You are currently viewing कोलायत मंदिर के दर्शन – कोलायत का इतिहास
कोलायत धाम के सुंदर दृश्य

कोलायत मंदिर के दर्शन – कोलायत का इतिहास

प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम उस पवित्र धरती की चर्चा करेगें जिसका महाऋषि कपिलमुनि जी ने न केवल स्पर्श ही किया है। बल्कि उन्होंने अनेक वर्षों तक आसन लगाकर घोर व कठिन तपस्या की। और उसी का प्रताप है कि आज भी हजारों साल के बाद भी उस धरती में श्रद्धालुजनों के लिए चुम्बक जैसी शक्ति है। जिसके फलस्वरूप श्रृद्धालु स्वयं उस ओर खीचे चलें आते है। इस पवित्र पावन धरती का नाम है। कपिलायतन जिसे साधारणतया लोग कोलायत जी के नाम से जानते है। यह पवित्र धरती भारत के राजस्थान राज्य बीकानेर जिले के कोलायत नामक स्थान पर स्थित है। यह धरती प्रसिद्ध ऋषि कपिलमुनि की तपस्थली रही है। और यहां कपिलमुनि का आश्रम और कोलायत मंदिर है। आश्रम को मरूउद्यान भी कहते है। यह स्थान कोलायत झील के लिए भी जाना जाता है। जिसमें स्नान करना श्रृद्धालु अपना सौभाग्य समझते, और कोलायत सरोवर में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है यह श्रृद्धा भी भक्तों में होती है। यहां प्रति वर्ष कार्तिक की पूर्णिमा को कोलायत का मेला लगता है। जो बहुत विशाल होता है, और भारी संख्या में यात्री उसमें भाग लेते है।

कोलायत मंदिर या कोलायत का इतिहास, कोलायत दर्शन से पहले हम कुछ उस महान ऋषि कपिलमुनि के बारें मे जान लेते है। जिनके तप स्थल लिए भक्त देश के कोने कोने से यहां खिचे चले आते है। ऋषि कपिलमुनि कौन थे? ऋषि कपिलमुनि का हिन्दू धर्म में क्या महत्व है।

कोलायत धाम के सुंदर दृश्य
कोलायत धाम के सुंदर दृश्य

श्रीमद्भागवत गीता के दसवें अध्याय के छब्बीसवें श्लोक में अर्जुन को विभूति का परिचय कराते हुए, भगवान श्रीकृष्ण कहते है:– सिदानां कपिलो मुनि: !
अर्थात सिद्धों में, मैं कपिलमुनि हूँ ! वास्तव में भगवान कपिल श्रीकृष्ण अथवा विष्णु के पुरातन अवतार थे। जिन्होंने दृष्टिपात मात्र से कुमार्गगामी सगर पुत्रों को भस्म कर दिया था।

महाभारत में उल्लेख है कि श्री कपिलमुनि जी प्रजापति कर्दम के पुत्र थे। तथा इन्होंने माता देवहूती की कोख से अवतार धारण किया था। ऋषि कपिलमुनि जी का एक और भी नाम है जिससे बहुत ही कम लोग परिचित हैं। वह नाम है। चक्रधनू।
महाभारत में प्रसंग आता है कि एक बार राजा नहुष ने अपने घर आए हुए अतिथि त्वष्टा के लिए गाय का आलंभन करने का निश्चय किया जिसे कि वे वेद समान मानते थे। जब कपिल जी को इसका पता चला कि वेद के नाम पर गोवध की तैयारी हो रही है, तो उनके मुख से इतना ही निकला — हा वेद !! अभिप्राय यह है कि वेदों का गलत अर्थ लगाकर लोग मनमाना अनाचरण करते है। जब पितामह भीष्म शर शय्या पर लेटे हुए थे तो नारद, वसिष्ठ, विश्वामित्र आदि अनेक ऋषि मुनि उनके पास बैठे हुए थे। इन विशिष्ट व्यक्तित्वों में कपिलमुनि जी का भी उल्लेख हुआ है। इसके अतिरिक्त सात धरणीधर ऋषियों में भी कपिलमुनि जी का नाम आया है। उपयुक्त उदाहरणों से इतना स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय धर्मग्रंथों में कपिलमुनि जी का अपना विशिष्ट व्यक्तित्व है। जिसकी ऊचाई को दूसरा कठिनता से ही छू सकता है।

कोलायत का महत्व

श्री रामचरित मानस में गोस्वामी जी ने कहा है कि श्रीराम से भी बढ़कर राम नाम का महत्व है। राम अवतार हमारे सम्मुख न रहने पर भी राम नाम रूपी नौका के सहारे लोग सहज ही भवसागर से तर जाते है। इसी प्रकार कहा जा सकता है कि श्री कपिलमुनि जी ने तो यहां हजारों वर्ष पूर्व तपस्या की थी, और वे चले गए। परंतु उनकी पावन तपोभूमि अद्यावधि पाप पुंजों को क्षार करने की क्षमता रखती है। और अनिश्चितकाल तक इसी प्रकार श्रृद्धालुओं को तापत्रय से मुक्त करती रहेंगी।
श्रीमद्भागवत के अंतर्गत स्कंदपुराण में कपिलायतन अथवा कोलायत जी (कोलायत का प्राचीन नाम) के महात्म्य का निषिद वर्णन है। अगस्त्य जी की जिज्ञासा पर पार्वती नंदन स्कंद जी ने कपिलायतन की महिमा बताई जो पहले अज्ञातप्रायः थी।
अन्य तीर्थों का महत्व तो यह है कि उनके दर्शन से पापों का नाश होता है। पर श्री कोलायत जी इस विषय मे अद्वितीय है। इस तीर्थ के दर्शन की इच्छामात्र से ही पापों का नाश हो जाता है। और इसकी परिधि में केवल प्राणी ही प्रविष्ट हो सकते हैं।

कोलायत धाम के सुंदर दृश्य
कोलायत धाम के सुंदर दृश्य

कोलायत का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ कोलायत

कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान के इतिहास मे श्री कोलायत जी का उल्लेख करते हुए लिखा है कि कार्तिक पूर्णिमा को यहां मेला लगने की परम्परा अत्यंत प्राचीन है। तथा दूर दूर से पैदल, ऊंटों, घोडों व बैलगाड़ियों पर सवार होकर बड़ी संख्या में यात्री यहां दर्शनार्थ हेतू आते है। यह भी लिखा है कि प्राचीन काल में यात्रियों की भीड़ और अधिक रहती थी।

यहां यह बताना समीचीन होगा कि कपिलमुनि जी कोलायत कैसे पहुंचे। स्कंदपुराण में उल्लेख है कि अपनी माता देवहूति को अध्यात्म विद्या का उपदेश करने के बाद सांख्य दर्शन के आचार्य श्री कपिलमुनि काम – क्रोद्यादि से मुक्त भ्रमर्णाथ उत्तर की दिशा को जब चले तो इस बालुकामय धरती को भी वृक्षों की लताओं से आच्छादित एवं पक्षियों से कुंजीत तथा यहां हिरणों के सुंदर झुंड देखकर आकर्षित हुए। और इसी धरा को उन्होंने अपनी तपस्या के लिए उपयुक्त समझा। यह सही है कि बाद में वे पूर्व दिशा को भी गए। परंतु उनकी प्रारंभिक साधना स्थली तो श्री कोलायत जी ही है, इसमें कोई संदेह नहीं है।

बीकानेर के स्वर्गीय महाराजा गंगासिंह जी ने इस तीर्थ के महत्व की और समुचित ध्यान देते हुए बीकानेर – कोलायत के बीच रेलमार्ग की आवश्यकता का अनुभव किया था। अतः आज से लगभग सौ साल पहले सन् 1921 में यहां रेलमार्ग का कार्य पूरा हो गया था। तथा कपिल देव जी के मंदिर में संगमरमर जड़ा कर उसका कायाकल्प किया था। इसके अतिरिक्त कोलायत सरोवर जो बिना घाटों के तालाब की तरह पड़ा हुआ था। उसके चारों ओर पक्के घाट बनवाए। तथा शिव, गणेश, सूर्यादि पंच मंदिरों का निर्माण करवाया। इसके बाद सेठ मदन गोपाल दम्माणी, राजा विसेसरदास डागा ने भी यहां मंदिर बनवाएं। इसके अलावा अन्य लोगों ने भी मंदिर, व धर्मशालाओं का निर्माण यहां करवाया। अनेक समाजों की ओर भी भी यहां धर्मशालाएं बनी हुई है।

कोलायत धाम के सुंदर दृश्य
कोलायत धाम के सुंदर दृश्य

कपिल सरोवर

पुराने समय मे कोलायत झील में झाडिय़ों के बडे बडे जाल से थे। जिसके कारण इसमें स्नान करना स्नानर्थियों को दुष्वार होता था। अब इस सरोवर को साफ कराकर पक्के घाट बना दिए गए है। कोलायत लेक में बहुत दूर दूर का बरसाती पानी आता है। इसलिए कोलायत झील हरी भरी रहती है। वृक्षों, मंदिर, और भवनों से घिरे हुए इस सरोवर की शोभा निराली है।

श्री कोलायत जी सरोवर के स्नान को लोक जीवन मे गंगा स्नान के बराबर का महत्व प्राप्त है। इसलिए श्रृद्धालु यहां स्नान को जाते हुए गंगाजी की जय बोलते है। तथा गंगाजी के गीत गाते है। इसी प्रकार और भी अनेक लोक गीत यहां मेला पर्व पर सुनने को मिलते है। चतुर्दशी को दीपमाला उत्सव मनाया जाता है। सारी अट्टालिकाएं दीपकों से जगमगाने लगती है। और परछाई निर्मल जल में प्रतिबिंबित होकर अनुपम शोभा पाती है। रात मे जागरण होता है। कही रामघमंडी कही शास्त्रीय कही हल्के फुल्के गीत चलते है और रात फटाफट बीत जाती है।




स्कंदपुराण मे श्री कपिलायतन सरोवर का महात्म्य विस्तार पूर्वक दिया है। जिसके अनुसार जब सूर्य मकर राशि पर थे तो तीर्थराज प्रयाग में उच्चकोटि के साधु, संत, ऋषि, मुनियों और ब्राह्मणों का समाज जुडा। जिसमें ऋषि महाऋषि भी थे। उसी समाज में छः मुनि कन्याएं भी आई जो नारद जी के वीणावादन एवं सौंदर्य के कारण योगमार्ग की निंदा तथा विषय भोग की प्रशंसा करने लगी। योगमार्ग से भ्रष्ट इन कन्याओं की आत्मा का विष्णु भगवान की माया ने हरण कर लिया। तथा काम वासना से विद्व होकर सब की सब मर गई। चूंकि सब आपस मे प्रेमपूर्वक रहती थी, और योग भ्रष्ट होकर उन्होंने शरीर त्याग किया था। अतः इन सभी कन्याओं का जन्म इसी कपिलायतन क्षेत्र मे कुलीन ब्राह्मणों के घर हुआ था। दिन भर परिश्रम करने के बाद ये कन्याएँ सांयकाल कुछ फल आदि लेकर कपिल सरोवर पर आती, यही स्नान करके आराम करती व फल खाती तथा झूठन वहीं छोड़ जाती। कोलायत सरोवर मे स्नान के कारण उन्हें पूर्व जन्म की स्मृति हुई और ध्यान आया कि किस प्रकार वे योगभ्रष्ट हुई थी। मत्यु के पश्चात वे स्वर्ग लोक गई। वहा सुख भोगने के बाद अपनी लालसा के कारण उन्होंने पुनः ऋषि मुनियों के घर जन्म लिया व योग साधना की। कोलायत सरोवर पर झूठन छोडऩे के पाप के कारण वे सब अपने पतियों से परित्यक्त हो गई, परंतु तीर्थराज में स्नान का जो विपुल पुण्य उनहोंने अर्जित किया था। उसके फलस्वरूप वे महा योगिनियां आकाश में कीत्तिका इत्यादि छः तारे बन गई जो आज भी प्रकाशपुंज के रूप में हमें प्रकाशित कर रहे है।

प्रिय पाठकों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताए। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है

प्रिय पाठकों यदि आपके आसपास कोई धार्मिक, ऐतिहासिक, या पर्यटन महत्व का स्थल है। जिसके बारें में आप पर्यटकों को बताना चाहते है। तो आप आपना लेख कम से 300 शब्दों में हमारे submit a post संस्करण में जाकर लिख सकते है। हम आपके द्वारा लिखे गए लेख को आपकी पहचान के साथ अपने इस प्लेटफार्म पर शामिल करेगें

राजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—

माउंट आबू के पर्यटन स्थल
पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेष कर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और
जोधपुर के सुंदर दृश्य
जोधपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में वहाँ की एतिहासिक इमारतों वैभवशाली महलों पुराने घरों और प्राचीन
अजमेर का इतिहास
भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध शहर अजमेर को कौन नहीं जानता । यह प्रसिद्ध शहर अरावली पर्वत श्रेणी की
Hawamahal history in hindi
प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने हेदराबाद के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल व स्मारक के बारे में विस्तार से जाना और
City place Jaipur
प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने जयपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हवा महल की सैर की थी और उसके बारे
Hanger manger Jaipur
प्रिय पाठको जैसा कि आप सभी जानते है। कि हम भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद् शहर व गुलाबी नगरी
Jal mahal history hindi
प्रिय पाठको जैसा कि आप सब जानते है। कि हम भारत के राज्य राजस्थान कीं सैंर पर है । और
आमेर का किला
पिछली पोस्टो मे हमने अपने जयपुर टूर के अंतर्गत जल महल की सैर की थी। और उसके बारे में विस्तार
चित्तौडगढ का किला के सुंदर दृश्य
इतिहास में वीरो की भूमि चित्तौडगढ का अपना विशेष महत्व है। उदयपुर से 112 किलोमीटर दूर चित्तौडगढ एक ऐतिहासिक व
जैसलमेर के दर्शनीय स्थल के सुंदर दृश्य
जैसलमेर भारत के राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत और ऐतिहासिक नगर है। जैसलमेर के दर्शनीय स्थल पर्यटको में काफी प्रसिद्ध
अजमेर का इतिहास
अजमेर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्राचीन शहर है। अजमेर का इतिहास और उसके हर तारिखी दौर में इस
अलवर के पर्यटन स्थल के सुंदर दृश्य
अलवर राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत शहर है। जितना खुबसूरत यह शहर है उतने ही दिलचस्प अलवर के पर्यटन स्थल
उदयपुर दर्शनीय स्थल के सुंदर दृश्य
उदयपुर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर है। उदयपुर की गिनती भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में भी
नाथद्वारा दर्शन धाम के सुंदर दृश्य
वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों, मैं नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन
कोटा दर्शनीय स्थल के सुंदर दृश्य
चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा राजस्थान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। रेगिस्तान, महलों और उद्यानों के
कुम्भलगढ़ का इतिहास
राजा राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य में
झुंझुनूं के पर्यटन स्थल के सुंदर दृश्य
झुंझुनूं भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राजस्थान को महलों और भवनो की धरती भी कहा जाता
पुष्कर तीर्थ के सुंदर दृश्य
भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मे स्थित पुष्कर एक प्रसिद्ध नगर है। यह नगर यहाँ स्थित प्रसिद्ध पुष्कर
करणी माता मंदिर देशनोक के सुंदर दृश्य
बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर, करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर
बीकानेर के पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
जोधपुर से 245 किमी, अजमेर से 262 किमी, जैसलमेर से 32 9 किमी, जयपुर से 333 किमी, दिल्ली से 435
जयपुर पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
भारत की राजधानी दिल्ली से 268 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर, जिसे गुलाबी शहर (पिंक सिटी) भी कहा जाता
सीकर के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य
सीकर सबसे बड़ा थिकाना राजपूत राज्य है, जिसे शेखावत राजपूतों द्वारा शासित किया गया था, जो शेखावती में से थे।
भरतपुर पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
भरतपुर राजस्थान की यात्रा वहां के ऐतिहासिक, धार्मिक, पर्यटन और मनोरंजन से भरपूर है। पुराने समय से ही भरतपुर का
बाड़मेर पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
28,387 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ बाड़मेर राजस्थान के बड़ा और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। राज्य के
दौसा पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है,
धौलपुर पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
धौलपुर भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह लाल रंग के सैंडस्टोन (धौलपुरी पत्थर) के लिए
भीलवाड़ा पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
भीलवाड़ा भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर और जिला है। राजस्थान राज्य का क्षेत्र पुराने समय से
पाली के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य
पाली राजस्थान राज्य का एक जिला और महत्वपूर्ण शहर है। यह गुमनाम रूप से औद्योगिक शहर के रूप में भी
जालोर पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
जोलोर जोधपुर से 140 किलोमीटर और अहमदाबाद से 340 किलोमीटर स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित, राजस्थान राज्य का एक
टोंक राजस्थान के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य
टोंक राजस्थान की राजधानी जयपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है। और राजस्थान राज्य का
राजसमंद पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
राजसमंद राजस्थान राज्य का एक शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। राजसमंद शहर और जिले का नाम राजसमंद झील, 17
सिरोही के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य
सिरोही जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह उत्तर-पूर्व में जिला पाली, पूर्व में जिला उदयपुर, पश्चिम में
करौली जिले के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य
करौली राजस्थान राज्य का छोटा शहर और जिला है, जिसने हाल ही में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है, अच्छी
सवाई माधोपुर के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य
सवाई माधोपुर राजस्थान का एक छोटा शहर व जिला है, जो विभिन्न स्थलाकृति, महलों, किलों और मंदिरों के लिए जाना
नागौर के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य
राजस्थान राज्य के जोधपुर और बीकानेर के दो प्रसिद्ध शहरों के बीच स्थित, नागौर एक आकर्षक स्थान है, जो अपने
बूंदी आकर्षक स्थलों के सुंदर दृश्य
बूंदी कोटा से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर और राजस्थान का एक प्रमुख जिला है।
बारां जिले के पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
कोटा के खूबसूरत क्षेत्र से अलग बारां राजस्थान के हाडोती प्रांत में और स्थित है। बारां सुरम्य जंगली पहाड़ियों और
झालावाड़ पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
झालावाड़ राजस्थान राज्य का एक प्रसिद्ध शहर और जिला है, जिसे कभी बृजनगर कहा जाता था, झालावाड़ को जीवंत वनस्पतियों
हनुमानगढ़ पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
हनुमानगढ़, दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित है। हनुमानगढ़ एक ऐसा शहर है जो अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व
चूरू जिले के पर्यटन स्थलों के सुंदर दृश्य
चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। जिले को। द
गोगामेड़ी धाम के सुंदर दृश्य
गोगामेड़ी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की मान्यता राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों
वीर तेजाजी महाराज से संबंधी चित्र
भारत में आज भी लोक देवताओं और लोक तीर्थों का बहुत बड़ा महत्व है। एक बड़ी संख्या में लोग अपने
शील की डूंगरी के सुंदर दृश्य
शीतला माता यह नाम किसी से छिपा नहीं है। आपने भी शीतला माता के मंदिर भिन्न भिन्न शहरों, कस्बों, गावों
सीताबाड़ी के सुंदर दृश्य
सीताबाड़ी, किसी ने सही कहा है कि भारत की धरती के कण कण में देव बसते है ऐसा ही एक
गलियाकोट दरगाह के सुंदर दृश्य
गलियाकोट दरगाह राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागबाडा तहसील का एक छोटा सा कस्बा है। जो माही नदी के किनारे
श्री महावीरजी धाम राजस्थान के सुंदर दृश्य
यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैन धर्मावलंबियों के अनगिनत तीर्थ स्थल है। लेकिन आधुनिक युग के अनुकूल जो
मुकाम मंदिर राजस्थान के सुंदर दृश्य
मुकाम मंदिर या मुक्ति धाम मुकाम विश्नोई सम्प्रदाय का एक प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। इसका कारण
कैला देवी मंदिर फोटो
माँ कैला देवी धाम करौली राजस्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहा कैला देवी मंदिर के प्रति श्रृद्धालुओं की
ऋषभदेव मंदिर के सुंदर दृश्य
राजस्थान के दक्षिण भाग में उदयपुर से लगभग 64 किलोमीटर दूर उपत्यकाओं से घिरा हुआ तथा कोयल नामक छोटी सी
एकलिंगजी टेम्पल के सुंदर दृश्य
राजस्थान के शिव मंदिरों में एकलिंगजी टेम्पल एक महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय मंदिर है। एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर से लगभग 21 किलोमीटर
हर्षनाथ मंदिर के सुंदर दृश्य
भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर हर्ष नामक एक
रामदेवरा धाम के सुंदर दृश्य
राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम रूणिचा धाम अथवा रामदेवरा मंदिर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक तीर्थ है। यह
नाकोड़ा जी तीर्थ के सुंदर दृश्य
नाकोड़ा जी तीर्थ जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग के बलोतरा जंक्शन से कोई 10 किलोमीटर पश्चिम में लगभग
केशवरायपाटन मंदिर के सुंदर दृश्य
केशवरायपाटन अनादि निधन सनातन जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनीसुव्रत नाथ जी के प्रसिद्ध जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र
गौतमेश्वर महादेव धाम के सुंदर दृश्य
राजस्थान राज्य के दक्षिणी भूखंड में आरावली पर्वतमालाओं के बीच प्रतापगढ़ जिले की अरनोद तहसील से 2.5 किलोमीटर की दूरी
रानी सती मंदिर झुंझुनूं के सुंदर दृश्य
सती तीर्थो में राजस्थान का झुंझुनूं कस्बा सर्वाधिक विख्यात है। यहां स्थित रानी सती मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां सती
ओसियां के दर्शनीय स्थल
राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है।
डिग्गी कल्याण जी मंदिर के सुंदर दृश्य
डिग्गी धाम राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर टोंक जिले के मालपुरा नामक स्थान के करीब
रणकपुर जैन मंदिर के सुंदर दृश्य
सभी लोक तीर्थों की अपनी धर्मगाथा होती है। लेकिन साहिस्यिक कर्मगाथा के रूप में रणकपुर सबसे अलग और अद्वितीय है।
लोद्रवा जैन मंदिर के सुंदर दृश्य
भारतीय मरूस्थल भूमि में स्थित राजस्थान का प्रमुख जिले जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लोद्रवा अपनी कला, संस्कृति और जैन मंदिर
गलताजी टेम्पल जयपुर के सुंदर दृश्य
नगर के कोलाहल से दूर पहाडियों के आंचल में स्थित प्रकृति के आकर्षक परिवेश से सुसज्जित राजस्थान के जयपुर नगर के
सकराय माता मंदिर के सुंदर दृश्य
राजस्थान के सीकर जिले में सीकर के पास सकराय माता जी का स्थान राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक
बूंदी राजस्थान
केतूबाई बूंदी के राव नारायण दास हाड़ा की रानी थी। राव नारायणदास बड़े वीर, पराक्रमी और बलवान पुरूष थे। उनके
सवाई मानसिंह संग्रहालय
जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा
मुबारक महल सिटी प्लेस जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है,
चंद्रमहल जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक भवनों का मोर-मुकुट चंद्रमहल है और इसकी सातवी मंजिल ''मुकुट मंदिर ही कहलाती है।
जय निवास उद्यान
राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों और भवनों के बाद जब नगर के विशाल उद्यान जय
तालकटोरा जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर प्रासाद औरजय निवास उद्यान के उत्तरी छोर पर तालकटोरा है, एक बनावटी झील, जिसके दक्षिण
बादल महल जयपुर
जयपुर नगर बसने से पहले जो शिकार की ओदी थी, वह विस्तृत और परिष्कृत होकर बादल महल बनी। यह जयपुर
माधो विलास महल जयपुर
जयपुर में आयुर्वेद कॉलेज पहले महाराजा संस्कृत कॉलेज का ही अंग था। रियासती जमाने में ही सवाई मानसिंह मेडीकल कॉलेज

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

Leave a Reply