कुलकुला देवी मंदिर कहां है – कुलकुला धाम मेला Naeem Ahmad, August 4, 2022February 25, 2024 कुलकुला देवी मंदिर कुशीनगर जनपद मे कसया नामक तहसील के एक कुडवा दीलीपनगर गांव है। यहा से चार किलोमीटर पूरब की ओर कुलकुला देवी का प्रसिद्ध धाम है, यहां चैत्र रामनवमी के अवसर पर कुलकुला देवी का मेला लगता है। कसया से देवी धाम की दूरी 14 किलोमीटर है, कुशीनगर जिला मुख्यालय से कुलकुला देवी मंदिर की दूरी 18 किलोमीटर है। फाजिलनगर से 13 किलोमीटर और देवरिया से कुलकुला देवी मंदिर की दूरी 33 किलोमीटर है। यहां सुन्दर देवी प्रतिमा स्थापित है। इस देवी स्थान की स्थानीय लोगो में बहुत मान्यता है। कहा जाता है कि यहां पर जो भी मनौतियां मांगी जाती है, देवी मां की कृपा से पूर्ण होती है। बड़ी संख्या में लोग यहां मनौतियां मनाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।कुलकुला देवी मंदिर का महत्वकुलकुला देवी धाम का महत्व मार्कंडेय पुराण में वर्णित है। मार्कंडेय पुराण के वर्णन के अनुसार सतयुग में राजा सुरत सूर्य और समाधि वैश्य ने मेघा ऋषि से देवी दुर्गा सत्पसती का श्रवण कर तप किया था। जिससे प्रसन्न होकर देवी ने मनवांछित वर दिया। जिसके फलस्वरूप माता के आशिर्वाद से राजा सुरत सूर्य के वंश में राजा मनु की उत्पत्ति हुई। और भगवान राम भी इन्हीं वंशज है। भगवान श्रीराम पुत्र कुश जब कुशीनगर के राजा हुए तो कुल देवी के रूप में मां कुलकुला देवी की आराधना की थी।कुलकुला धाम मेलाएक अन्य मान्यता के अनुसार इस स्थान को मां दुर्गा देवी का स्वरूप समझा जाता था। प्रचलित मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में थावे में माता कामख्या के बहुत सचे भक्त श्री रहषु भगत जी रहते थे। वो माता की बहुत सच्चे मन से भक्ति करते थे और माता भी उनकी भक्ति से प्रसन्न थी। माता की कृपा से उनके अन्दर बहुत सी दिव्य शक्तिया भी थी। जससे रहषु भगत प्रसिद्धि चारों ओर फैलने लगी। उड़ती उड़ती यह खबर वहां के राजा मनन सिंह के कानों तक पहुंची। एक तो रहषु भगत शुद्र जाति से था और ऊपर से उसे माता के दिव्य दर्शन की बातें सुनकर, राजा मनन सिंह क्रोधित हो गए। उन्होंने रहषु भगत को गिरफ्तार करवा लिया। और दरबार में रहषु भगत से माता को बुलाने का आदेश दिया अन्यथा सजा भुगतने को कहा। रहषु भगत के आह्वान पर माता बंगाल के कवरूं कामछा से चली तो कुलकुला धाम नाम पर क्षण भर विश्राम किया था।इसके अलावा इस स्थान की मान्यता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहां तपस्या की थी।शिवपुर का मेला और तारकेश्वर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेशकुलकुला देवी का मेलाकुलकुला देवी मुख्य मेला नौ दिन का नवरात्र भर लगता है जिसमे रात-दिन दर्शनार्थियों की भीड लगी रहती है। दुर्गा-शप्तशती तथा “रामायण” का पाठ करने वाले भी भारी सख्या में पहुचते है। यहा एक लाख से भी अधिक भीड एकत्र हो जाती है। मेले मे नृत्य संगीत, नाटय, कथावार्ता, प्रयधत, हयन, कीर्तन भजन के कार्यक्रम चलते रहते है। कुलकुला धाम मेला में बड़ी संख्या में पशु भी बिकने आते हैं। यह मेला पशु मेला के नाम से भी प्रसिद्ध है। यातायात और सदेशवाहन के साधनों के अतिरिवत आवासीय सुविधाएं उपलब्ध है। पडरौना का यह मेला सर्वप्रमुख है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार उत्तर प्रदेश के मेलेमेले