You are currently viewing कैलेंडर का आविष्कार किसने किया और कब हुआ
कैलेंडर

कैलेंडर का आविष्कार किसने किया और कब हुआ

कैलेंडर का आविष्कार सबसे पहले प्राचीनबेबीलोन के निवासियों ने किया था। यह चंद्र कैलेंडर कहलाता था। कैलेंडर का विकास समय नापने की दिशा मे एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण कदम था। दर्जला घाटी के खगोल-विज्ञानी बहुत बुद्धिमान थे। उन्होने आकाश की वृत्ताकार विशाल पट्टिका को बारह समान भागों में विभाजित किया जिसे आज राशिचक्र कहा जाता है। राशिचक्र के बारह भागों में से गुजरकर अपना एक चक्कर पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता था। अतः सौर वर्षो को भी बारह भागों में बांटा गया और प्रत्येक भाग को एक महीना माना गया।

राशिचक्र के दो तारामंडलों के मध्य की दूरी पार करने में सूर्य को जितना समय लगता था, उतने समय में चंद्रमा अपनी लगभग सभी कलाएं पूरी कर लेता था। समय की इन्ही दोनों अवधियों को मास या महीने का नाम दिया गया। सूर्य और चंद्र के समय को 12 समान भागों में बांटकर 12 महीनों के 360 दिन निर्धारित हो गए। इस तरह का महीना 30 दिन का बना।

कैलेंडर का आविष्कार किसने किया और कब हुआ

लेकिन कुछ समय बाद ही खगोलशास्त्रियों को यह मालूम हो गया कि 360 दिनों का वर्ष कुछ छोटा रह गया हैं, क्योकि सूर्य का चक्कर 360 दिना में पूरा नही हो पाता था। प्रति वर्ष 5 दिनों का अंतर रह जाता था। यह अंतर छह वर्षो में पूरे एक महीने के बराबर हो जाता था। इस अंतर को पूरा करने के लिए हर छठे वर्ष एक महीना साल में अतिरिक्त जोड दिया जाता था। इस तरह पांच वर्ष के बाद हर छठा वर्ष तेरह महीने का होता था।

उसके बाद कुछ महीने 31 दिन के ओर कुछ तीस दिन के रखकर 5 दिनों को महीनो में जोडकर खपाया गया। इस प्रकार वर्ष 365 दिन का हो गया, परंतु फिर भी कुछ अशुद्धि रह ही गयी। बाद के परीक्षणों से पता चला कि पृथ्वी को सूर्य की पूरी परिक्रमा करने में 365 1/4 दिन लगते हैं। इस तरह 4 वर्ष मे एक दिन का अंतर आ जाता है। इस अंतर को मिटाने के लिए चौथे वर्ष में एक दिन को कम दिनों वाले महीने फरवरी में जोडकर इस कमी को भी दूर कर लिया गया। इस तरह चौथे वर्ष का फरवरी माह 28 दिन के बजाए 29 दिन का होने लगा। इसे ‘लीप वर्ष” कहा गया।

कैलेंडर
कैलेंडर

विश्व में अनेक प्रकार के कैलेंडर इस्तेमाल किए जाते हैं जो निम्नलिखित है—–

जूुलियन कैलेंडर

इस कैलेंडर का विकास रोम के जूलियस सीजर के नाम पर ईसा से 46 वर्ष पूर्व आरम्भ हुआ। उन्होंने इस कार्य के लिए यूनान के सोसीजन खगोलशास्त्री की मदद ली। इस कैलेंडर मे सात महीने 31 और चार महीने 30 दिन के रखे गए। 31 दिन के महीनों में
जनवरी, मार्च, मई, जुलाई, अगस्त, अक्तुबर तथा दिसम्बर थे और 30 दिन के महीनो में अप्रैल, जून, सितम्बर और नवम्बर थे। फरवरी 28 दिन का रखा गया। जिसमे लीप वर्ष मे एक दिन जोडने की व्यवस्था रखी गई। सीजर ने अपने कैलेंडर को काफी सुधारा हुआ रूप दिया। परंतु फिर भी इसमें समय की कुछ खोट थी क्योंकि सौर वर्ष को जब ठीक ठीक नापा गया तो वह 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेंड का बैठा। जूलियन कैलेंडर वास्तविक सौर वर्ष से 11 मिनट 14 सेकेंड लंबा था। इससे 128 वर्ष में एक दिन बढ़ जाता था।

क्रिश्चियन कैलेंडर

क्रिश्चियन कैलेंडर का बुनियादी आधार रोमन कैलेंडर है। इसका प्रादुभाव लगभग 800 वर्ष ईस्वी पूर्व माना जाता है। इसकी नींव रोमुलस ने डाली थी। आरंभ में रोमन कैलेंडर में 304 दिन तथा दस महीने हुआ करतें थे। इन महीनों के नाम थे– मार्टियस, एप्रिलिस, माइअस, यूनिअस, क्विंटलिस, सेक्सटलिस, सेप्टेंबर, आक्टोबर, नवम्बर, तथा डेसेमबर। मार्टियस यानि मार्च से इसकी शुरुआत होती थी। इन महिनों में पांच माह 31 दिनों के चार मास 30 दिनों के तथा एक मास 29 दिनों का होता था।

लगभग 700 ईस्वी वर्ष पूर्व इस कैलेंडर में दो महीने और जोड़ दिए। इस प्रकार पूरा वर्ष 12 महिने का हो गया। और उसमें 365 दिन हो गए। 44 ईस्वी पूर्व जूलियन सीजर के नाम पर सातवें महीने का नाम जूलियस रख दिया गया। जो बाद में जुलाई कहलाया। इसी प्रकार सम्राट अगस्टस ने आठवें माह को 31 दिन का बनाकर अपना नाम दे दिया जो अगस्त कहलाया।

ईस्वी सन् की गणना ईसा के जन्म से तीन वर्ष बाद से की जाती है। छठी शताब्दी में डायानिसीयस ने इसमें कुछ सुधार किए। लेकिन फिर भी प्रति वर्ष समय में काफी फर्क आता रहा। सन् 1580 तक जूलियन कैलेंडर वर्ष में 10 दिन आगे था। पोप ग्रेगरी ने अक्टूबर सन् 1582 में इस कैलेंडर में 10 दिन कम कर दिए। उन्होंने लीप वर्ष में फरवरी को 29 दिन का माना। इस प्रकार ग्रेगरी ने बहुत वर्ष में पड़ने वाले बहुत बड़े अंतर को काफी कम कर दिया। इसमें अब एक वर्ष में केवल 263 सेकेंड की वृद्धि होती है। आजकल लोग इसे ग्रेगरी कैलेंडर के नाम से जानते हैं। और संसार के लगभग सभी देश लगभग इसी कैलेंडर का उपयोग करते हैं।

मुस्लिम कैलेंडर

मुस्लिम कैलेंडर का जन्म कुरान की आयत से हुआ। इसका आधार चंद्र की गति था। इसमें सूर्य पर ध्यान नहीं दिया गया। इसी कारण इसके दिन और ऋतुएं सरकती रहती हैं। जो उत्सव त्योहार सर्दियों में आते है, कुछ वर्षो बाद वे गर्मियों में आ जाते हैं।

हिजरी संवत्‌ 622 ईसवी से प्रचलित हुआ। जिस दिन हजरत मोहम्मदमक्का छोडकर मदीना के लिए रवाना हुए, उसी दिन से इसे आरम्भ माना गया। हिजरी का अर्थ एक देश छोडकर दूसरे देश जाना है। खलीफा प्रथम उमर ने हिजरी संवत्‌ का काफी प्रचार किया। कुरान से निश्चित कर मोहर्रम के पहले दिन यानी 6 जुलाई 622 ईसवी से इसका प्रारम्भ माना गया। इसमें 30 तथा 29 दिनों के बारह चंद्र मास माने गए। जुल-हिज्जा को कभी कभी 30 दिन का मान लिया जाता है। इस प्रकार वर्ष मे 355 दिन माने जात है। हिजरी कैलेण्डर में मोहर्रम 30 दिन, सफर 29 दिन, रबी प्रथम 29 दिन, रबी द्वितीय 29 दिन, जमादी प्रथम 30 दिन, जमादी द्वितीय 29 दिन, रजब 30 दिन, शअबान 29 दिन, रमजान 30 दिन, शब्वाल 29 दिन, जुल-कअदा 30 दिन और जुल-हिज्जा 29 दिन। रमजान का नवां महीना उपवास का होता है। हिजरी संवत (मोहम्मदी संवत्‌) भारत, सऊदी अरब, जोर्डन, यमन, फारस, मोरक्को आदि देशो में प्रचलित है।

हिब्रू कैलेंडर

अमेरीका में भी एक धार्मिक कैलेंडर प्रचलित है। इसे हिब्रू (Hebrew) कैलेंडर कहते हैं। यह ईसा पूर्व 3760 वर्ष से तीन महीने पहले से आरम्भ होता है। अतः हिब्रू कैलेंडर का वर्ष प्रचलित वर्ष मे 3760 वर्ष जोडने से प्राप्त होता है।

भारतीय कैलेंडर

भारत मे लगभग तीस प्रकार के कैलेंडर समय-समय पर प्रचलित रहे हैं, जो चंद्र-सूर्य और ताराओं तथा धार्मिक सिद्धातों पर आधारित रहे हैं। भारत में कई हिन्दू संवत प्रचलित रहे है, जैसे सतयुग में ब्रह्म संवत, त्रेतायुग मे वामन सवंत, राम संवत और परशुराम संवत, द्वापर युग मे युधिष्ठिर संवत और कलियुग मे विक्रम संवत।

संवतो के प्रादुर्भाव का संबध विशेषतः किसी महापुरुष की मृत्यु अथवा किसी ऐतिहासिक घटना से जुडा रहा। भारत में आजकल तीन कैलेंडर प्रचलित है- ग्रेगरी, शक संवत और विक्रम संवत।
‘कालककार्यकाण्ठक’ नामक जैन ग्रंथ में उल्लेख है कि जब विक्रम ने शकों पर विजय प्राप्त की तो इस खुशी के मौके पर विक्रम संवत्‌ (58 ई पू ) प्रारम्भ किया गया। उत्तर भारत मे यह चैत्र मास की पूर्णिमा से आरम्भ होता है। दक्षिण भारत और गुजरात क्षेत्र मे यह कार्तिक से तथा कुछ क्षेत्रों मे आषाढ़ से आरम्भ होता है।

विक्रम संवत्‌ मे 57 वर्ष घटाने पर ईसवी संवत्‌ निकल आता है। इसी प्रकार ईसवी सन्‌ मे से 78 वर्ष कम करने पर शक (शालिवाहन) संवत्‌ निकल आता है। शक संवत्‌ का उल्लेख भारतीय शिलालेखों ओर अभिलेखों मे मिलता है। इसके स्थापकों मे कनिष्क, शालिवाहन आदि के नाम लिए जाते हैं। इडोनेशिया और इंडोचीन मे प्राप्त संस्कृत अभिलेखों मे भी शक संवत्‌ का उल्लेख है। इसका आरम्भ 78 ईसवी में हुआ। शक संवत बसंत ऋतु विपुव के अगले दिन से सामान्य वर्ष मे 22 मार्च से और लीप वर्ष मे 21 मार्च से आरम्भ होता है। इसके आश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष माघ और फाल्गुन महीने 30 दिन के तथा बैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण और भाद्र महीने 31 दिन के होते है। पहला महीना चैत्र सामान्य वर्षों मे 30 दिन का और लीप वर्ष मे 31 दिन का होता है।

चीनी कैलेंडर

चीन मे भी दो प्रकार के कैलेंडर प्रयोग में लाए जाते हैं, एक चीनी कैलेंडर जो ईसा से 2397 वर्ष पूर्व आरम्भ हुआ था, उसे इस्तेमाल किया जाता है, और दूसरा ग्रेगरी कैलेण्डर।

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-

ट्रांसफार्मर
ए° सी० बिजली किफायत की दृष्टि से 2000 या अधिक वोल्ट की तैयार की जाती है। घर के साधारण कामों के Read more
डायनेमो सिद्धांत
डायनेमो क्या है, डायनेमो कैसे बने, तथा डायनेमो का आविष्कार किसने किया अपने इस लेख के अंदर हम इन प्रश्नों Read more
बैटरी
लैक्लांशी सेल या सखी बैटरी को प्राथमिक सेल ( प्राइमेरी सेल) कहते हैं। इनमें रासायनिक योग के कारण बिजली की Read more
रेफ्रिजरेटर
रेफ्रिजरेटर के आविष्कार से पहले प्राचीन काल में बर्फ से खाद्य-पदार्थों को सड़ने या खराब होने से बचाने का तरीका चीन Read more
बिजली लाइन
कृत्रिम तरीकों से बिजली पैदा करने ओर उसे अपने कार्यो मे प्रयोग करते हुए मानव को अभी 140 वर्ष के Read more
प्रेशर कुकर
प्रेशर कुकर का आविष्कार सन 1672 में फ्रांस के डेनिस पपिन नामक युवक ने किया था। जब डेनिस पपिन इंग्लेंड आए Read more
इत्र
कृत्रिम सुगंध यानी इत्र का आविष्कार संभवतः सबसे पहले भारत में हुआ। प्राचीन भारत में इत्र द्रव्यो का निर्यात मिस्र, बेबीलोन, Read more
कांच की वस्तुएं
कांच का प्रयोग मनुष्य प्राचीन काल से ही करता आ रहा है। अतः यह कहना असंभव है, कि कांच का Read more
घड़ी
जहां तक समय बतान वाले उपरकण के आविष्कार का प्रश्न है, उसका आविष्कार किसी वैज्ञानिक ने नहीं किया। यूरोप की Read more
सीटी स्कैन
सीटी स्कैन का आविष्कार ब्रिटिश भौतिकशास्त्री डॉ गॉडफ्रे हान्सफील्ड और अमरीकी भौतिकविज्ञानी डॉ एलन कोमार्क ने सन 1972 मे किया। Read more
थर्मामीटर
थर्मामीटर का आविष्कार इटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक गेलिलियो ने लगभग सन्‌ 1593 में किया था। गेलिलियो ने सबसे पहले वायु का Read more
पेनिसिलिन
पेनिसिलिन की खोज ब्रिटेन के सर एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने सन् 1928 में की थी, लेकिन इसका आम उपयोग इसकी खोज Read more
स्टेथोस्कोप
वर्तमान समय में खान पान और प्राकृतिक के बदलते स्वरूप के कारण हर मनुष्य कभी न कभी बिमारी का शिकार Read more
क्लोरोफॉर्म
चिकित्सा विज्ञान में क्लोरोफॉर्म का आविष्कार बडा ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। क्लोरोफॉर्म को ऑपरेशन के समय रोगी को बेहोश करने Read more
मिसाइल
मिसाइल एक ऐसा प्रक्षेपास्त्र है जिसे बिना किसी चालक के धरती के नियंत्रण-कक्ष से मनचाहे स्थान पर हमला करने के Read more
माइन
सुरंग विस्फोटक या लैंड माइन (Mine) का आविष्कार 1919 से 1939 के मध्य हुआ। इसका आविष्कार भी गुप्त रूप से Read more
मशीन गन
एक सफल मशीन गन का आविष्कार अमेरिका के हिरेम मैक्सिम ने सन 1882 में किया था जो लंदन में काम कर Read more
बम का आविष्कार
बम अनेक प्रकार के होते है, जो भिन्न-भिन्न क्षेत्रों, परिस्थितियों और शक्ति के अनुसार अनेक वर्गो में बांटे जा सकते Read more
रॉकेट
रॉकेट अग्नि बाण के रूप में हजारों वर्षो से प्रचलित रहा है। भारत में प्राचीन काल से ही अग्नि बाण का Read more
पैराशूट
पैराशूट वायुसेना का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। इसकी मदद से वायुयान से कही भी सैनिक उतार जा सकते है। इसके Read more

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

Leave a Reply