कैलाशनाथ मंदिर कांचीपुरम – शिव पार्वती का नृत्य Naeem Ahmad, June 27, 2017February 18, 2023 भारत के राज्य तमिलनाडु के कांचीपुरम शहर की पश्चिम दिशा में स्थित कैलाशनाथ मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन और भव्य मंदिरो में से एक है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्धारा एक संरक्षित स्मारक है। मंदिर के बाहर सुंदर हरित परिसर है। कैलाशनाथ मंदिर पल्लव कला का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर निर्माण में द्रविड वास्तुकला की छाप दिखती है। वास्तु के लिहाज से ये मंदिर महाबलीपुरम के समुद्रतटीय मंदिर से मिलता जुलता है। Contents1 1.1 कैलाशनाथ मंदिर का इतिहास – कैालाशनाथ मंदिर की कहानी – कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ – कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया1.2 शिव पार्वती का नृत्य1.3 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— कैलाशनाथ मंदिर का इतिहास – कैालाशनाथ मंदिर की कहानी – कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ – कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया कैलाशनाथ मंदिर को आठवी शताब्दी में पल्लव वंश के राजा राजसिम्हा या नरसिंह वर्मन द्धितीय 700 ई° से 728 ई° ने अपनी पत्नी की इच्छा पूर्ति करने के लिए बनवाया था। मंदिर का निर्माण 658 ई° मे आरम्भ हुआ और 705 ई° मे जाकर पूरा हो सका। मंदिर के अग्रभाग का निर्माण राजा के पुत्र महेंन्द्र वर्मन द्धितीय ने करवाया था। राजा की रूची संगीत नृत्य और कला में काफी गहरी थी। जो इस मंदिर में परिलक्षित होती है। कई लोग ये मानते है कि राजसिम्हा भगवान शिव के भक्त और संत प्रवृत्ति के थे। कहा जाता है कि भगवान शिव ने उन के सपने में आकर उसे मंदिर निर्माण की प्रेरणा दी थी। मंदिर में मूल आराध्य देव शिव के चारो ओर सिंहवाहिनी देवी दुर्गा, विष्णु समेत कुल 58 देवी देवताओ की मूर्तियां है। कैलाश मंदिर परिसर नैऋत्य कोण में बना है। और परिसर की पूर्व एंव उत्तर दिशा पूरी तरह से खुली है। इस प्रकार की स्थिति वास्तु का एक अनुपम उदाहरण है। कैलाशनाथ मंदिर भीमशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा शिव पार्वती का नृत्य मंदिर में देवी पार्वती और शिव की नृत्य प्रतियोगिता को दीवारो पर चित्रो में दर्शाया गया है। मंदिर का एकमात्र गोपुरम प्रवेशद्धार पूर्व दिशा में है। मंदिर के ईशान कोण मे एक बहुत बडा तालाब है। मंदिर सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खुला रहता है। कैलाशनाथ मंदिर के सुंदर दृश्य वैकुंठ की गुफा:- मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में एक गुफा है। यहां के पुजारी बताते है कि इस गुफा को अगर पार कर लेते है तो आप बार बार जन्म के बंधन से मुक्त हो जाते और सीधे वैकुंठ की प्राप्ती होती है। कैलाशनाथ मंदिर कैसे पहुँचे :- कांचीपुरम तमिलनाडु के अन्य शहरों से सडक और रेल मार्ग दोनो से भलीभांति जुडा हुआ है। कांचीपुरम से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा चेन्नई है। जो यहा से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— तिरुचिरापल्ली का इतिहास और दर्शनीय स्थल महाबलीपुरम का इतिहास - महाबलीपुरम दर्शनीय स्थल श्रीरंगम का इतिहास - श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर वेल्लोर का इतिहास - महालक्ष्मी गोल्डन टेंपल वेल्लोर के दर्शनीय स्थल तंजौर का इतिहास - तंजौर का वृहदेश्वर मंदिर मदुरई का इतिहास - मदुरई के दर्शनीय स्थल उरैयूर का इतिहास और पंचवर्णस्वामी मंदिर करूर का इतिहास और दर्शनीय स्थल कांचीपुरम का इतिहास और दर्शनीय स्थल अर्काट का इतिहास - अर्कोट कहा है कन्याकुमारी मंदिर का इतिहास - कन्याकुमारी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी कुंभकोणम मंदिर - कुंभकोणम तमिलनाडु का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सलेम पर्यटन स्थल - सलेम के टॉप 10 दर्शनीय स्थल मीनाक्षी मंदिर मदुरै - मीनाक्षी मंदिर का इतिहास, दर्शन, व दर्शनीय स्थल कन्याकुमारी के दर्शनीय स्थल - कन्याकुमारी के टॉप 10 पर्यटन स्थल चेन्नई का इतिहास - चेन्नई के टॉप 15 दर्शनीय स्थल रामेश्वरम यात्रा - रामेश्वरम दर्शन - रामेश्वरम टेम्पल की 10 रोचक जानकारी पलनी हिल्स - मरूगन मंदिर पलानी कोडैकनाल के दर्शनीय स्थल - तमिलनाडु का खुबसुरत हिल स्टेशन ऊटी के पर्यटन स्थल - ऊटी के दर्शनीय स्थलो की सूची - ऊटी टूरिस्ट प्लेस भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल 7 सप्तपुरीतमिलनाडु के मंदिरतमिलनाडु तीर्थतमिलनाडु तीर्थ यात्रातमिलनाडु दर्शनतमिलनाडु पर्यटनतीर्थतीर्थ स्थलभारत के धार्मिक स्थलभारत के प्रमुख मंदिरभारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरभारत में शिव के प्रधान मंदिरसप्तपुरी दर्शन