चिकित्सा विज्ञान में क्लोरोफॉर्म का आविष्कार बडा ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। क्लोरोफॉर्म कोऑपरेशन के समय रोगी को बेहोश करने के लिए प्रयोग किया जाता है। बेहोशी की अवस्था में आपरेशन से होने वाली पीड़ा से रोगी को छुटकारा मिल जाता है। क्लोरोफॉर्म के आविष्कारक जेम्स नेग सिम्पसन थे। उन्होने विद्यार्थी जीवन में ही इस प्रकार की औषधि के निर्माण के विषय में एक संकल्प ले लिया था। क्लोरोफॉर्म के आविष्कार के पीछे उनके जीवन में घटी एक दर्दनाक घटना का हाथ है।
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क्लोरोफॉर्म का आविष्कार किसने किया और कब हुआ
एडिनबरा के एक अस्पताल में एक व्यक्ति की टांग में विषैला घाव हो जाने से सारे शरीर में विष फैल जाने का डर था। अतः उसकी टांग काटना जरूरी हो गया। उसके हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए गए। आगे क्या होना है, इसकी कल्पना मात्र से वहां के लोग सहमे हुए थे। कुछ ही देर में सर्जन आए। कुछ अन्य डाक्टरों ओर नर्सो ने उस आदमी को कसकर पकड़ लिया। सर्जन ने तब आरी से उसकी टांग को काटना शुरू किया। भयंकर पीड़ा से वह व्यक्ति बुरी तरह छटपटा रहा था। उसकी दर्दनाक चीख से सबके दिल दहल रहे थे। काफी देर तक चीखने-चिल्लाने के बाद जब वेदना सह पाना कठिन हो गया तो वह व्यक्ति मूर्च्छित हो गया।

डाक्टरी पढ़ने वाले इस विद्यार्थी ने टांग काटने के इस वीभत्स दृश्य को देखा और उसकी दिल दहलाने वाली भयंकर चीखे सुनी तो वह अपने को संभाल न सका और बेहोश होकर गिर पडा। होश में आने पर कई दिन तक उसकी आंखों के सामने यह भयंकर दृश्य घूमता रहा। उसने विचार किया कि क्या कोई ऐसी दवाई नहीं बनायी जा सकती, जो ऐसे रोगियो को बेहोश कर दे, ताकि उन्हे पीड़ा का अनुभव न हो। बस, उसने संकल्प कर लिया कि वह इस प्रकार की औषधि बनाने की कोशिश करेगा।
डाक्टर बनने के बाद उसने अपना निजी चिकित्सालय खोला ओर चेतनाहीन करने वाली औषधि के शोध कार्य में लग गया।दिन-रात उसने एक कर दिया। आए दिन अस्पतालों मे इस तरह के दर्दनाक दृश्य देखते-देखते वह तंग आ चुका था। वह जल्दी से जल्दी रोगियो को आपरेशन से होने वाली भयंकर पीड़ा से छुटकारा दिला देना चाहता था। इतना ही नहीं आपरेशन के दौरान सर्जनों को इतनी मानसिक परेशानी होती थी कि वे ठीक तरह से आपरेशन भी न कर पाते थे।
एक दिन शाम को जब डॉ सिम्पसन अपने शोध कार्य मे लगे हुए थे, तो उनके द्वारा तैयार किए गए एक मिश्रण को उनके एक सहयोगी ने सूंघ लिया। सूंघने के कुछ ही क्षणों मे वह बेहोश होकर गिर पडा। जब सिम्पसन ने यह दश्य देखा तो वे तुरत उसके पास आए और उन्होने भी वह औषधि सूंघी। वे भी इससे मूर्च्छित हो गए। कुछ देर बाद जब उनकी पत्नी प्रयोगशाला में आयी तो यह दृश्य देखकर घबरा गयी। उन्होंने दौडकर डॉ सिम्पसन को उठाया। सिम्पसन थोडी देर में होश मे आ गए और संज्ञाहीन औषधि को पा खुशी से मिल गया- मिल गया” कहकर चिल्लाने लगे। और इस प्रकार क्लोरोफॉर्म का आविष्कार हुआ।
4 नवम्बर 1847 को उन्होने क्लोरोफॉर्म नामक इस बेहोश करने वाली औषधि का आविष्कार कर अपना संकल्प पूरा किया। उसके बाद इस औषधि क्लोरोफॉर्म पर बहुत से प्रयोग और परीक्षण किए गए, ताकि यह मनुष्य के लिए हानिकारक न हो। क्लोरोफॉर्म के बाद बेहोश करने वाली औषधियों के क्षेत्र में अनेक प्रयोग किए गए। इन प्रयोगों के फलस्वरूप आज क्लोरोफॉर्म भी उत्तम प्रकार की औषधियां खोज ली गई है। वास्तव में अब क्लोरोफॉर्म को बेहोश करने के लिए प्रयोग नही किया जाता, बल्कि दूसरी औषधियों को ही काम में लाया जाता है।