You are currently viewing कालीबाई की जीवनी – कालीबाई का जीवन परिचय व हिस्ट्री
वीरबाला कालीबाई की प्रतिमाएं

कालीबाई की जीवनी – कालीबाई का जीवन परिचय व हिस्ट्री

आज के अफने इस लेख मे हम एक ऐसी गुरू भक्ता के बारे मे जाने। जिसने अपने प्राणो की आहुति देकर अपने गुरु के प्राणो की रक्षा की थी। जिसे आधुनिक युग का एकलव्य के नाम से भी संबोधित किया जाता है। उस वीरबाला का नाम है “कालीबाई” । इस लेख मे हम कालीबाई हिस्ट्री इन हिन्दी, कालीबाई राजस्थान हिस्ट्री, वीर बालिका कालीबाई की कहानी, कालीबाई की जीवनी के बारे मे जानेंगे

यह परतंत्र भारत के उस समय की घटना है, जब राजस्थान में छोटी बडी अनेक रियासते थी। इन रियासतों मे एक रियासत डूंगरपुर थी। जिसके शासक महारावल लक्ष्मण सिह थे। इस समय भारत पर पूर्ण रूप से अंग्रेजों की हूकूमत थी।

महारावल शिक्षा के खिलाफ थे। इसी बीच वहा एक ,सेवा संघ, का गठन हूअआ। सेवा संघ के कार्यकर्ता शिक्षा का प्रचार और प्रसार करने लगे। वे गांव गांव जाते और बच्चों को पढाई के लिए प्रेरित करते । उन्हें शिक्षा का महत्त्व बताते। सेवा संघ ने पाठशालाएं खुलवा दी। डूंगरपुर मे भी एक पाठशाला का निर्माण कराया गया। उसका उद्धघाटन हुआ। यह पाठशाला बच्चों और बडों दोनों के लिए थी।

वीरबाला कालीबाई की प्रतिमाएं
वीरबाला कालीबाई की प्रतिमाएं

कालीबाई बायोग्राफी हिन्दी में

महारावल शिक्षा के प्रचार प्रसार से भयभीत हो गए। उन्होंने सोचा कि– किसान और जनता शिक्षित हो जाएगी। तो फिर वह अपने अधिकार मांगेंगे। जनता हमारे राजकाज मे भी दखल देने लगेगी। स्थिति विकट हो जाएगी।

महारावल ने पाठशाला बंद करने के आदेश दे दिए। इसके लिए आवश्यक कानून भी बनाए गए। मजिस्ट्रेट ने पाठशालाएं बंद करने का अभियान शुरू कर दिया। अभियान को सफल बनाने के लिए पुलिस और सेना की भी मदद ली गई।

पाठशाला बंद अभियान के कार्यकर्ता पाल नामक गांव पहुंचे। यह घटना 19 जून 1947 की थी। पाल गांव में एक पाठशाला थी। पाठशाला के मालिक नानाभाई खाट थे। पाठशाला के अध्यापक सेंगाभाई थे। उस समय दोनों ही वहां मौजूद थे। पाठशाला में विद्यार्थी अभी आए नही थे।

मजिस्ट्रेट ने नानाभाई को स्कूल में ताला लगाने के लिए कहा। नानाभाई ने ताला लगाने से मना कर दिया। मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस भी थी। मजिस्ट्रेट ने पुलिस को उनके साथ सख्ती बरतने का आदेश दिया।उसने पुलिस से जबरजस्ती स्कूल पर ताला लगाने को भी कहा।

नानाभाई और सेंगाभाई ने उनका पुरजोर विरोध किया। बदले मे पुलिस ने उन दोनो पर लाठियां बरसाई। सैनिकों ने लात, घूंसे और थप्पड़ से उनकी खूब पिटाई की। लेकिन दोनो ही कर्तव्यपराण थे, इसलिए अपनी बात पर अडे रहे।

पुलिस ने जबरन स्कूल में ताला लगा दिया। और पुलिस उन्हें मारते मारते अपने साथ ले जाने लगी। नानाभाई पर बंदूक की बट बरसाई जा रही थी। वह दर्द से छटपटा रहे थे। परंतु पुलिस उन्हे बडी बेरहमी पीटती रही। रास्ते में असहनीय पीड़ा से नानाभाई ने अपने प्राण त्याग दिए।

सेंगाभाई भी बेहोश हो गए। परंतु जालिम इतने पर भी न रूके। पुलिस ने रस्सी का एक सिरा उनकी कमर मे बांध दिया और दूसरा सिरा अपने ट्रक मे बांध लिया।

देखते ही देखते वहां काफी भीड इकट्ठा हो गई। लेकिन किसी की हिम्मत न हुई जो पुलिस के खिलाफ आवाज़ उठा सके।

पुलिस की गाड़ी सेंगाभाई को घसीटते हुए चली। तभी एक बारह वर्षीय बालिका ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया। उस बालिका का नाम कालीबाई था। वह भील गांव की बालिका थी। कालीबाई अपने खेतों में घास काट रही थी। उसके हाथ मे दरांती थी।

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—-

कमला नेहरू की जीवनी

रानी पद्मावती की जीवनी

रानी भवानी की जीवनी

रानी चेन्नम्मा की जीवनी

रानी दुर्गावती की जीवनी

झांसी की रानी की जीवनी

इंदिरा गांधी की जीवनी

बेगम हजरत हमल की जीवनी

उसने सेंगाभाई की दुर्दशा देखी। सेंगाभाई उसके गुरू थे। उसे पढाते थे। अपने मास्टर की दुर्दशा देख वह पुलिस की गाडी के पिछे दौडी। उसने जोर – जोर से चिल्लाना शुरू किया– “मेरे मास्टर जी को छोड दो” इन्हे क्यो घसीट रहे हो, कहाँ ले जा रहे हो इन्हें?” ।

दौडते दौडते वह गाडी के पास पहुंच गई। उसने आगे बढकर दरांती से रस्सी काटनी चाही। इतने मे पुलिस ने गाडी रोक दी। पुलिस ने कालीबाई को डराया धमकाया और वापस लौट जाने को कहा।

कालीबाई ने पुलिस की एक न सुनी । वह मास्टर जी को बचाना चाहती थी। उसने निडर होकर रस्सी को काट दिया। सैनिक कालीबाई पर बंदूक ताने हुए थे। परंतु कालीबाई को अपनी जान की परवाह नही थी।

छोटी सी बालिका के हौसले को कई महिलाओं ने देखा। वे सब भी उसके पास आ गई। सेंगाभाई बेहोश थे। बालिका ने एक महिला से पानी लाने को कहा।

बालिका की हठ से पुलिस रोष मे आ गई। सैनिकों ने उस पर गोलियां चला दी। कालीबाई गोलियां खाकर गिर पडी। उसके साथ अन्य महिलाएं भी घायल हो गई। परंतु कालीबाई ने सेंगाभाई को बचा लिया। उसने अपने गुरू को बचाकर ,गुरू-शिष्य, की दुनिया में एक नया इतिहास बनाया।

गुरु शिष्य के अनूठे उदाहरण इतिहास में बहुत कम है। महाभारत के युग मे एक गुरूभक्त थे, जो एकलव्य के नाम से आज तक अमर है। उनके गुरु द्रोणाचार्य थे। गुरू के मांगने पर एकलव्य ने अपने हाथ का अंगूठा काटकर उन्हें गुरू दक्षिणा मे भेंट कर दिया था। परंतु आधुनिक युग की कालीबाई ने जो किया वह एक अनूठी मिसाल है।

कालीबाई के साहस से भील वासियों की आंखें खुल गई। उन्होंने मारू ढोल बजा दिया। भीलवासी पुलिस पर आक्रमण करने को तैयार हो गए। पुलिस को मालूम था कि मारू ढोल की आवाज मारने मरने का संकेत है। इसलिए वे सब जल्दी से अपनी गाडी मे सवार हुए और वहां से भाग गए।

मारू ढोल की आवाज पुरे भील गांव मे फैल गई। पूरे भील वासी हथियारों से लैस वहा पहुंच गए। पुलिस और सैनिक तब तक वहां से भाग चुके थे। नानाभाई का शव और कालीबाई सहित सभी घायलों को चारपाई पर रखकर डूंगरपुर लाया गया। वहा उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया।

कालीबाई वहां चालीस घंटे तक बेहोश रही। मूक बना कालचक्र सब कुछ देखता रहा। डॉक्टरों के वश मे कुछ नही था। कालीबाई ने 12 वर्ष की उम्र में इतनी बडी कुर्बानी दे दी। कालीबाई अपने शरीर को छोड चली। उनकी आत्मा परमात्मा मे समा गई।

कालीबाई को आधुनिक युग का एकलव्य कहा जाने लगा। उसने अपने गुरू की जान बचाई और शाही सामंतों की बलिदेवी पर चढ गई। वह बलिदान के इतिहास में अपना नाम दर्ज कर गई। उसके बलिदान से आदिवासियों मे नई चेतना जागी।

डुंगरपुर राज्य में एक पार्क बनवाया गया। वह पार्क प्रजा ने बनवाया। यह पार्क नानाभाई खाट और कालीबाई की याद मे था। पार्क में दोनो की प्रतिमाएं स्थापित की गई। 19 जून को रास्तापाल गांव में मेले का आयोजन होता है। इस दिन हजारों की संख्या में लोग एकत्र होते है। ये सब लोग रास्तापाल गांव के आसपास से आते है। इस दिन बच्चे, बडें, बुढे सभी शहीदों की प्रतिमा के सम्मुख मौन खडे होते है। इस तरह वह सभी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते है, सभी की आंखें उनकी याद मे नम हो उठती है।

कालीबाई हिस्ट्री इन हिन्दी, कालीबाई राजस्थान हिसट्री, कालीबाई की कहानी, जीवनी आदि शीर्षकों पर आधारित हमारा यह लेख आपको कैसा लगा हमे कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तो के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है।

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

This Post Has 7 Comments

  1. Anil bhil

    Jay johar jay kali bai

  2. विष्णु कुमार माली

    वीरांगना और गुरु भक्त काली बाई महान थी मेरा शत शत नमन

  3. मनोज गणावा भील पंचकुई मेघनगर झाबुआ

    बहुत अच्छी बात है कि हमारे भील समाज में भी शिक्षा की जरूरत को समझा।वीरांगना कालीबाई ने साहसिक काम कर समाज के लिये नई मिसाल दी ।अब हमारी बारी है कि हम समाज को सही नेतृत्व दे कर समाज को संगठित करना चाहिये।

  4. Alex

    Johar

  5. Alex

    Jay johar

Leave a Reply