कांच का प्रयोग मनुष्य प्राचीन काल से ही करता आ रहा है। अतः यह कहना असंभव है, कि कांच का आविष्कार सबसे पहले किसने और कब किया। मिस्र औरबेबीलोन में कांच से बनी कुछ ऐसी वस्तु प्राप्त हुई हैं, जो लगभग 5000 वर्ष पुरानी है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांच का उपयोग प्रागैतिहासिक काल का मनुष्य भी किसी न किसी रूप मे करता रहा था। चीन , मेसोपाटामिया और मिस्र में कांच-निर्माण की कला प्राचीन काल से चली आ रही है।
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कांच का आविष्कार किसने किया और कब हुआ
ईस्वी सन की पहली शताब्दी के एक रोमन इतिहासकार प्लिनी ने वर्णन किया है कि बहुत पहले एक फोएनिशियन व्यापारी क्रुड सोडा ला रहा था। एक रात के लिए वह बालू-तट पर रुक गया। खाना बनान के लिए उसे बर्तन रखने के लिए उचित आधार नहीं मिल रहा था। उसने अपने जहाज के क्रुड सोडा की ईंटें मगंवाकर बर्तन को उस पर रखकर नीच से आग जलायी। आग के ताप से सोडा गलकर बालू के साथ मिल गया। उसने देखा कि सोडा और बालू के मिलन से कांच बन गया। इस प्रकार कांच ने जन्म लिया।

कांच का यह आविष्कार आकस्मिक घटनावश हुआ, यद्यपि कांच के आविष्कार की इस घटना का कोई ठोस आधार नहीं है क्योंकि कांच-निर्माण के लिए सिलिका (Sand) , सोडियम ऑक्साइड (जो सोडियम कार्बोनेट में प्राप्त होता है) और कैल्शियम ऑक्साइड (जो चैन्शियम कार्बोनेट अथवा लाइमस्टोन से प्राप्त होता है) के विशेष अनुपात की आवश्यकता होती है। परंतु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि उपर्युक्त घटनावश जो कांच निर्मित हुआ, वह कांच का प्रारम्भिक रूप था और वर्तमान कांच से भिन्न था।
रोमन साम्राज्य के विकास काल में कांच के बर्तन बनाने का उद्योग स्थापित हो चुका था। रोम के सभ्रात परिवारों मे कांच के सुंदर आकार वाले बर्तनों का उपयोग सामान्य रूप से होने लगा था। मध्यकाल में वेनिस नगर कांच उद्योग का प्रमुख केंद्र बन चुका था।
उन्नीसवी शताब्दी में कांच बनाने की प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन हुए। अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों के फलस्वरूप कांच के अनेक प्रकारों का विकास हुआ। कांच-निर्माण कला और विभिन्न प्रकार के कांच तैयार करने मे जर्मनी ने उल्लेखनीय प्रगति की। ऑप्टीकल कांच के उद्योग में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए। जर्मनी के दो शोधकताओं ने नवीन कांच तैयार करने में विशेष सफलता प्राप्त की।
विश्व का अब तक का सबसे पतला कांच 0.3 मिमी का बना है। इसे जापान की निप्पेन ग्लास कारपोरेशन ने बनाया है। कांच के निर्माण में सामान्य तौर पर सिलिका, सोडियम कार्बोनेट और केल्शियम कार्बोनेट का एक विशेष अनुपात में मिश्रण बनाया जाता है। इस मिश्रण को अच्छी तरह पीस कर उच्च तापमान वाली भट्टियों में डाला जाता है। मिश्रण पिघलकर कांच-द्रव में बदल जाता है। इस कांच को छड़ों और चादरों के रूप में ढाल लिया जाता है। इन छड़ों और चादर से कांच की अनेक वस्तुएं पुनः पिघलाकर मन चाहे सांचों में ढालकर बना ली जाती है।
कांच को रंगीन बनाने के लिए इसके सामान्य मिश्रण में तांबा, लोहा, क्रोमियम, काबोल्ट, सलनियम आदि पदार्थों के ऑक्साइड मिलाए जाते है। इन पदार्थों से भिन्न-भिन्न रंगों का कांच बनाया गया है, जैसे- क्रोमियम या तांबा मिलान से हरे रंग का कांच बनता है, कोबाल्ट के आक्साइड से नीले रंग का काच बनता है
कांच का प्रयोग आज संसार में विभिन्न प्रकार के बर्तन तथा प्रयोगशाला उपकरण बनाने में हो रहा है। इससे बहुत से प्रकाश स्रोत भी बनाए जाते हैं। कांच का प्रयोग अंतरिक्ष यानों तथा दूसरे वाहनों की खिडकी बनाने में भी हो रहा है। शायद ही जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जहां काच का प्रयोग न हो रहा हो।