कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया – कंप्यूटर की परिभाषा
Naeem Ahmad
कंप्यूटर का आविष्कार का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता। कंप्यूटर अनेक प्रकार के है और इनके विकास का क्रम सैकड़ों वर्षो से चल रहा है। आज कंप्यूटर केवल गणना के यंत्र ही नही रह गए है, बल्कि इनसे बहुत से ऐसे कार्य लिए जा रहे हैं, जो मनुष्य के बस की बात नही, परंतु इतना अवश्य है कि कंप्यूटर उपकरण का मूल रूप गणना करने वाली मशीन ही है।
मनुष्य ने लगभग 25000 वर्ष पहले संख्याओं का आविष्कार किया था और लगभग 5000 वर्ष पहले उसने लिखना पढ़ना सीखा था। गिनने के लिए संभवतः मनुष्य ने सबसे पहले अंगुलियों या कंकडों का सहारा लिया था। उसके बाद किसी बुद्धिमान मनुष्य ने गिनती करने के लिए सीपियो की लडी या माला बनायी, जो गिनती के काम के साथ-साथ बाद में आभूषण के रूप मे भी उपयोग की जाने लगी। जापान में इस तरह का एक गणना यंत्र सैकडो वर्षो से उपयोग में लाया जाता रहा है, जिसे ‘सॉरोबॉन’ कहते है।
अनेक वैज्ञानिकों ने समय-समय पर गणना करने के लिए भांति-भांति के यंत्र बनाए। सन् 1642 मेंफ्रांस के वैज्ञानिक ब्लेज पाल्कल ने एक ऐसा गणना यंत्र बनाया, जो जोडने और घटाने के काम आता था। जर्मनी के एक वैज्ञानिक विलियम लाइबनित्ज ने सन् 1680 में एक दूसरा गणना यंत्र बनाया जा जोड, बाकी, गुणा भाग और वर्गमूल तक हल कर सकता था। 1801 में फ्रांस के एक वैज्ञानिक जोसेफ एम जाकवाड ने एक मशीनी करघा बनाया, जो कपडे बुनने के लिए बहुत ही उपयागी सिद्ध हुआ। अंग्रेज गणितज्ञ चार्ल्स बेबेज ने 1812 में एक विश्लेषण यंत्र बनाना आरम्भ किया परन्तु अपने यंत्र में लगाने के लिए जिन सूक्ष्म कल पुर्जो की उन्हें जरूरत थी, वे बना न सके क्योंकि इतने सूक्ष्म पुर्जे बनाने का तब कोई साधन नही था।
सन् 1889 में अमेरिका के एक गणितज्ञ वैज्ञानिक डा हमन हॉलरिथ ने गणना के लिए कार्डो में छेद करने की एक नयी पद्धति का आविष्कार किया। उनका यह यंत्र विद्युत से चलता था। सही अर्थो मे यह पहला विद्युत गणना यंत्र था, जिसे कम्प्यूटर का आदि रूप माना जा सकता है। हॉलरिथ के इस यंत्र ने कंप्यूटर विज्ञान की शुरुआत की। उन्होंने कंप्यूटर-निर्माण संस्था की भी स्थापना की और इसकी नयी -नयी सभावनाओं पर शोध परीक्षण किए। उनकी छिद्वित कार्ड पद्धति आज आई बी एम कार्ड के नाम से सारे विश्व मे जानी और प्रयुक्त की जाती है।
कंप्यूटर
भिन्न-भिन्न कार्यो के लिए भिन्न-भिन्न पद्धति के कंप्यूटर बनने लगे, साथ ही उनकी जटिलता और भी जटिल होती गयी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही ऐसे कंप्यूटर बनने लगे थे, जिनकी सहायता से विमानों के डिजाइन तैयार होते थे। विमानो के दिशा-निर्देश में इनका उपयोग होने लगा था। आज अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस, हॉलैंड, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, जापान आदि ऐसे विकसित देश है, जहां कंप्यूटर को मानव मस्तिष्क का दर्जा मिल चुका है। भारत में भी कंप्यूटर विज्ञान की शुरुआत हो चुकी है और इस क्षेत्र मे तेजी से विकास हो रहा है
आज कंप्यूटर विभिन्न क्षेत्रों में बिना किसी त्रुटि के वर्षो का काम महीनो, घंटो और सैकंडो मे कर देते है। कंप्यूटर आजकल निम्न कार्यों में प्रयुक्त हो रहे है। डाक छटनी, रेल-मार्ग संचालन, मशीनो के पुर्जे आदि की रूप रेखा बनाना, मौसम की जानकारी, स्कूल कालेजो में शिक्षा देना, कारखानो आदि की व्यवस्था, वैज्ञानिक गवेषणाओं मे ऐसी गणितीय समस्याओ का हल ढूंढना जो मनुष्य के बस की बात नही, शत्रु के आक्रमण की पूर्व सूचना देना, शत्रु ठिकानों पर अचूक निशाना लगाना, अंतरिक्ष उडान की पूर्ण व्यवस्था संभालना, विमान परिवहन नियन्त्रण, अंधे व्यक्तियों को पुस्तक पढ़़ने में सहायता देना अन्य कंप्यूटरों का डिजाइन तैयार करना, बच्चों के मंनोरजन खेल-कूद का आयोजन करना, गणना करना आदि सैकड़ों ऐसे कार्य हैं, जिन्हें कंप्यूटर तेजी और सफलता से कर रहे हैं।
कंप्यूटर प्रमुख रूप से दो प्रकार के हैं – – पहला एनालॉग यानी अनुरूप कंप्यूटर और दूसरा डिजिटल यानी अंकीय कम्प्यूटर। इन दोनों प्रकार के कंप्यूटरों से मिलकर एक तीसरे प्रकार का कम्प्यूटर बनता है, जिसे ‘एनालॉग डिजिटल हाइब्रिड’ कंप्यूटर कहते हैं।
उपर्युक्त पांचों भागों की बनावट बहुत ही जटिल होती है। इसके अलावा एक मुख्य भाग और होता है, जिसे भंडार (इनफॉरमेशन सेक्शन) कहते है।
कंप्यूटर की कार्य प्रणाली को समझने के लिए इसके ऊपर दिए हुए भागों की कार्य प्रणाली पर विचार करना होगा। सबसे पहले जिन संख्याओं का परिकलन (Calculation) करना है और जिस क्रम में करना है, उसे सूचना भंडार में भेज दिया जाता है। दूसरा सेक्शन मेमोरी का है। यदि सूचना के किसी अंश या भाग की तुरत आवश्यकता न हो, तो इसे मेमोरी वाले सेक्शन मे पहुंचा दिया जाता है। जरूरत पडने पर वहा से इसे चाहे जब पुन प्राप्त किया जा सकता है।
सूचना भंडार से समस्या गणित या गणना भंडार में भेजी जाती है जहां क्षणों मे हिसाब-किताब लग जाता है। उसक बाद आउटपुट सेक्शन मे परिणाम आ जाता है। परिणाम कागज की टेप या चुम्बकीय टेप अथवा ऑसिलोस्कोप (जिसकी व्यवस्था कम्प्यूटर में ही होती है पर आ जाता है।
कंप्यूटर का गणित विद्युत-स्पदों का सहारा लेता है, जिसकी वजह से इसके परिणाम तुरंत प्राप्त हो जाते हैं। आई बी एम कंपनी ने एक ऐसा कम्प्यूटर बनाया है, जो एक सेकण्ड में 10 लाख परिकलन (Calculation) करने की क्षमता रखता है। कंप्यूटरो में तेशी की यह क्षमता एकदम नहीं आ गयी। यह पिछले 30-35 वर्षो के निरंतर प्रयास का परिणाम है।
टेलीग्राफ द्वारा संदेश प्रेषित करने के लिए मोर्स ने ‘डैश” और ‘डॉट’ संकेतो से सभी अक्षरों को व्यक्त करने की प्रणाली विकसित कर एक नयी यांत्रिक भाषा का आविष्कार किया था। उसी प्रकार कम्प्यूटर प्रणाली में भी ‘0’ ओर ‘1’ से बनी यांत्रिक भाषा प्रयुक्त की जाती है। इन संकेतों के जरिए अनुरूप (Analogue) और अंकीय (Digital) दोनों प्रकार की हर गणितीय और भाषा संबंधी समस्याओं का हल आसानी से निकाले जा सकते हैं। मनुष्य के आदेश पर कंप्यूटर कठिन से कठिन गणाएं आदि कर सकता है। पर उसमें स्वयं सोचने की शक्ति नहीं होती है। मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर में केवल यहीं अंतर है।