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कटक के पर्यटन स्थल

कटक का इतिहास और दर्शनीय स्थल

कटकउड़ीसा राज्य का एक प्रमुख शहर है। महानदी और कोठजोड़ी नदियों से घिरे कटक शहर की स्थापना 989 ई० में कलिंग राजा नृपकेशरी ने की थी। कटक से आशय छावनी है। कटक के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि 15वीं-16वीं शताब्दी में यहाँ गजपति वंश का शासन था। बहमनी शासक निजामुद्दीन अहमद के काल में गजपति शासक कपिलेश्वर बहमनी साम्राज्य पर आक्रमण करके बीदर तक बढ़ आया था और उसने हर्जाने की भी माँग की थीं।

कटक का इतिहास

1470 में उसकी मृत्यु के बाद मंगल राय एवं हंबीर के मध्य उत्तराधिकार का युद्ध छिड़ गया। हंबीर बहमनी शासक के प्रधान मंत्री महमूद गावाँ द्वारा मलिक हसन बहरी के नेतृत्व में भेजी गई सैनिक सहायता से कुछ समय के लिए सत्तारूढ़ हो गया, परंतु शीघ्र ही मंगल राय पुरुषोत्तम गजपति नाम से शासक बन गया।

सन् 1474-75 ई० में पुरुषोत्तम गजपति ने बहमनी साम्राज्य
के अधीनस्थ कोंडविदु के विद्रोहियों का साथ देकर बहमनी साम्राज्य के गोदावरी तक के इलाके पर अधिकार कर लिया, परंतु बहमनी सुल्तान मुहम्मद तृतीय ने उसे हरा दिया।

सन् 1477-78 में उसने बहमनी साम्राज्य के अधीनस्थ कोंडपल्ली के विद्रोही भीमराज का पुनः साथ दिया, परंतु बहमनी सुल्तान ने उसे फिर पराजित कर आत्म-समर्पण के लिए बाध्य कर दिया। विजयनगर के शासक कृष्णदेव राय ने 1513-18 के मध्य यहाँ के गजपति शासक प्रताप रूद्र को चार बार हराया और विजयनगर की सेना कटक तक जा पहुँची। विवश होकर प्रताप रूद्र ने अपनी पुत्री का विवाह कृष्णदेव राय के साथ करके उससे समझौता कर लिया।

कृष्णदेव राय ने उसे कृष्णा के उत्तरवर्ती प्रदेश वापस कर दिए। विजयनगर के अच्युतदेव राय के काल (1529-42) में कटक के गजपति शासक प्रताप रूद्रदेव ने विजयनगर पर आक्रमण कर दिया, परंतु हार गया। सन् 1803 की देवगाँव की संधि के अनुसार बरार के भोंसले शासक ने कटक लार्ड वेल्जली का सौंप दिया गया था।

कटक के पर्यटन स्थल
कटक के पर्यटन स्थल

कटक के पर्यटन स्थल

कटक के चंडी मंदिर पर लोगों की बहुत आस्था है। अन्य दर्शनीय स्थलों में विराट राजा का महल, बारबती दुर्ग, सुबार-गौरांग, चैतन्य मंदिर, बढ़ा घाघरा जल प्रपात, गोपुवन दास गुरुकुल, छतिया, खिरजहा, चंडी खोल तथा अखंडल मणि हैं। भुवनेश्वर यहाँ से निकट ही है। गर्मियों में यहाँ अधिकतम तापमान 41° से० और सर्दियों में न्यूनतम तापमान 14° से० होता है।

बारबती किला कटक

ओडिशा के कटक में बारबती किला एक ऐतिहासिक धरोहर है। इसका प्रवेशद्वार नक्काशीदार है। यह कटक शहर से करीब 8 किमी दूर है। बारबती किले का निर्माण गंगा राजवंश के दौरान 14वीं शताब्दी में हुआ था। बारबती किला महानदी नदी पर स्थित है। और यह एक ऊंचे किले पर स्थित है,और यहां से आधुनिक कटक शहर का एक सुंदर और शानदार दृश्य दिखाई देता है। किले को इस तरह से बनाया गया था कि यह दुश्मन के हमलों से बचाता है। वर्तमान दिनों में सांस्कृतिक और विभिन्न खेल आयोजनों के लिए पास के बारबाती स्टेडियम का निर्माण किया गया है। कटक का किला इतिहास की महिमा को दर्शाता है। यह किला लगभग 102 एकड़ के क्षेत्र में फैला है।किले की दीवारों को बलुआ पत्थर और लेटराइट से बनाया गया है।

चंडी मंदिर कटक

चंडी मंदिर कटक का एक प्राचीन मंदिर है जो कटक, ओडिशा, भारत की अधिष्ठात्री देवी चंडी को समर्पित है। मंदिर महानदी नदी के तट के पास स्थित है। यह वार्षिक दुर्गा पूजा और काली पूजा उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है। माँ कटक चंडी मंदिर में दुर्गा पूजा उत्सव प्रमुख हैं, जो अश्विन कृष्ण अष्टमी के कृष्ण पखवाड़े से लेकर अश्विन शुक्ल नवमी और विजयादशमी तक 16 दिनों तक चलता है। देवी को लोकप्रिय रूप से माँ कटका चंडी कहा जाता है, जो प्राचीन शहर के केंद्र में विराजमान हैं।

स्वपनेश्वर देव मंदिर

स्वपनेश्वर देव मंदिर कटक का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शंखामरी में महानदी के उत्तरी किनारे स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा बलभद्र मंगराज (1690-1734 ई०) ने करवाया था। यह शंखामरी गांव बडम्बा गदजत का पहला गाँव था और 1305 ईस्वी में बडम्बा गदजत के पहले राजा श्री हट्टा किशोर द्वारा स्थापित किया गया था। मान्यता है कि यहां भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सर्प दंश के रोगी ठीक हो जाता है।

नेताजी बर्थ प्लेस म्यूजियम

जानकीनाथ भवन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पैतृक घर, उड़ीसा के कटक शहर के उड़िया बाजार में स्थित है। सुभाष बोस का जन्म 23.1.1897 को इसी घर में हुआ था और उन्होंने अपना प्रारंभिक बचपन कटक में बिताया। वह आठ भाइयों और छह बहनों के एक बड़े परिवार के साथ इस घर में रहते थे। उनके पिता जानकीनाथ बोस पेशे से वकील थे और अपने समय में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। सुभाष बोस ने 1913 में रेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल से प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और उसके बाद उच्च अध्ययन करने के लिए कलकत्ता चले गए। संग्रहालय में दिलचस्प संग्रह में नेताजी द्वारा जिनेवा, इटली में मिलान, मांडले जेल, म्यांमार में रंगून जेल, प्रेसीडेंसी जेल, कलकत्ता में अलीपुर न्यू सेंट्रल जेल और बर्लिन से उनके माता- पिता और परिवार के सदस्यों को लिखे गए 22 मूल पत्र शामिल हैं।

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Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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