ghalat jankari aapko di he kisi ne unke pass jo log gaye un log ko pyar se musalman banaya gya h

  28. Namira shaikh

    Jaat ke naaa jamat ke chutiya log chutiya hi baat karege

  29. RAKESH ARORA

    HI FRIENDS,

    AJMER WALE BABA BAHOT HI ACCHE HAI, MEIN 2011 MEIN YAHA SABSE PEHLE GAYA THA. MERI SABHI ICCHAYE INHONE POORI KI HAI. 2011 SE 2019 TAK MEIN LAGATAAR GAYA HOON AJMER. AGAR ISS BAAR CORONA NAHI HOTA TOH MEIN ISS BAAR BHI JATA. EVEN MEIN AKELE HI NAHI GAYA MEIN DO BAAR APNE DOSTON KO BHI LEKAR GAYA HOON. APNI FAMILY KE SAATH BHI HOKAR AYA HOON. BAHOT HI ACCHI JAGAH HAI OR BAHOT HI BAIDYA HAI.
    AGAR GALAT HAI TOH YEH HAI KE BAS YAHA PAR JO ANDAR KE LOG HAI WOH THEEK NAHI HAI. PEECCHE PAD JATE HAI HAMARE SAATH CHALO,
    OVERALL BAHOT HI ACCHI OR BADIYA JAGAH HAI.

  30. Abbas Malek

    Nonsense…and nice story…

  31. Sangram singh chauhan

    बहुत सारी जानकारियां गलत है,
    वो जय चंद के गद्दारी की वजह से आया,
    वो यहां हमला 10 या 12 बार करवाएं अजमेर पर जिसमें से 1 बार वो जीता और पृथ्वी राज चव्हाण को मारा और उनकी बीवी संयोगिता और पुत्रियों के साथ बलात्कार करवाता और कर्ता था, जिस से अल्ला खुश हो, इसी बीच सारी पुत्रियों ने मिल कर बंद कमरे बलात्कार करने की कोशिश में सारे पुत्रियों ने मिल कर मार डाला,
    अगले दिन लाश निकाली क्यूँ की उसने सारे सिपाहियों और को बाहर भेज दिया था इसलिए मारा गया,

    संयोगिता के साथ एन लोगों इसके स्तन काट लिए था इस्लाम कबूल ना करने पर,

    इसके लाश के टुकड़े टुकड़े कर दिये पुत्रियों ने माँ और बाप को जिस तरीके मारने पर,
    पृथ्वी चौहान को घोड़े से बांध कर ले गए थे, आज भी उनकी कब्र है। गूगल कर के देख लो।

  32. Neeraj Shukla.

    इनकी मौत के सत्य को लोगो बताना चाहिए, यहां जिक्र बाते सत्य नही है l इतिहास से कोसो दूर l राजपूत स्त्रियों के द्वारा इनका वध किया गया था l

  33. Dinesh goswami

    Me bachpan me 5-7 saal ki umra ka tha dada ke sath angan me so raha tha tab sar pe sehra bandh ke kon aaya tha aur mujhe muskurate hue dekh k gayab ho gaya tha, me darr gaya tha pr vo mujhe muskura kar dekh rahe the..agle din eid thi.. humare ghar ke paas nahar saiyyed ki dargah h.. mandsaur mp

  34. CHANDRA SHEKHAR CHOUHAN

    he ajaypal or sadhuram kon the? he chistikon tha bo sant tha ya islam felane aaya tha

  35. Rakesh kumar

    Apne jo jankari di h vo Galt khawaja ek krur akrmankari tha jisne hinduo ko bahut prtadit kiya tha parithivi raj chohan ko pakd kr islami shena ko shonpna or hinduo ki bahu betiyo ke sath dushkarm krna sath me islam ko bhdava dena tha sbse pahle khwaja gori ke sath bharat aaya tha dargah ke niche dekha jaye to aaj bhi hinduo ke avashes milenge hinduo ki paviter anasager ghil ke kinare gayo ko katker unke khun se mandiro ko apviter krna or unka mas khdna hi inka dharm tha

  36. Naeem Ahmad

    राकेश जी हिस्ट्री पढ़ा करें वाट्सएप का ज्ञान नहीं पढ़ा करें

  37. Firoj

    Nice information about khawaja greeb Nawaz

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