एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में Naeem Ahmad, July 11, 2021March 23, 2024 उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या स्थल झाँसी से 46 मील उत्तर पूर्व और गरौठा से 22 मील दूर है। यह स्थल गरौठा से पुन्छ मार्ग पर स्थित है यहाँ पर एक प्राचीन दुर्ग है जिसका पुरातात्कि महत्व है। जिसको एरच का किला के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में इस किले के भग्नावशेष ही देखने को मिलते है।एरच का किला – एरच के किले का इतिहास हिन्दी मेंस्थानीय परम्परा के अनुसार कहा जाता है कि यह स्थल हिरणाकश्यप के पुत्र प्रहलाद की जन्म स्थली है। अकबर के शासन काल में एरच को परगना का दर्जा प्राप्त था, तथा यह क्षेत्र आगरा सूबे के अन्तर्गत आता था। जहाँगीर के शासन काल में यह क्षेत्र बीर सिंह देव बुन्देला के अधिकार में था। कुछ समय तक यह इलाका बुन्देलखण्ड के शरी छत्रसाल के हाथ में रहा। सन् 1712 में मुगल बादशाह फरूखाशियर ने यह क्षेत्र मुहम्मद खाँ बंगस को दे दिया था बाद में यह छत्रसाल के अधिकार में आ गया था छत्रशाल के उत्तराधिकारी हरिदास इस क्षेत्र को सुरक्षित नही रख सके कुछ साल बाद यह मराठा साम्राज्य का अंग बन गया उसके पश्चात यह अंग्रेजी के अधीन हो गया।दौलताबाद का किला – दौलताबाद का इतिहासएरच का किला के खंड़हर बेतवा नदी के तट पर मिलते है। इस किले में प्रवेश करने के लिये चार प्रवेश द्वार है जिनके नाम (सक) हाओ द्वार, मीरा द्वार, ग्वाल द्वार, और राठ द्वार है। तथा दुर्ग के रास्ते में पश्चिम दिशा की ओर यही पर किले की दीवार में नदी से लगभग 60 मीटर की ऊँचाई में और किले की दीवार से लगभग 30 फूट ऊँची हनुमान जी की प्रतिमा उपलब्ध होती है।मालखेड़ा का इतिहास – मालखेड़ा का किलायहां एक जामा मस्जिद भी है जिसके बारे में कहते है कि जामा मस्जिद का निर्माण तदयुगीन हिन्दू मन्दिरों को तोंड कर किया गया था। सन् 1413 में गजी उद्धीन के भाई खान जुनैद ने अपने जागीरदारी के दौरान मस्जिद का निर्माण कराया था। इसके पश्चात मस्जिद का कुछ भाग औरंगजेब के शासनकाल में बना। इस मस्जिद की चारों दिशाओं में मीनारे और गुम्बद है, तथा इसमें लगे स्तम्भ हिन्दू मन्दिरों के है मस्जिद की दीवारे और फर्स ईटो और पत्थरों से निर्मित है। इनके रंग लाल नीले पीले और हरे है।एरच का किलायहीं पर एक सती चौरा स्तम्भ भी मिलता है जिसमें सन् 1642 का अभिलेख है इस स्थल पर अन्जनी माता के मन्दिर में दूसरे और छठवे दिन पूष माह में मेला लगता है यहाँ निम्नलिखित स्थल दर्शनीय है।4. प्रवेश द्वार ( जिनकी संख्या चार है) 2. आवासीय स्थल 3. जलाशय 4. हिन्दू धर्म से सम्बन्ध स्थल 5. मुस्लिम धर्म से सम्बन्ध स्थल हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—–[post_grid id=”8179″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश पर्यटनऐतिहासिक धरोहरेंबुंदेलखंड के किले