कुछ लोगों के दिल से शायद नहीं जबान से अक्सर यही निकलता सुना जाता है कि जिन्दगी की सबसे बड़ी नियामत अगर कोई है, तो वह है कॉफी या कहु॒वे का बढ़िया ढंग से बना एक कप। इनकी नजर में तो काउंट रूमफोर्ड सचमुच एक महान दिग्गज होना ही चाहिए, क्योंकि कॉफी की बूंद-बूंद को निचोड़ने के लिए जो एक खास तरह की केतली काम में लाई जाती है उसका आविष्कार रूमफोर्ड ने ही किया था। किन्तु जिन्हें विज्ञान का कुछ अधिक गम्भीर अध्ययन इष्ट है, उनकी दृष्टि में रूमफोर्ड का महत्त्व ताप के विषय में उसके किए अनुसन्धानों के कारण है।
काउंट रूमफोर्ड का जीवन परिचय
काउंट रूमफोर्ड का जन्ममैसाचुसेट्स की ब्रिटिश कालोनी के वोबर्न कस्बे सें 1753 ई० में हुआ था। उसका असली नाम था- बेंजामिन टाम्पसन। काउंट रूमफोर्ड के पिता जो पेशे से एक किसान था, बेंजामिन को कुछ ही महीने का अनाथ छोड़कर चल बसा। बालककी शुरू की शिक्षा-दीक्षा एक प्राइवेट ट्यूटर के हाथों हुई,जो स्थानीय हवार्ड विश्वविद्यालय का ही एक ग्रेजुएट था। अन्त में स्थानीय स्कूलों में जाकर उसका विद्यार्थी जीवन समाप्त हुआ। बालक में विद्यार्थी काल से ही होनहार होने के लक्षण थे। गणित में तथा परीक्षणों में उसकी प्रतिभा ने तभी से कुछ कमाल दिखाना शुरू कर दिया था, फिर भी 13 साल की उम्र में उसे स्टोर में क्लर्की करनी पड़ी। उसका अपना जीवन का लक्ष्य था, बड़ा होकर डॉक्टरी करने का किन्तु पैसों की किल्लत के कारण वह कभी पूरा न हो सका। जब 18 साल का हुआ, तो न्यू हैम्पशायर के कॉन्कॉर्ड कस्बे में उसे स्कूल टीचर की एक मामूली नौकरी मिल गई। किन्तु यही कॉन्कॉर्ड इस नई बस्ती की राजधानी था, जिसका पुराना नाम था रूमफोर्ड। बेंजामिन टाम्पसन एक निहायत ही खूबसूरत और छः फुट का लम्बे कद का नौजवान था। गन्दुमी लहराते बाल, और नीली आंखें, घुड़सवारी उसकी सचमुच एक देखने की चीज़ होती। पहली ही नज़र जो एक सम्पन्न 30 साल की विधवा रोल्फ पर पडी, वह उसी की हो गई। इस विधवा का स्थानीय समाज मे अच्छा खासा प्रभाव भी था। 1772 ई० में दोनों की शादी हो गई। बेंजामिन की उम्र तब 19 थी। मिसेज टाम्पसन ने उपनिवेश की सोसाइटी से जा-जाकर उसका परिचय कराया, और न्यू हैम्पशायर में ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त गवर्नर ने बेंजामिन को स्थानीय मिलीशिया में एक मेजर बना दिया।
किसान का वही बच्चा अब इस ओहदे पर पहुंचकर अपने आपको कुछ समझने लग गया, जिसका नतीजा यही हुआ कि बस्ती के क्रान्तिकारी देशभक्तों को उससे चिढ होने लगी और शक रहने लगा कि यह ब्रिटिश सरकार को छुप-छुपकर हमारी ख़बरें पहुंचाता है। बस्ती के लोग अपने को स्वतन्त्रता के पुत्र (सन्स ऑफ लिबर्टी ) मानते थे। कितनी ही बार बेंजामिन को एक जासूस समझ कर जब कैद में डाला गया, तो उसने भी निश्चय कर लिया कि इन बस्तियों से अब निकल ही जाना चाहिए। 1750 के अक्तूबर में वह एक जहाज़ में इंग्लेंड के लिए रवाना हो गया, और अपनी बीवी और नन्हीं बच्ची को वही छोड़ता गया। पति-पत्नी मे, फिर कभी मुलाकात नही हुई। 17 साल बाद यह परित्यक्ता भी चल बसी।
इंग्लैंड में पहुंच कर टाम्पसन अमरीकी मामलो मे एक विशेषज्ञ माना जाने लगा, और ब्रिटिश कालोनियल आफिस में उसे नौकरी मिल गई। साथ ही साथ वह बारूद पर कुछ परीक्षण भी कर रहा था , और लडाई के हथियारों में कुछ बेहतरी और विस्फोट की सशक्तता लाने में वह कुछ सफल भी हो गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि रॉयल सोसाइटी ने उसे अपना एक सदस्य मनोनीत कर लिया और 1784 में बादशाह ने उसे नाइट का खिताब दे दिया।
ब्रिटिश सरकार के लिए की गई उसकी लम्बी सेवाओं से प्रभावित होकर बावेरिया के शासक ने सर बेंजामिन टाम्पसन को अपना पथ प्रदर्शक होने के लिए आमन्त्रित किया। और बावेरिया में आकर उसकी प्रतिभा और आकर्षक व्यक्तित्व का इतना प्रभुत्व जमा कि उसे महामन्त्री, पुलिस मन्त्री तथा ग्रेण्ड चैम्बरलेन के तीन ओहदे एक साथ सौप दिए गए। इससे अब स्वय बादशाह के बाद सबसे अधिक प्रभाव बावेरिया के सारे राज्य मे यदि किसी का था तो वह अमरीका के इस किसान छोकरे का ही था। 11 वर्ष लगातार बेंजामिन टाम्पसन ने बावेरिया में ही गुजारे और सभी तरह के सामयिक सुधारों में-शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, गृहनिर्माण, भूमि में सुधार (उसको उपयोगी बनाना ) वस्तुत गरीबो को सहायता देना, आदि सभी क्षेत्रो में उसने लगकर काम किया। सिपाहियो के भत्तों मे भी बेहतरी आ गई जिसके लिए उसे भोज्य एव पोष्य तत्त्वों मे कुछ अनुसन्धान भी करने पडे । बावेरिया की जो सेवाए उसने की, उनकी बदौलत अब उसे होली रोमन एम्पायर का एक काउंट बना दिया गया, और काउंट के तौर पर उसने अपना नाम चुना रूमफोर्ड, काउंट रूमफोर्ड जो न्यू हैम्पशायर के कॉन्कॉर्ड कस्बे का पुराना नाम था। यहां आकर उसे अपनी पुत्री ‘सारा’ भी मिल गई, बेचारी की मां का देहान्त हो चुका था। अब वह भी काउंटेस बन गई और एक खासी अच्छी पेंशन उसके लिए नियत कर दी गई।
काउंट रूमफोर्डकाउंट रूमफोर्ड की स्मृति में म्यूनिख मे एक खासे कद की मूर्ति है। और उसका जीवन दर्शन, जिसे हम एक तरह का आशावाद कह सकते है, उसके अपने शब्दों मे इस प्रकार है, “कुछ लोग इतने गिरे हुए और बहिष्कृत समझे जाते हैं जैसे उन्हे सुखी देखना समाज का कुछ कर्तव्य ही न हो। पहले वे पुण्यात्मा बने, तभी समाज उनके सुख-दुख को अपने हाथ में ले, किन्तु अपने इस तौर-तरीके को हम क्या थोडा-सा उलटा नही सकते ? उनके जीवन में कुछ सुख जुटा दे और देखे कि वे खुद-ब-खुद पाप से पुण्य की ओर प्रवत्त हो जाते है। काउंट रूमफोर्ड खुद अपनी लडकी को ही सुखी नही रख सका। वह अमरीका लौट आई, और पीछे चलकर उसने खुलेआम अपने पिता की निंदा शुरू कर दी कि जब भी कभी मेरी शादी का मौका बनने को हुआ, बुड्ढा टांग अडाने से बाज नहीं आया।
काउंट रूमफोर्ड की खोज
बेजामिन टाम्पसन, अब वह काउंट रूमफोर्ड के रूप मे अधिक प्रसिद्ध था, वह इंग्लैंड लौट आया और वैज्ञानिक अनुसंधानों में खुद को खपाने लगा। 1798 की जनवरी में काउंट रूमफोर्ड ने रॉयल सोसाइटी के आगे एक निबन्ध पढ़ा जिसका विषय था—गर्मी, जो कि रगड़ से पैदा होती है, उसके स्रोत के विषय मे एक अनुसन्धान। इस वैज्ञानिक निबन्ध का आधार थे उसके प्रत्यक्ष अन्वीक्षण जो म्यूनिख मे गोला-बारूद बनाते हुए, उसने खुद किए थे। वहां उसने देखा था, और कितने ही और जनों ने उससे भी पहले देखा होगा, कि पीतल की तोपे और बन्दूके मशीन से बाहर निकलते ही बडी गर्मी पकड़ लेती है। ताप के विषय में प्रचलित सिद्धान्त उन दिनो ‘कैलॉरिक’ कहलाता था, जिसके अनुसार ताप एक द्रव्य वस्तु है जो चीजों के ठडे पडने पर उनके जिस्म से बाहर निकल जाती है। कैलॉरिक स्थापना का अर्थ एक प्रकार से यह समझा जाता था कि रगड़ से चीजों की गर्मी उसी तरह निचडकर बाहर निकल आती है जसे हाथ मे आए स्पंज या तौलिये से पानी। आज हमारे लिए यह विश्वास करना कितना मुश्किल लगता है कि उन दिनों के वैज्ञानिकों की ताप-विषयक प्रिय स्थापना यही अशुद्ध कल्पना थी।
इसके लिए काउंट रूमफोर्ड ने तोप के सिलिंडर के गिर्द एक ऐसा बाक्स फिट कर दिया जिसमें से पानी की एक बूंद भी बाहर न आ सके। कितने ही घोडों को कैनन-बोरिंग मशीन चालू करने पर लगा दिया गया। कितने ही घण्टे लगातार बोरिंग टूल इन तोपों के साथ सटा रहा और, आखिर बक्स के अन्दर पडा पानी उबलने लग गया। काउंट रूमफोर्ड की युक्ति-श्रृंखला कुछ इस प्रकार थी कि अन्दर के पानी का सम्बन्ध सिलिंडर की हवा के साथ तो है नही, इसलिए पानी में आई यह गर्मी (या कैलॉरिक) खुद पानी की अपनी देन नही, क्योंकि यह पानी शुरू में ठंडा था और अब उबल रहा है। और यह गर्मी पीतल से भी पैदा नही हो सकती क्योंकि उससे कैलॉरिक छूटने का अर्थ होना चाहिए था कि पीतल अब ठंडा और ठंडा होता जाए, पर हो इसका उल्टा ही रहा था। तोपें घड़ी जाती रही और ज्यादा, और और ज्यादा गर्मी पकड़ती जा रही थी, अर्थात इस गर्मी अथवा तोप का एक ही स्रोत सम्भव रह गया था। और वह था मशीनरी और तोप की परस्पर रगड़।
इस परीक्षण के साथ एक और भी परीक्षण काउंट रूमफोर्ड ने किया जिससे कैलॉरिक की स्थापना का प्रत्याख्यान हो जाता है। रूमफोर्ड ने दो बर्तन लिए। दोनो बिलकुल एक दूसरे की नकल। एक में कुछ पानी भर दिया और दूसरे मे उतने ही वजन का पारा। बर्तनों का मुंह बन्द कर दिया गया। इस प्रकार कि एक बूंद भी उससे बाहर न निकल सके। दोनो को एक ठण्डे कमरे में रख दिया गया जिसका तापमान जल के हिम-बिन्दु से कुछ ही ऊपर था। 24 घण्टे लगातार ये बर्तन इसी कमरे मे पडे रहे। किन्तु अब भी उनका वजन वही था। ठंडी हालत मे भी और गरम हालत मे भी। उसकी अपनी गर्मी तो जा चुकी थी, पर इससे उनके वजन मे कोई अन्तर नही आया था। कैलॉरिक नाम की कोई वस्तु थी ही नही। कैलॉरिक की स्थापना का उन्मूलन विज्ञान के इतिहास में उतने ही महत्त्व का हे जितना कि लेवोज़ियर पर लिखे गए लेख में निर्दिष्ट फ्लोजिस्टन के सिद्धान्त के खण्डन का। दोनो ही प्रत्याख्यान विज्ञान को एक नया मोड दे गए।
काउंट रूमफोर्ड ने ताप के संक्रमण के सम्बन्ध में भी कुछ परीक्षण किये और उनके निष्कर्षों को प्रकाशित किया कि यह संक्रमण किस प्रकार सक्रिय होता है। एक रासायनिक परीक्षण करते हुए उसने एक बोतल को गरम किया, जिसमे रंगीन पानी भरा था और साथ ही कुछ धूल के कण भी थे। परीक्षण की समाप्ति पर उसने बोतल केतली के बाहर रख दी कि ठंडी हो जाए। इसी वक्त सूर्य की किरणें बोतल पर पडने लगी और रूमफोर्ड को साफ दिखाई दे रहा था कि मिट्टी के ये कण बोतल के बीच मे से उठकर ऊपर को जाते है और दीवारों के साथ चलते हुए फिर नीचे आ जाते है। ज्यो-ज्यों वह बोतल ठंडी होती गई, इस प्रवाह की गति कम होती गई और, जब बोतल और कमरे का तापमान एक हो गया, यह गति भी बिलकुल शान्त हो गई।
उसने कितने ही परीक्षण इस विषय मे किए होगे और कितनी ही बार उनके निष्कर्षो की परस्पर तुलना भी की होगी, किन्तु द्रव और गैस वस्तुओं में ताप संचार किस प्रकार होता है, इसका परिज्ञान उसे अकस्मात ही हुआ। वस्तु का तप्त अंश उठकर ऊपर की ओर चल देता है और ठंडा होते-होते वह फिर बर्तन के तल की ओर चलने लगता है। परीक्षण बिलकुल आकस्मिक था और बिलकुल साधारण था, किन्तु काउंट रूमफोर्ड की महिमा और विज्ञान-बुद्धि का चमत्कार परीक्षण से उदभावित निष्कर्षो मे है। यह प्रक्रिया किसी ने प्रत्यक्ष नही की, जैसे बन्दूकों और तोपों को गरम होते भी कितने और लोगो ने देखा होगा किन्तु प्रक्रिया के मूल में काम कर रहे सारभूत वैज्ञानिक तथ्यों का बोध हर एक को नही हुआ करता।
पाठक यदि एक पतला और पारदर्शक कागज लेकर एक रेडियेटर के ऊपर वाले सिरे पर रखे तो गर्मी के कारण हवा की गतिविधि का प्रत्यक्ष-साक्षात वह भी कर सकता है। इस गति का विज्ञान मे नाम है–कन्वेक्शन (सवहन) है। काउंट रूमफोर्ड के अनुसन्धानों के परिणाम स्वरूप इंग्लैंड मे ही नही, दुनिया-भर मे कमरों को गर्मी पहुंचाने के तौर-तरीको में अब परिवर्तन आ चुका है, जिससे जहां लोक-जीवन में सुख-सुविधा आ चुकी है, वहा पैसे की बचत भी उसकी बदोलत कुछ कम नही हुईं। ये थी काउंट रूमफोर्ड की विज्ञान में सफलताएं जिनकी बदौलत उसे अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति भी मिली, और नई-नई अमेरीकी सरकार ने उसे अमरीकी तोपखाने का इन्स्पेक्टर जनरल नियुक्त कर दिया। एक जमाना वह था जब अमेरीका के क्रान्तिकारियों ने उस पर यही इलजाम लगाया था कि वह ब्रिटेन की तरफदारी करता है। जिसे देखते हुए उसके वर्तमान सम्मान का महत्व और भी बढ जाता है। परन्तु काउंट रूमफोर्ड ने ग्रेट ब्रिटेन में ही रहना पसन्द किया।
अब उसके पास मान के साथ धन भी था। लन्दन मे रॉयल इन्स्टीट्यूट की प्रसिद्ध संस्था की उसने स्थापना की, जो वस्तुत एक परीक्षणशाला थी, और जिसका उद्देश्य विज्ञान मे समीक्षात्मक अनुसन्धान करना इतना नही था जितना यह कि वैज्ञानिक तथ्यों का जनता में प्रचार करना और उन्हें यह समझाना कि इन तथ्यों के आधार पर हमारे इस साधारण जीवन में कितनी ही सुख-सुविधाएं वस्तुत लाई जा सकती हैं। वैज्ञानिक परीक्षणो द्वारा इस जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। उन दिनों के दो विख्यात वैज्ञानिक हम्फी डेवी और उसका सहायक तथा उत्तराधिकारी माइकल फैराडे इसी इंस्टीट्यूशन मे काम किया करते थे। डेवी ने रूमफोर्ड के साथ मिलकर काम किया और उसके ताप विषयक सिद्धान्तो की स्थापना में सहायता दी। यद्यपि संस्था का मूल ध्येय समीक्षात्मक न होकर क्रियात्मक ही अधिक था, संस्था को जो सफलताए इस कार्य मे मिली उनसे भी अन्तत यही सिद्ध हुआ कि क्रियात्मक परिणामों का आधार भी प्राय समीक्षात्मक अध्ययन ही हुआ करता है।
काउंट रूमफोर्ड के अन्तिम जीवन के दिन कुछ सुखी नही कहे जा सकते और इन दिनों उसने कोई नई खोज शायद नही की। फ्रांस के प्रख्यात रसायनविद एन्तॉयने लैवोज़ियर की विधवा मारिया के साथ उसने शादी कर ली। आम तौर पर यह॒ विवाह एक आदर्श विवाह समझा जाना चाहिए, दोनो सम्पन्न थे, प्रतिभाशाली थे, व्यक्तित्व भी दोनो का कुछ कम आकर्षक नही था, दोनो की अभिरुचि भी एक थी– विज्ञान, किन्तु इस सबके बावजूद किसी भी मामले पर शायद ही दोनो की कभी सहमति हुई हो और चार बरस की लगातार किचकिच के बाद, दोनो अलग हो गए।
बेंजामिन टाम्पसन उर्फकाउंट रूमफोर्ड की मृत्यु 1814 ई० में हुई। होली रोमन एम्पायर के सम्मानित काउंट, ग्रेट ब्रिटेन के नाइट समृद्ध एवं सफल इस वैज्ञानिक को अकेलापन कितना सताता होगा और अपनी जन्मभूमि की याद किस तरह रह-रहकर आती होगी, इसका कुछ संकेत उसकी वसीयत में भी मिलता है क्योंकि अपनी सम्पत्ति का एक खासा हिस्सा वह हावर्ड विश्वविद्यालय ही के नाम छोड गया। काउंट रूमफोर्ड एक परीक्षणशील वैज्ञानिक था जिसने ताप विज्ञान की आधार शीला रखी। यह वह विज्ञान है जिसके द्वारा हमारे घरों में सुख-सुविधाए सम्भव हो सकी और ऐसे इंजनो का निर्माण हुआ जो हमारी रेलगाड़ियों, मोटरगाड़ियों और फैक्टरियों को चालू करने में आवश्यक हैं।
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