कैला देवी मंदिर करौली राजस्थान – कैला देवी का इतिहास Naeem Ahmad, October 9, 2019October 9, 2019 माँ कैला देवी धाम करौली राजस्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहा कैला देवी मंदिर के प्रति श्रृद्धालुओं की अपार श्रृद्धा है। लोगों का विश्वास है कि कि माता के दरबार में हर मनौती पूरी होती है। यह स्थान शक्तिपीठों में माना जाता है। वर्ष मे एक बार चैत्र मास में यहां मेला भी लगता है। कैला देवी मेले में बडी संख्या में श्रृद्धालु आते है। अपने इस लेख में हम कैला देवी का इतिहास, माँ कैला देवी की कहानी, कैला देवी टेंपल के दर्शन के साथ साथ कैला देवी की उत्पत्ति कैसे हुई आदि सभी सवालों के बारें में विस्तार से जानेंगे।माँँ कैला देवी की कथा – कैलादेवी माता की कहानीबादशाह अकबर के समय की बात है। काफी प्रयत्नों के बावजूद भी बादशाह अकबर दौलताबाद पर अधिकार नहीं कर सका था। हर बार वह आक्रमण करता और हर बार असफल रहता था। बादशाह अकबर निराश हो चुका था। इस विषय में ज्योतिषियों की भी राय ली गई, मंत्रीगणों में काफी चिंतन हुआ, उन्होंने सम्मति दी की दक्षिण पर विजय, बिना यदुवंशी राजपूतों की सहायता के नहीं हो सकती।कैला देवी मंदिर फोटो चंबल के दक्षिण की ओर उरगिर पहाड़ पर यदुवंशी राजा चंद्रसेन राज्य करता था। अकबर स्वयं वहां जा पहुंचा। राजा चंद्रसेन ने शानदार आदर सत्कार किया। जब अकबर ने अपनी योजना राजा के सामने रखी तो वह सहायता के लिए सहर्ष तैयार हो गया। और अपने पुत्र गोपालदास को यदुवंशी सेना सहित अकबर को सौंप दिया। गोपालदास को चलते चलते रात हो गई। सेना ने घने जंगल में एक तालाब के किनारे पड़ाव डाल दिया। युवराज लेटे लेटे युद्ध की योजना बना रहे थे। कि उन्हें शंख नगाडे आदि की ध्वनि सुनाई दी, लोग जोर जोर से भजन गा रहे थे। युवराज उस ओर चल दिए, वहा पहुंचकर देखा कि कुछ लोग, देवी की प्रतिमा के सामने जोर जोर से कैला देवी के भजन गा रहे थे। मुख्य पुजारी थे केदागिरि गोस्वामी। भजन समाप्त हुआ, लोग अपने अपने मनोरथ सफल होने की भीख मांगने लगे। युवराज ने भी दक्षिण विजय की मनौती मांग ली। देवी ने वास्तव में युवराज की प्रार्थना को स्वीकार किया। यदुवंशी सेना जब दौलताबाद से लौटी तो उसके हाथों में विजय का पताका फहरा रहा था। बादशाह अकबर बेहद खुश हुआ और युवराज गोपालदास को सिर्फ पंच हजारी मनसबदार का ही खिताब नहीं बख्शा बल्कि चंबल का कई किलोमीटर क्षेत्र भी बख्श दिया। अब तक तो केवल थोडे से ग्रामीण ही विश्वास करते थे कि देवी चमत्कारी है। अब युवराज भी करने लगे और उस दिन से आज तक कैला देवी को करौली नरेश अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते चले आएं है। जिस देवी देवता को राजा पूजने लगता था। प्रजा की भी श्रृद्धा उसी देवी देवता में हो जाती थी। इसमें प्रजा गौरव का अनुभव करती थी। अतः कैलादेवी की प्रसिद्धि दिन ब दिन बढने लगी और दूर दूर से लोग दर्शन के लिए आने लगे। लगभग दौ सौ वर्ष बाद सन् 1785 में देवी ने करौली नरेश को चमत्कार दिखलाया। उस समय महाराजा गोपाल सिंह राज्य करते थे। चंबल के पार उनके विरुद्ध विद्रोह खड़ा हो गया था। उसे दबाने के लिए स्वयं राजा को जाना पड़ा। वे देवी के सामने जा खडे हुए बोले– माँ तू हमारे कुल की विजश्री है, रणक्षेत्र मे मेरे साथ रहना। और जब महाराजा गोपाल सिंह लौटे तो विजय का डंका बजाते हुए लौटे। युद्ध से लौटकर उन्होंने देवी के नए भवन की नीवं डाली। यात्रियों की सुविधा के लिए धर्मशालाओं का निर्माण कराया। तभी से करौली के प्रत्येक नरेश कैला देवी के मंदिर एवं आसपास के क्षेत्र को सजाते सवांरते आए है।कैला देवी मंदिर फोटो लोग इतनी संख्या मे आने लगे कि धीरे धीरे मेले का रूप ले लिया। सन् 1943 के होते होते तो भरतपुर, आगरा, जयपुर, ग्वालियर आदि स्थानों से लोग माता के दर्शन के लिए आने लगे। चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी प्रारंभ भी नहीं हो पाती कि कैला देवी की घाटी जहाँ देवी का भव्य मंदिर है। हजारों लाखों भक्तों के कंठ स्वरों से गूंज उठती है। नर, नारी, बालक, युवक और वृद्ध आत्म विभोर हो नाच गा उठते है। मंद मंद और धीमी लय के साथ गाए जाने वाले गीत जब घोष के साथ तीव्र लय एवं तारसप्तक के स्वरों से गाये जाने लगते है। कैला देवी की प्रतिमा कब बनी और किसने बनवाई कोई निश्चित मत नहीं है। किवदंतियां अनेक है। एक किवदंती के अनुसार यदुवंशी होने के कारण करौली राजवंश का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से जोडा जाता है। कहते है कि जब कंस ने वासुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया था। वही देवकी ने एक कन्या को जन्म दिया था। कंस ने जब उस नवजात कन्या को मार डालना चाहा तो वह आकाश की ओर उड़ गई। यह योग जब भूमंडल पर अवतरित हुई तो भिन्न भिन्न नामों से पूजी जाने लगी। यही योग माया करौली के त्रिकूट पर्वत पर कैलादेवी के नाम से प्रसिद्ध हुई। शायद यही कारण है कि करौली के यदुवंशी शासक इस देवी को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते चले आएं है। एक ओर अन्य किवदंती के अनुसार मान्यता है कि कैला देवी की प्रतिमा का निर्माण राघवदास नामक राजा ने करवाया था। प्राचीन समय में त्रिकूट पर्वत भयानक जंगलों से घिरा हुआ था। इस जंगल में नरकासुर नामक राक्षस रहता था। उसके आतंक से आसपास के सारे लोग परेशान थे। कहते है कि देवी ने काली का रूप धारण कर नरकासुर का वध इसी जंगल में किया था। तभी से आसपास के लोग देवी को मानने लगे। और मीणा एवं गूजरों की यह ईष्ट देवी बन गई। कैला देवी का इतिहास कुछ भी रहा हो लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस क्षेत्र के लोगों को जितनी श्रृद्धा कैलादेवी मे है। अन्य देवी देवताओं में नहीं है। ऊपर से राजाश्रय मिलने के कारण देवी की प्रतिमा आसपास के प्रांतों में भी प्रसिद्ध हो गई। करौली के राज सिंहासन पर जब महाराजा भंवरपाल बैठे तो उन्होंने यात्रियों की सुख सुविधाओं की ओर विशेष ध्यान दिया। सड़कों, पुलों और धर्मशालाओं का निर्माण उन्होंने कराया। प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की शुक्ला अष्टमी को शोभा यात्रा निकलती थी। स्वंय महाराज उसमें शामिल होते थे। इस शोभा यात्रा में सजे धजे सेना के वीर, हाथी, रथ,घोड़े आदि सभी होते थे। यात्रियों के लिए यह शोभा यात्रा एक विशेष आकर्षण बन गई थी। इस क्षेत्र में ज्यो ज्यो सुविधाएं बढ़ने लगी त्यों त्यों यात्रियों की संख्या भी बढ़ने लगी। आज भी कैला देवी मेला में लाखों लोग पहुंचते है। कैला देवी के दर्शन करते है, मनौती मनाते है। और प्रसन्न हो चले जाते है। कैला देवी की पूजा अन्य अनेक देवियों की तरह पशु की बलि द्वारा नही की जाती। किंतु कैलादेवी के पास ही प्रतिष्ठित एक अन्य देवी के भोग के लिए किसी समय यहां एक ही दिन में हजारों पशुओं की बलि चढाई जाती थी। किंतु अब आर्य समाज एवं अहिंसा में विश्वास रखने वाले समाजों द्वारा विरोध करने के कारण बलि की संख्या काफी समय पहले समाप्त हो गई है।प्रिय पाठकों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएँ। और अपने बहुमूल्य सुझाव भी जरूर दे। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है।प्रिय पाठकों यदि आपके आसपास कोई ऐसा धार्मिक, ऐतिहासिक या पर्यटन महत्व का स्थल है। जिसके बारे में आप पर्यटकों को बताना चाहते है। तो आप अपना लेख कम से कम 300 शब्दों में हमारे submit a post संस्करण में जाकर लिख सकते है। हम आपके द्वारा लिखे गए लेख को आपकी पहचान के साथ अपने इस प्लेटफार्म पर शामिल करेंगेराजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— मांउट आबू के पर्यटन स्थल – माउंट आबू दर्शनीय स्थल पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेष कर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और जोधपुर ( ब्लू नगरी) jodhpur blue city – जोधपुर का इतिहास जोधपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में वहाँ की एतिहासिक इमारतों वैभवशाली महलों पुराने घरों और प्राचीन अजमेर शरीफ दरगाह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ajmer dargaah history in hindi भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध शहर अजमेर को कौन नहीं जानता । यह प्रसिद्ध शहर अरावली पर्वत श्रेणी की Hawamahal history in hindi- हवा महल का इतिहास प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने हेदराबाद के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल व स्मारक के बारे में विस्तार से जाना और City place Jaipur history in hindi – सिटी प्लेस जयपुर का इतिहास – सिटी प्लेस जयपुर का सबसे पसंदीदा पर्यटन... प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने जयपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हवा महल की सैर की थी और उसके बारे Jantar mantar jaipur history in hindi – जंतर मंतर जयपुर का इतिहास प्रिय पाठको जैसा कि आप सभी जानते है। कि हम भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद् शहर व गुलाबी नगरी Jal mahal history hindi जल महल जयपुर रोमांटिक महल प्रिय पाठको जैसा कि आप सब जानते है। कि हम भारत के राज्य राजस्थान कीं सैंर पर है । और Amer fort jaipur आमेर का किला जयपुर का इतिहास हिन्दी में पिछली पोस्टो मे हमने अपने जयपुर टूर के अंतर्गत जल महल की सैर की थी। और उसके बारे में विस्तार चित्तौडगढ का किला – चित्तौडगढ दुर्ग भारत का सबसे बडा किला इतिहास में वीरो की भूमि चित्तौडगढ का अपना विशेष महत्व है। उदयपुर से 112 किलोमीटर दूर चित्तौडगढ एक ऐतिहासिक व जैसलमेर के दर्शनीय स्थल – जैसलमेर के टॉप 10 टूरिस्ट पैलेस जैसलमेर भारत के राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत और ऐतिहासिक नगर है। जैसलमेर के दर्शनीय स्थल पर्यटको में काफी प्रसिद्ध अजमेर का इतिहास – अजमेर हिस्ट्री इन हिन्दी अजमेर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्राचीन शहर है। अजमेर का इतिहास और उसके हर तारिखी दौर में इस अलवर के पर्यटन स्थल – अलवर में घूमने लायक टॉप 5 स्थान अलवर राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत शहर है। जितना खुबसूरत यह शहर है उतने ही दिलचस्प अलवर के पर्यटन स्थल उदयपुर दर्शनीय स्थल – उदयपुर के टॉप 15 पर्यटन स्थल उदयपुर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर है। उदयपुर की गिनती भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में भी नाथद्वारा दर्शन – नाथद्वारा का इतिहास – नाथद्वारा टेम्पल हिसट्री इन हिन्दी वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों, मैं नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन कोटा दर्शनीय स्थल – टॉप 10 कोटा टूरिस्ट प्लेस चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा राजस्थान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। रेगिस्तान, महलों और उद्यानों के कुम्भलगढ़ का इतिहास – कुम्भलगढ़ का किला राजा राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य में झुंझुनूं के पर्यटन स्थल – झुंझुनूं के टॉप 5 दर्शनीय स्थल झुंझुनूं भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राजस्थान को महलों और भवनो की धरती भी कहा जाता पुष्कर सरोवर तीर्थ यात्रा – पुष्कर झील का धार्मिक महत्व भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मे स्थित पुष्कर एक प्रसिद्ध नगर है। यह नगर यहाँ स्थित प्रसिद्ध पुष्कर करणी माता मंदिर – चूहों वाला मंदिर के अद्भुत रहस्य बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर, करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर बीकानेर पर्यटन स्थल – बीकानेर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल जोधपुर से 245 किमी, अजमेर से 262 किमी, जैसलमेर से 32 9 किमी, जयपुर से 333 किमी, दिल्ली से 435 जयपुर पर्यटन स्थल – जयपुर टूरिस्ट प्लेस – जयपुर सिटी के टॉप 10 आकर्षण भारत की राजधानी दिल्ली से 268 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर, जिसे गुलाबी शहर (पिंक सिटी) भी कहा जाता सीकर पर्यटन स्थल – सीकर का इतिहास व टॉप 6 दर्शनीय स्थल सीकर सबसे बड़ा थिकाना राजपूत राज्य है, जिसे शेखावत राजपूतों द्वारा शासित किया गया था, जो शेखावती में से थे। भरतपुर पर्यटन स्थल -भरतपुर के टॉप 8 टूरिस्ट प्लेस भरतपुर राजस्थान की यात्रा वहां के ऐतिहासिक, धार्मिक, पर्यटन और मनोरंजन से भरपूर है। पुराने समय से ही भरतपुर का बाड़मेर पर्यटन स्थल – बाड़मेर के टॉप 8 दर्शनीय स्थल 28,387 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ बाड़मेर राजस्थान के बड़ा और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। राज्य के दौसा पर्यटन स्थल – दौसा राजस्थान के टॉप 7 दर्शनीय स्थल दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है, धौलपुर पर्यटन स्थल – धौलपुर राजस्थान के टॉप10 आकर्षण धौलपुर भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह लाल रंग के सैंडस्टोन (धौलपुरी पत्थर) के लिए भीलवाड़ा पर्यटन स्थल – भीलवाड़ा राजस्थान के टॉप20 दर्शनीय स्थल भीलवाड़ा भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर और जिला है। राजस्थान राज्य का क्षेत्र पुराने समय से पाली पर्यटन स्थल – पाली राजस्थान के टॉप टूरिस्ट प्लेस पाली राजस्थान राज्य का एक जिला और महत्वपूर्ण शहर है। यह गुमनाम रूप से औद्योगिक शहर के रूप में भी जालोर का इतिहास – जालोर के टॉप पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल जोलोर जोधपुर से 140 किलोमीटर और अहमदाबाद से 340 किलोमीटर स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित, राजस्थान राज्य का एक टोंक पर्यटन स्थल – टोंक जिले के टॉप 9 दर्शनीय स्थल टोंक राजस्थान की राजधानी जयपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है। और राजस्थान राज्य का राजसमंद पर्यटन स्थल – राजसमंद जिले के टॉप 10 ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल राजसमंद राजस्थान राज्य का एक शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। राजसमंद शहर और जिले का नाम राजसमंद झील, 17 सिरोही का इतिहास – सिरोही पर्यटन स्थल – सिरोही के दर्शनीय स्थल सिरोही जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह उत्तर-पूर्व में जिला पाली, पूर्व में जिला उदयपुर, पश्चिम में करौली आकर्षक स्थल – करौली राजस्थान के टॉप दर्शनीय स्थल करौली राजस्थान राज्य का छोटा शहर और जिला है, जिसने हाल ही में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है, अच्छी सवाई माधोपुर आकर्षक स्थल – सवाई माधोपुर राजस्थान मे घूमने लायक जगह सवाई माधोपुर राजस्थान का एक छोटा शहर व जिला है, जो विभिन्न स्थलाकृति, महलों, किलों और मंदिरों के लिए जाना नागौर के ऐतिहासिक स्थल – नागौर का मौसम, तापमान राजस्थान राज्य के जोधपुर और बीकानेर के दो प्रसिद्ध शहरों के बीच स्थित, नागौर एक आकर्षक स्थान है, जो अपने बूंदी इंडिया दर्शनीय स्थल – बूंदी राजस्थान के ऐतिहासिक, पर्यटन स्थल बूंदी कोटा से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर और राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। बारां जिला आकर्षक स्थल – बारां के टॉप पर्यटन, ऐतिहासिक, टूरिस्ट प्लेस कोटा के खूबसूरत क्षेत्र से अलग बारां राजस्थान के हाडोती प्रांत में और स्थित है। बारां सुरम्य जंगली पहाड़ियों और झालावाड़ के ऐतिहासिक स्थल – झालावाड़ के टॉप 12 दर्शनीय स्थल झालावाड़ राजस्थान राज्य का एक प्रसिद्ध शहर और जिला है, जिसे कभी बृजनगर कहा जाता था, झालावाड़ को जीवंत वनस्पतियों हनुमानगढ़ का किला – हनुमानगढ़ ऐतिहासिक स्थल – हनुमानगढ़ पर्यटन स्थल हनुमानगढ़, दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित है। हनुमानगढ़ एक ऐसा शहर है जो अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व चूरू का इतिहास, किला, पर्यटन, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। जिले को। द गोगामेड़ी का इतिहास, गोगामेड़ी मेला, गोगामेड़ी जाहर पीर बाबा गोगामेड़ी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की मान्यता राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों तेजाजी की कथा – प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला भारत में आज भी लोक देवताओं और लोक तीर्थों का बहुत बड़ा महत्व है। एक बड़ी संख्या में लोग अपने शील की डूंगरी चाकसू राजस्थान – शीतला माता की कथा शीतला माता यह नाम किसी से छिपा नहीं है। आपने भी शीतला माता के मंदिर भिन्न भिन्न शहरों, कस्बों, गावों सीताबाड़ी का इतिहास – सीताबाड़ी का मंदिर राजस्थान सीताबाड़ी, किसी ने सही कहा है कि भारत की धरती के कण कण में देव बसते है ऐसा ही एक गलियाकोट दरगाह राजस्थान – गलियाकोट दरगाह का इतिहास गलियाकोट दरगाह राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागबाडा तहसील का एक छोटा सा कस्बा है। जो माही नदी के किनारे श्री महावीरजी टेम्पल राजस्थान – महावीरजी का इतिहास यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैन धर्मावलंबियों के अनगिनत तीर्थ स्थल है। लेकिन आधुनिक युग के अनुकूल जो कोलायत मंदिर के दर्शन – कोलायत का इतिहास प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम उस पवित्र धरती की चर्चा करेगें जिसका महाऋषि कपिलमुनि जी ने न केवल मुकाम मंदिर राजस्थान – मुक्ति धाम मुकाम का इतिहास मुकाम मंदिर या मुक्ति धाम मुकाम विश्नोई सम्प्रदाय का एक प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। इसका कारण ऋषभदेव मंदिर उदयपुर – केसरियाजी ऋषभदेव मंदिर राजस्थान राजस्थान के दक्षिण भाग में उदयपुर से लगभग 64 किलोमीटर दूर उपत्यकाओं से घिरा हुआ तथा कोयल नामक छोटी सी एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर – एकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी राजस्थान के शिव मंदिरों में एकलिंगजी टेम्पल एक महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय मंदिर है। एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर से लगभग 21 किलोमीटर हर्षनाथ मंदिर सीकर राजस्थान – जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर हर्ष नामक एक रामदेवरा का इतिहास – रामदेवरा समाधि मंदिर दर्शन, व मेला राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम रूणिचा धाम अथवा रामदेवरा मंदिर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक तीर्थ है। यह नाकोड़ा जी का इतिहास – नाकोड़ा जी भैरव चालीसा नाकोड़ा जी तीर्थ जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग के बलोतरा जंक्शन से कोई 10 किलोमीटर पश्चिम में लगभग केशवरायपाटन का मंदिर – केशवरायपाटन मंदिर का इतिहास केशवरायपाटन अनादि निधन सनातन जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनीसुव्रत नाथ जी के प्रसिद्ध जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र गौतमेश्वर महादेव मंदिर अरनोद राजस्थान – गौतमेश्वर मंदिर का इतिहास राजस्थान राज्य के दक्षिणी भूखंड में आरावली पर्वतमालाओं के बीच प्रतापगढ़ जिले की अरनोद तहसील से 2.5 किलोमीटर की दूरी रानी सती मंदिर झुंझुनूं राजस्थान – रानी सती दादी मंदिर हिस्ट्री इन हिन्दी सती तीर्थो में राजस्थान का झुंझुनूं कस्बा सर्वाधिक विख्यात है। यहां स्थित रानी सती मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां सती ओसियां का इतिहास – सच्चियाय माता मंदिर ओसियां राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। डिग्गी कल्याण जी की कथा – डिग्गी धाम कल्याण जी टेम्पल डिग्गी धाम राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर टोंक जिले के मालपुरा नामक स्थान के करीब रणकपुर जैन मंदिर समूह – रणकपुर जैन तीर्थ का इतिहास सभी लोक तीर्थों की अपनी धर्मगाथा होती है। लेकिन साहिस्यिक कर्मगाथा के रूप में रणकपुर सबसे अलग और अद्वितीय है। लोद्रवा जैन मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ लोद्रवा जैन टेंपल भारतीय मरूस्थल भूमि में स्थित राजस्थान का प्रमुख जिले जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लोद्रवा अपनी कला, संस्कृति और जैन मंदिर गलताजी मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ गलताजी धाम जयपुर नगर के कोलाहल से दूर पहाडियों के आंचल में स्थित प्रकृति के आकर्षक परिवेश से सुसज्जित राजस्थान के जयपुर नगर के सकराय माता मंदिर या शाकंभरी माता मंदिर सीकर राजस्थान हिस्ट्री इन हिंदी राजस्थान के सीकर जिले में सीकर के पास सकराय माता जी का स्थान राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक बूंदी राजपूताना की वीर गाथा – बूंदी राजस्थान राजपूताना केतूबाई बूंदी के राव नारायण दास हाड़ा की रानी थी। राव नारायणदास बड़े वीर, पराक्रमी और बलवान पुरूष थे। उनके सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुर राजस्थान जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा मुबारक महल कहां स्थित है – मुबारक महल सिटी प्लेस राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है, चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थान राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक भवनों का मोर-मुकुट चंद्रमहल है और इसकी सातवी मंजिल ''मुकुट मंदिर ही कहलाती है। जय निवास उद्यान जयपुर – जय निवास गार्डन राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों और भवनों के बाद जब नगर के विशाल उद्यान जय तालकटोरा जयपुर – जयपुर का तालकटोरा सरोवर राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर प्रासाद औरजय निवास उद्यान के उत्तरी छोर पर तालकटोरा है, एक बनावटी झील, जिसके दक्षिण बादल महल कहां स्थित है – बादल महल जयपुर जयपुर नगर बसने से पहले जो शिकार की ओदी थी, वह विस्तृत और परिष्कृत होकर बादल महल बनी। यह जयपुर माधो विलास महल का इतिहास हिन्दी में जयपुर में आयुर्वेद कॉलेज पहले महाराजा संस्कृत कॉलेज का ही अंग था। रियासती जमाने में ही सवाई मानसिंह मेडीकल कॉलेज 1 2 Next » भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल राजस्थान के प्रसिद्ध मेलेंराजस्थान के लोक तीर्थराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन