एथेंस स्पार्टा युद्ध कब हुआ था – एथेंस और स्पार्टा युद्ध के कारण और परिणाम Naeem Ahmad, April 30, 2022March 18, 2024 प्राचीन यूनान के दो राज्य-प्रदेशो एथेंस और स्पार्टा में क्षेत्रीय श्रेष्ठता तथा शक्ति की सर्वोच्चता के लिए प्रतिदंद्धिता चलती रहती थी। दोनों एक दूसरे पर आक्रमण करते रहते। एथेंस और स्पार्टा के बीच इन युद्धों को पेलोपोनेशियाई युद्ध (Peloponnesion) भी कहते हैं! इन युद्धों में यूं तो स्पार्टा की जीत हुई लेकिन वह धीरे-धीरे इतना कमजोर हो गया कि आंतरिक विद्रोहों और अन्य बाहरी आक्रमणों को दबाने में असफल रहा तथा 146 ई.पू. में रोमन साम्राज्य में मिला लिया गया। अपने इस लेख में हम इसी एथेंस स्पार्टा युद्ध का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:— एथेंस स्पार्टा का युद्ध कब हुआ था? एथेंस स्पार्टा के युद्ध में किसकी जीत हुई थी? एथेंस स्पार्टा युद्ध क्यों हुआ था? एथेंस स्पार्टा युद्ध के कारण क्या थे? एथेंस स्पार्टा युद्ध का परिणाम? एथेंस स्पार्टा युद्ध के कारणप्राचीन यूनान के छोटे-छोटे राज्यों की आपसी प्रतिद्वंद्विता के संदर्भ में 445 ई. पू. में एथेंस स्पार्टा की सन्धि का मुख्य उदेश्य सभी राज्यों में शांति स्थापित करना था। यह प्रयास किया गया कि जब कोई राज्य दूसरे राज्य की अपेक्षा अधिक समृद्ध ओर शक्तिशाली हो तो उनमें आपसी ईर्ष्या की जगह प्रेम ओर शांति की भावना हों। उस समय एथेंस अपनी थल और नौ सेनाओं के विस्तार में लगा था। स्पार्टा को यह स्थिति बडी अपमानजनक लगी। दूसरी ओर एथेंस ने कोरिंथ (Corinth) को हराकर उसके व्यापारिक मार्गों को बंद कर दिया था। इससे कोरिंथ के व्यापार को आघात पहुंचा। एथेंस से बदला लेने के लिए उसने स्पार्टा से सहायता मांगी। उधर वोरसिरा (जो भूमध्य सागर में स्थित है और अब पॉर्फ द्वीप कहलाता है) ने एथेंस मे सम्मिलित होने की प्रार्थना की क्योंकि उसके ओर कोरिंथ के मध्य सबंध ठीक न होने के कारण वह एथेंस से मिलना चाहता था। एथेंस स्पार्टा युद्ध का प्रारम्भआखिरकार युद्ध प्रिय स्पार्टा ने 431 ई.पू. में एथेंस पर आक्रमण कर दिया। स्पार्टा की प्रशिक्षित सेना का सामना करने के लिए एथेंस के पास पर्याप्त थलसेना न थी परन्तु उसके पास विपुल प्रशिक्षित जल सेना थी। एथेंस के जनरल पेरिक्लीज (Pericles) ने अपने सैनिकों को शत्रु पर आक्रमण करने की बजाय आक्रमण रोकने को कहा जिससे स्पार्टा के सैनिक आगे न बढ़ें। उसी दौरान भयंकर प्लेग फैल गया। उन्होने इसे ऐथेंनी देवी का कोप समझा।429 ई.पू. मे पेरिक्लीज का देहांत हो गया। पेरिक्लीज की मृत्यु से एथेंस मे नेतृत्व का अभाव हो गया। उन्हें सलाह देने वाला कोई न बचा। कई वर्षो तक लगातार युद्ध होता रहा। 425 ई.पू. में उन्होंने 420 स्पार्टा सैनिको की पेलोपोनीज के किनारे घेर लिया। स्पार्टा के सैनिक एथेंस की 10,000 सेना के साथ वीरता से लडते रहे परन्तु जब उनमें से केवल 282 सैनिक शेष रह गये तो उन्होने आत्मसमर्पण कर देना ही उचित समझा। एथेंस ने किसी भी तरह की सन्धि के लिए इंकार कर दिया। फलस्वरूप युद्ध होता रहा। एथेंस स्पार्टा युद्ध दूसरे वर्ष प्रसिद्ध जनरल ब्रासीदास के नेतृत्व में स्पार्टा सैनिको ने एथेंस की सेना को डेलियम नामक स्थान पर बुरी तरह पराजित कर दिया। इस युद्ध में सकरात तथा उसका प्रसिद्ध शिष्य अल्सीबाइडीज बडी वीरता से लडे थे। दोनों ओर के सेनापति, ब्रासीदास (स्पार्टा) और क्रियन (एथेंस) मारे गये। अन्तत. 421 ई.पू. में दोनों ने एक दूसरे के देश और कैदी लौटाने की शर्त पर सन्धि कर ली। सन्धि के बावजूद इन दोनों नगरों के बीच का अंदरूनी कलह समाप्त नही हुआ। अल्सीबाइडीज दक्षिणी इटली और सिसली को मिलाकर एथेंस की शक्ति बढ़ाना चाहता था किन्तु इसी दौरान एथेंस में एक घटना घटी। एक दिन प्रातःकाल नगर के प्रत्येक द्वार पर हर्मीज की खडित मूर्ति के टुकड़े देखे गये। लोगों ने अल्सीबाइडीज पर संदेह किया कि वह निरंकुश होकर प्रजा को दबाना चाहता है। इस स्थिति में अल्सीबाइडीज चिढ़कर स्पार्टा भाग गया और शत्रुओं को एथेंस की सभी युक्तियां बता दीं। अल्सीबाइडीज का बल पाकर स्पार्टा ने 418 ई.पू. में फिर युद्ध आरंभ किया। अल्सीबाइडीज के बाद निसियस एथेंस का एक मात्र नेता रह गया था। डेमोस्थेनीज के नेतृत्व में एक और सेना उसकी सहायता को आई परन्तु यह सेना भी, जिस पर एथेंस को पूरा विश्वास था, हार गयी और बेड़ा भी हार गया। एथेंस के पास केवल 40,000 सेना बची थी। निसियस और डेमोस्थेनीज सीमित सैन्य-शक्ति के बावजूद लड़ते रहे। अन्तत: इस भयंकर युद्ध में एथेंस बुरी तरह विनष्ट हो गया तथा दोनों नेताओं को मृत्युदंड दे दिया गया। कुछ समय बाद अल्सीवाइडीज का स्पार्टा से भी झगड़ा हो गया और वह फारस चला गया। इतना होने पर भी एथेंस उसकी वापसी के लिए इच्छुक था। अल्सीबाइडीज प्रजातन्त्र का विरोधी था और निरंकुश शासन चाहता था। अतः उसने लिखा कि फारस की सहायता तभी मिल सकती है जब एथेंस की प्रजा तान्त्रिक प्रणाली बदल दी जाये। 411 ई.पू. में प्रजातन्त्र को वर्गतन्त्र (ओलीगार्की) में बदल दिया गया। 410 ई.पू. में अल्सीबाइडीज एथेंस लौट आया। एथेंस लौटने पर उसका भरपूर स्वागत किया गया और उसे पुन जनरल बना दिया गया परन्तु कुछ दिन बाद फिर उस पर संदेह किया जाने लगा और उसे पद से अलग कर दिया गया। इसी दौरान स्पार्टा का जनरल फारस के राजा साइरस से मिल गया और उसने एथेंस पर आक्रमण कर दिया। एथेंस पराजित हुआ। एथेंस के अधिकारियों ने सेनानायकों से क्रुद्ध होकर सार्वजनिक सभा में उन्हें मृत्युदंड देने का प्रस्ताव रखा, जिसे जनसमूह का भरपूर समर्थन मिला। सेना नायकों की मृत्यु के पश्चात् 404 ई.पू. मे एथेंस की निर्बल सेना को कैद कर लिया गया। किले तोड़ दिये गये, प्रजातन्त्र नष्ट हो गया। साम्राज्य तो पहले ही नष्ट हो चुका था। एथेंस स्पार्टा युद्ध का परिणाम इस भयानक युद्ध का सर्वाधिक दुष्प्रभाव प्राचीन यूनानी सभ्यता व संस्कृति पर पड़ा। यूनान के बौद्धिक और सांस्कृतिक कला नगरों का संपूर्ण वैभव उजड गया और यूनानी संस्कृति में उत्थान का एक चरण समाप्त हो गया। इसके अतिरिक्त एथेंस की सप्रभुवता और उसके वर्चस्व को खत्म करने का स्पार्टा का स्वप्न पूरा हुआ युद्ध की भयानकता का परिणाम यह हुआ कि छोटे छोटे राज्यों और जागीरों में एकीकरण की भावना पलने लगी। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”8837″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध युद्ध वर्ड फेमस वार