कोलोसियम क्या होता है क्या आप जानते है कोलोसियम कहा स्थित है Naeem Ahmad, May 24, 2022March 27, 2024 संसार में समय-समय पर आदमी ने अपने आराम, सुख और मनोरंजन के लिये तरह-तरह की वस्तुओ का निर्माण कराया है। उनमें से कुछ तो ऐसी वस्तुएं हुई हैं जो संसार में अद्भुत गिनी जाने लगी और उनका अद्वितीय स्थान माना जाने लगा। पहले के लेखों में हमने कई आश्चर्यजनक निर्माणों का हवाला दिया है, जिन्हें आप लेख में अंत में देख और पढ़ सकते हैं। अपने इस लेख में हम रोम के उस “क्रीडागण? का वर्णन कर रहे है। जो संसार की आश्चर्यजनक निर्माण कला मे अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। जिसे आप और हम कोलोसियम के नाम से जानते हैं।कोलोसियम क्या होता है? यह कोलोसियम क्यों विश्व प्रसिद्ध इसके बारे में हम विस्तार से जानेंगे।भूल भुलैया का रहस्य – भूल भुलैया का निर्माण किसने करवायाप्राचीन काल में रोम के निवासियों मे कला प्रियता काफी बढ-चढ कर थी। ग्रीस और रोम आदि पश्चिमीय देश सभ्यता, संस्कृति और कला आदि में अग्रणी माने जाते थे। उस जमाने मे लोगों को खेल-कूद, सामूहिक आमोद-प्रमोद, मूर्ति पूजा आदि की बडी चाह रहती थी। रोम का विशाल ‘क्रीडागण” (कोलोसियम) उसका अद्भुत उदाहरण है। इस क्रीडागण को ‘कोलोसियम” कहते हैं। अठारहवी शताब्दी में फ्रांस और इग्लैण्ड के अन्वेषणकर्ताओं ने जब सर्वप्रथम इस कोलोमियम को देखा था तो अचानक ही उनका मन आश्चर्य के सागर में गोते लगाने लगा था। उन्हें कल्पना भी नही की थी कि खेल-कूद और मनोरजन के लिये इतनी अपरिमित धनशशि व्यय करके ऐसे आश्चर्यजनक प्रांगण का निर्माण मनुष्य कर सकता है। ऐसा विशाल भवन आदमी की कलाप्रियता एव निर्माण कुशलता का अद्भुत उदाहरण था।कोलोसियम क्या होता है?कोलोसियम एक एलिप्टिकल एंफीथियेटर है, आज यद्यपि इस विशाल कोलोसियम का केवल खंडर खड़ा हुआ है तथापि जिस रूप मे आज भी यह वर्तमान में दिखाई देता है उसे देखकर आश्चर्यचकित रह पड़ता है। इस भवन का निर्माण चार मंजिलों का है। और उसमें एक ही साथ पूर्ण सुविधा के साथ अस्सी हजार व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है। अनुमान किया जा सकता है कि जिस भवन में 80 हजार आदमियों के बैठने की व्यवस्था की गई होगी वह कितना विशाल होगा। इसके अधिकांश भाग आज भी अच्छी दशा में विद्यमान है। कुछ हिस्से जो काल की करालता में अपने अवशेषों को छोड़कर लुप्त हो गये है, अब इस बात का स्मरण दिलाते हैं। कि जब यह पूर्ण हालत अच्छी स्थिति में रहा होगा तो विश्व में यह एकमात्र अकेला ही रहा होगा।कोलोसियमकोलोसियम का निर्माण कब और किसने करवायाविद्वान इतिहासकारों का मत है कि सम्राट वेस्पियन ने इस क्रीड़ागण का निर्माण प्रारंभ करवाया था। परंतु उसके जीवनकाल में यह पूर्ण नही हो सका था। बाद में टेटस ने इसको पूरा कराया था। जहां पर रोम के प्रतापी सम्राट नीरो का प्रथम महल खड़ा था, उसी स्थान पर कोलोसियम का निर्माण हुआ है। सन् 80 ईस्वी में कोलोसियम भवन पूर्ण रूप से बनकर तैयार हुआ था। कहा जाता है कि जिन गुलामों को पकड़कर रोम में लाया जाता था और उन्हें बंदी बनाया जाता था। उन्हीं लोगों ने इस कोलोसियम को बनाने में काम किया था। विद्वानों का अनुमान है कि इस काम के लिए केवल पैलेस्टाइन से ही बारह हजार कैदी बनाकर लाए गए थे। इसके अतिरिक्त और स्थानों से हजारों की संख्या में गुलामों को लाया गया था। कोलोसियम के निर्माण में उनसे तरह तरह के कठोर काम लिए जाते थे। उनको सम्राट की तरफ से किसी प्रकार की मजदूरी भी नहीं दी जाती थी। यहां तक कि जो गुलाम अपनी आवश्यकता के कारण पुनः काम करने के लिए अयोग्य हो जाता था। उसको जान से मार दिया जाता था। सैकड़ों की संख्या में तो गुलाम भूख से तड़प तड़प कर कोलोसियम के निर्माण स्थल पर ही अपने प्राण गंवा देते थे।पीसा की झुकी मीनार कहा है – पीसा की मीनार किसने बनवायापेलेस्टाइन तथा अन्य स्थानों से हजारों की संख्या में जिन गुलामों को बुलाया गया था उनमें से कुछ ही बचकर वापस लौट सके, शेष या तो काम करते-करते मर गये या उनको अयोग्य समझकर मार डाला गया। प्रारंभ में जब कोलोसियम बनकर तैयार हुआ तो इसका घेरा एक तिहाई मील में था। प्रांगण की दीवार की लम्बाई प्रत्येक तरफ से 620 फीट की थी और चौडाई 513 फीट तथा ऊँचाई 150 फीट की थी। कोलोसियम का भीतरी क्रीडा-मैदान (एरेना) 285 फीट लम्बा और 185 फीट चौड़ा था। दर्शकों के बैठने के लिए चारों तरफ से कुर्सिदार सीढ़ियां बनी हुईं थी सबसे निचली कुर्सी की सीढी खेल के घेरे (एरेना) के बिल्कुल समीप थी। इसमें तरह-तरह की उस जमाने के लिये मनोरंजात्मक खेल प्रतियोगिताएं हुआ करती थीं। आज भी एरेना का एक भाग कुछ खण्डित घेरे की अवस्था में देखा जा सकता है। सीढ़ियां चारों तरफ से खंडहर की स्थिति में अब भी वर्तमान में मौजूद है। उन्हें देखने से आदमी की निर्माण-कला का अद्भुत परिचय मिलता है। यद्यपि इतिहास के पृष्ठ इस बात के साक्षी हैं कि उसके निर्माण के पत्थर हजारो-हजारों मानव जाति के खून से सने हुए है, निसहाय प्राणियों की आह उसमे दबी पड़ी है, पर यदि ऐसा न होता, तो वह कोलोसियम आज इसके संसार की अद्भुत कृतियों मे स्थान ही कैसे पाता।कोलोसियम में क्या होता था?प्राचीनकाल में इस कोलोसियम में जो खेल तमाशे होते थे, वह आज की परिस्थिति में पूर्ण पैशाचिक तथा अमानवी कहे जा सकते है। परन्तु उन दिनों की वही मांग थी, सभ्यता की वही परिधि थी, उसी घेरे में लोगों को उन्ही तरीकों से अपने मनोरंजन का जरिया ढूंढना होता था। इस कोलोसियम में छुटटी के दिनो में हजारों की संख्या में लोग मनोरंजन का लाभ प्राप्त करने के लिये पहुंचते थे। वहां पर पशु और पशु की लडाई, आदमी और आदमी की लड़ाई तथा आदमी और पशु की लडाई हुआ करती थी। खेल के उस घेरे मे दो लडने वालो को चाहे वह आदमी और आदमी हो, चाहे पशु और आदमी हो, चाहे वह पशु और पशु हो, छोड दिया जाता था। दोनों उस समय तक अविरत युद्धरत रहते थे, जब तक कि उन दोनो में से एक सदा-सदा के लिए अपने प्राणों से हाथ न धो बैठता था। जब तक दो लडने वालो मे से एक की मृत्यु नहीं हो जाती थी, लडाई बन्द नहीं होती थी। दर्शक तालियां पीट-पीटकर एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहते थे, उनको ललकारते रहते थे।गैलीलियो का जीवन परिचय – गैलीलियो का पूरा नाम क्या था?रोम के कोलोसियम के इस क्रीडांगण में कितनी लडाईयां हुई और कितने लोगों के प्राण गये, इससे इतिहास के पन्ने रक्त रंजित हैं। कहते है कि रोम के राजा के जन्म दिन पर इस मैदान में बहुत बडे पैमाने पर उस प्रकार के खेलो का आयोजन होता था। उस दिन प्रजा के मनोविनोद के लिये एक हजार जगंली पशुओं और दो सौ लडाकू आदमियों की हत्या की जाती थी। यही था उन दिनों के रोम निवासियों का मनोरंजन। ऐसी रोमांचकारी कहानियों से इतिहास के हजारों पन्ने लाल हो चुके है। इसी कालोसियम के घेरे में हजारों ईसाई धर्मावलम्लियों को भूखे शेर के सामने उनके भोजन के निमित्त फेक दिया जाता था। सचमुच में तो यह कालोसियम का प्रांगण संसार का सबसे विशाल मानव एव पशु बलिदान का अखाड़ा ही था। आदमी के खून से क्रीडांगण के उस घेरे की धरती जितनी भीगी हुई है, उतनी संभवतः बडी-बडी लड़ाइयो के मैदान के भी नहीं भीगी होगी।कोलोसियम का विध्वंसधीर-धीरे समय के अंधकार मे हजारो-लाखों का प्राण लेने वाला कोलोसियम का अधिकांश भाग लुप्त होता चला गया। उस जमाने में, लोगो में ऐसे विशाल अद्भुत निर्माण की सुरक्षा के प्रति कोई चेतना नही थी। धीरे-धीरे इस युग का अधंकारमय समय आया और लोगों को बड़े-बड़े विशाल महलो की ओर से अरूचि बढ़ने लगी। लोगों को मानवों की सहायता का ज्ञान ही नही रहा, कहते हैं कि बाद में बड़े-बडे कला नर्मज्ञ शिल्पी कोलोसियम के पास आते थे और उससे कीमती संगमरमर के पत्थरों को काट कर ले जाते थे। एक अंग्रेज विद्वान ने इस कोलोसियम के विनाश का उल्लेख करते हुए लिखा है—“लाखों ईसाईयो के खून से सराबोर कोलोसियम का भवन लुटेरे शिल्पियों के लिये एक पर्वत से अधिक महत्व नहीं रखता था। जिस प्रकार लोग पहाडों से पत्थर काटकर-काटकर अपने भवन निर्माण के लिये ले जाते हैं, उसी प्रकार धीरे-धीरे लोगों ने कोलोसियम के विशाल भवन से कीमती पत्थरों को काट-काटकर ले जाना शुरू कर दिया। यदि ऐसा न होता तो हजारों वर्षो तक यह भवन अपने गौरव पर गर्व प्रकट करता खडा रहता। इसके पत्थरों से रोम में हजारों आलीशान महल तैयार हो गये। मगर आज भी कोलोसियम के खंडहरो को देखने से ज्ञात होता है कि यह पर्वत कभी खाली होने वाला ही नहीं है ।”Nazca Lines information in Hindi – नाजका लाइन्स कहा है और उनका रहस्यअठारहवीं सदी में जब लोगों ने इस विशाल भवन को ठीक से देखा तो इस यादगार स्थल की रक्षा करने की उन्हे चिन्ता हुई। तभी बेनीडिक्ट पोप चौदहवें ने सन् 1750 में इसमें से पत्थर काटने और इसको नष्ट करने पर रोक लगा दी। तब से इसमें से पत्थरों का काटना बन्द हो गया है और इसको ईसाइयों के प्राचीन स्मारक के रूप में माना जाने लगा है। आज भी जिसे विदेशों मे जाने का अवसर मिलता है, वह रोम के इस विशाल क्रीडांगण को देखने की उत्कंठा नही रोक सकता और इसको एक बार देखने के साथ ही आश्चर्य से उसकी आंखें विस्फारित रह जाती है।अठारहवी शताब्दी के पश्चात से धीरे-धीरे संसार के लोगों का इस कोलोसियम के संबंध मे अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने की ओर झुकाव होने लगा। तब से हजारों लेख और कहानियां इसके सम्बन्ध में प्रकाशित होती रही है। ईसाई सन् के प्रारम्भ होने से सन् 550 तक रोम निवासियों का यह क्रीडागण ज्यो का त्यों खडा रहा और वहां के लोग क्रूर खेल तमाशों तथा आदमियों के बलिदान में इस स्थान को काम में लाते रहे नवीं शताब्दी के आगमन तक यह रोम वासियों का क्रीडास्थल बना ही रहा परन्तु बाद मे धीरे-धीरे मध्यकालीन सामन्तों और शिल्पियों ने अपने काम के लिये इसमे से पत्थर निकालना प्रारम्भ कर दिया और इस संसार प्रसिद्ध बलिदान तथा नृशंस क्रीडा स्थल का निशान मिटने लगा। रोम के साम्राज्य कालीन शासन में यह भवन ईसाईयों को बंदी बनाने और उन्हे तरह-तरह की यातनाएं पहुंचाने के काम में आता रहा था। हजारों की संख्या में ईसाई इसमे बन्द कर दिये जाते थे। उनमें से कितनों की ही हत्या कर दी जाती थी तथा कितनों को ही एरेना में भूखे शेर के सामने छोड दिया जाता था।अटलांटिस द्वीप का रहस्य – अटलांटिक महासागर का रहस्यजिन हजारों की संख्या में बाहर से लाये गये गुलामों को रोम के इस कोलोसियम के निर्माण कार्य में लगाया जया था, उसके सम्बन्ध में एक प्रसिद्ध इतिहास लेखक लिखता है-‘”कोलोसियम (रोम का क्रीडा भवन) के बनने में कई वर्ष लगे थे। इस काल में पेलेस्टाइन और अन्य स्थानों से लाये गये गुलामों को ही काम में लगाया जाता था। उनके साथ आदमी की तरह व्यवहार नहीं किया जाता था। कभी-कभी तो शरीर से अशक्त हुये सैकड़ों गुलामों को एक साथ ही जान से मार डाले जाने की भी राजा की ओर से आज्ञा होती थी। दो दिनो, चार दिनो में कभी उन गुलामों को एक बार खाने के लिये दिया जाता था। इस प्रकार गुलाम शरीर से कुछ दिनों में एक दम असशक्त हो जाते थे। बाद में उन्हे जान से मार दिया जाता था। जितने भी गुलाम इस काम के लिये लाये गये थे उनमें से बहुत थोडे ही फिर अपने घर वापस लौटकर जा सके थे।’चीन की दीवार कितनी चौड़ी है, चीन की दीवार का रहस्यइससे स्पष्ट है कि कोलोसियम की नींव को हजारों की संख्या मे मनुष्यों के रक्त से सींचा गया है। हजारों की कब्र की ढेर पर खडा रोम के राजाओं और निवासियों का यह विशाल क्रीडाभवन एक ओर संसार में अपने निर्माण कला की प्रधानता के लिये प्रसिद्ध है, तो दूसरी ओर हजारों निरीह प्राणियों की पीडा और असह्य यातनाओं की कहानी इसके पत्थरों में से प्रत्येक की रगो में दबी पडी है। संसार के ईसाई धर्मावलंबी इस भवन को निर्दोष ईसाइयों का सबसे बड़ा कब्रगाह मानते हैं। और आज जो इसकी सुरक्षा की ओर पश्चिम के राष्ट्रों तथा रोम निवासियों का ध्यान आकर्षित है, इसका मुख्य कारण भी यही है।संसार के सबसे प्रसिद्ध क्रीड़ा स्थल को रोम के प्रसिद्ध सम्राट वेस्पियन ने बनवाना प्रारंभ किया था परन्तु वह इस इमारत को पूर्ण करने से पहले ही संसार से विदा हो लिया था। इसकी सबसे ऊपरी मंजिल को तीसरी शताब्दी को रोम के सम्राट डोमिशियन ने पूरी करवाई थी। यह भवन तत्कालीन रोमन की शक्ति का परिचायक है। कहते हैं कि भविष्यवक्ताओं ने यह भविष्यवाणी की थी कि जब कोलोसियम का विनाश होगा तब रोम का भी विनाश हो जाएगा।अटलांटिस द्वीप का रहस्य – अटलांटिक महासागर का रहस्यअब जरा इस क्रीडा भवन के आकार प्रकार का रोचक दर्शन भी पढिये। यह भवन एक विस्तृत दीर्घाकार वृत्त के समान था। इसकी प्रत्येक मंजिल मे 80 मेहराबदार दरवाजे बने हुए थे और निचले खंड के दरवाजों से होकर तमाशा देखने के लिये बैठने की सीढियों पर जाने का मार्ग था। एरेना (अखाडा) का मुख्य भाग 287 फीट लम्बा और 180 फीट चौडा एक गोलाकार स्थान था जिसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार थी। इस दीवार के पृष्ठ भाग में सम्राट तथा अग्रपुरोहित, ब्रह्मचारिणियों, सभासदो, न्यायाधीशों तथा राज्य के दूसरे उच्च पदस्थ राज्या अधिकारियों के बैठने की जगह थी। पदाधिकारियों के बैठने के स्थान के पीछे जो ‘पोडियम’ कहलाते थे उनमें 80 हजार दर्शकों के बैठने की व्यवस्था थी। रोम का यह कोलोसियम संसार की इमारतों मे अपने ढंग की अनूठी वस्तु थी, निःसंदेह ही उसके निर्माण में स्थापत्य कला से संबंध रखने वाली अनेक कठिनाइयां पड़ी होगी क्योंकि ऊपर से नीचे तक यह दैत्याकार इमारत चुनकर बनाई गई थी। यही कारण है कि रोम के इस कोलोसियम को संसार में मनुष्य की रचना कौशल का अद्भुत नमूना कहा जाता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—-[post_grid id=”9142″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... दुनिया के प्रसिद्ध आश्चर्य विश्व प्रसिद्ध अजुबे