एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर – एकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी Naeem Ahmad, October 18, 2019October 18, 2019 राजस्थान के शिव मंदिरों में एकलिंगजी टेम्पल एक महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय मंदिर है। एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर से लगभग 21 किलोमीटर दूर उदयपुर-नाथद्वारा-ब्यावर के राजमार्ग पर स्थित है। जहाँ के लिए बस सेवा नियमित रूप से उपलब्ध है। यह राजस्थान के प्रमुख मंदिरों में से एक है, औथ बडी संख्या में भक्तों द्वारा एकलिंगजी मंदिर के दर्शन किए जाते है।Contents1 एकलिंगजी मंदिर का निर्माण1.1 एकलिंगजी टेम्पल स्थापत्य1.2 एकलिंग जी के दर्शनीय स्थल2 एकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी – एकलिंगजी मंदिर का इतिहास2.0.1 एकलिंगजी टेम्पल दर्शन टाइम – एकलिंगजी टेम्पल उदैपुर दर्शन टाइम3 राजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—एकलिंगजी मंदिर का निर्माणएकलिंगजी मंदिर का निर्माण किसने किया इस संबंध में कई रोचक कथाएं प्रचलित है। जिनका सार यह है कि बाप्पा रावल ने हारीत राशि नामक साधु की बडी सेवा की। उक्त साधु की प्ररेणा से उसने राज्य विस्तार किया, कहते है कि जब साधु हारीत राशि विमान में बैठकर स्वर्ग की ओर जाने लगे तो उन्होंने बाप्पा रावल को बुलाया। किन्तु बाप्पा रावल निश्चित समय से कुछ देर बाद आएं, एवं विमान कुछ ऊपर ऊठ चुका था। साधु हारीत राशि, बाप्पा रावल के शरीर को अमर करना चाहते थे। अतएवं उन्होंने एक बीड़ा बाप्पा रावल के मुंह की ओर ऊपर उठते हुए विमान से डाला। किन्तु वह मुंह पर नहीं गिर कर पांव में जा गिरा। तब उक्त साधु ने कहा कि यह तो पांवो पर गिरा है। अतएवं मेवाड़ का राज्य तेरे वंशज बराबर भोगेंगे। इन कथाओं मे इतना अवश्य सत्य है कि एकलिंगजी टेम्पल का निर्माण हारीत राशि की प्रेरणा से बाप्पा रावल ने ही करवाया होगा।एकलिंगजी टेम्पल के सुंदर दृश्यएकलिंगजी टेम्पल स्थापत्यमंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर है। और चारों ओर एक परकोटा बना हुआ है। जिसका आधुनिकीकरण महाराणा मोकल (1477 – 1490 ई०) के समय में किया गया था। मंदिर में प्रवेश करते समय सामने एक मठ दिखाई देता है। इस मठ के उत्तरी ओर स्थित मार्ग मंदिर का मुख्य भाग है। इसमें प्रवेश करते ही कई छोटे बडे मंदिर दिखाई देते हैं। जो देधकुलिकाओ की तरह है। एकलिंगजी नाथ का मुख्य मंदिर पश्चिमाभिमुख है। इसके सामने भगवान शिव की सवारी नंदिकेश्वर की मूर्ति एवं कई सुदृढ़ लेख है। मंदिर के दाहिनी ओर के भाग की रथिका में 16 हाथों वाली त्रैलोक्य मोहन की प्रतिमा है। इस मंदिर का निर्माण निस्संदेह सूत्रधार मंडन ने किया था। क्योंकि मूर्तियों का स्वरूप उसके रूपमंडन आदि ग्रंथों के आधार पर बनाया गया है। मुख्य मंदिर के पीछे की ओर दो कुंड है। और कई छोटे छोटे शिव मंदिर है। दक्षिण की ओर सबसे उल्लेखनीय मंदिर “नाथ मंदिर” है। यह ऊपर की ओर बना हुआ है। इसके बाहर की रथिका में 1028 ईसवीं का शिलालेख खुदा हुआ है। तथा बाहर की दूसरी रथिका में सरस्वती जी की सुंदर प्रतिमा बनी हुई है। जो 10 वी शताब्दी की एक उत्कृष्ट कलाकृति है।एकलिंग जी के दर्शनीय स्थलएकलिंगजी में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त आसपास और भी कई स्थान दर्शनीय है जिनमें विंध्यवासिनी का मंदिर, राष्ट्र सेना का मंदिर, भतृहरि की गुफा, वाहोला तालाब, बाप्पा रावल स्थान, चीरवा का मंदिर, नागदा के प्राचीन देवालय, सास बहु का मंदिर, खुमाण रावल, दिगंबर जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर आदि प्रमुख है।एकलिंगजी टेम्पल के सुंदर दृश्यएकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी – एकलिंगजी मंदिर का इतिहासएकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री के अनुसार प्रारंभ में यह मंदिर लकुलीश सम्प्रदाय का केंद्र रहा है। साधु हारीत राशि जिनका का उल्लेख ऊपर किया गया है। इनकी शिष्य परंपरा का पूरा उल्लेख नहीं मिलता है। सन् 1331 और 1335 के चित्तौड़ के शिलालेखों में प्रसंगवश इनका उल्लेख किया गया है। अतएवं ऐतिहासिकता में संदेह नहीं है। सन् 1028 का एकलिंगजी मंदिर का शिलालेख लकुलीश सम्प्रदाय के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। इस लेख की शुरूआत ओम नमों लकुलीशय से हुई है। उक्त लेख की 12 वी पंक्ति से स्पष्ट होता है कि ये साधु शरीर पर भस्म लगाते, वृक्षों की छाल पहनते और सिर पर जटाओं का जूडा रखते थे। महाराणा कुम्भा के शासन काल मे बनी हारीत राशि की प्रतिमा भी उल्लेखनीय है। यह विंध्यवासिनी के सामने गुफा में रखी हुई है। इसके सिर पर जटाओं का जूडा आदि बना हुआ है। उक्त लेख के अंत कई साधुओं के नाम है जैसे सुपूजित राशि, सयोराशि आदि,वंदागमुनि नामक साधु का बड़े गौरव के साथ उल्लेख किया गया है। जिसने बौद्धों और जैनों को हराया था। सौभाग्य से जैनों की लाट, बागड़ की गुवविली मे भी इस घटना का वर्णन है। एकलिंगजी के समीप पालड़ी गांव से सन् 1171 ईसवीं का एक शिलालेख मिला है। जिसमें खंडेश्वर नामक साधु की परंपरा में हुए जनक राशि, त्रिलोचन राशि, वसंत राशि, वल्कलमुनि आदि के नाम है। एकलिंगजी के समीप स्थित चिरवा गांव से प्राप्त 1330 ईसवीं के शिलालेख में शिव राशि का उल्लेख है। जिसे पाशुपत-तपस्विपतिः कहा गया है। यह महेश्वर राशि का शिष्य था। ये साधु महाराणा कुम्भा (1490-1525) के शासन काल तक बराबर कार्य करते रहेथे। शिवानंद नामक साधु महाराणा कुम्भा का समकालीन था। ऐसी मान्यता है कि इसका कुम्भा से संघर्ष हो गया था, और यह काशी चला गया था। इसी कारण महाराणा कुम्भा के लेखों, एकलिंगजी महात्मय, एकलिंग पुराण, रायमल की एकलिंग प्रशस्ति आदि में इन साधुओं की बड़ी उपेक्षा की गई है। वापस नरहरि नामक साधु यहां आया प्रतीत होता है। इसका एक शिलालेख सन् 1592 ईसवीं का यहां से मिला है। सन् 1602 ईसवीं के एक गर्गाचार्य नामक साधु का उल्लेख है। कालांतर में इन साधुओं के स्थान पर दण्डी स्वामी साधु यहां लगाएं गए। इनमें रामानंद नामक साधु सबसे पहले यहां आये थे। आज भी इनकी परंपरा मे हुए महंत रहते है।एकलिंगजी टेम्पल के सुंदर दृश्य भगवान एकलिंगजी को मेवाड़ का अधिपति और महाराणा को दीवान कहा जाता रहा है। इसलिए इस मंदिर की सारी व्यवस्था आज भी महाराणा द्वारा संचालित एकलिंग ट्रस्ट द्वारा होती है। महाराणा जब भी मंदिर में प्रवेश करते थे, हाथ में सोने की छड़ी लेकर जाते थे। यह इस बात का घोतक हैकि वह एकलिंगजी का प्रतिहारी है। दीर्घकाल से मेवाड़ के शासक इस मंदिर की व्यवस्था के लिए कार्य करते रहे है। महाराणा हमीर के बाद के शिलालेखों में बराबर इसका उल्लेख मिलता है। महाराणा खेता ने इस मंदिर की व्यवस्था के लिए पनवाड़ नामक गांव भेंट किया था। महाराणा लाखा ने चीरवा गांव एवं उनके पुत्र मोकल ने वाधनवाड़ा, और रामा नामक गांव भेंट किए थे। मोकल के अंतिम दिनों में गुजरात के सुल्तान ने इस मंदिर पर आक्रमण किया और इसके कुछ भाग को खंडित कर दिया था। इसे महाराणा कुम्भा ने वापस बनवाकर सुशोभित किया। मंदिर की स्थिति गुजरात से दिल्ली जाने वाले मुख्य मार्ग पर होने के कारण यहा सदैव आक्रमणकारियों का भय बना रहता था। मालवे के सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी ने महाराणा रायमल के शासन काल मे भी इसे खंडित किया था। जिसका जिर्णोद्धार वापस उक्त महाराणा ने करवाया था। महाराणा कुम्भा ने एकलिंगजी टेम्पल की पूजा व्यवस्था के लिए नागदा, कठड़ावाणा, मलखेड़ा, और भीममाणा गांव भेंट किए थे। महाराणा रायमल ने नौवापुर गांव भेंट किया था। इस प्रकार लगभग सारे महाराणा इस प्रकार की व्यवस्था करते आ रहे थे। महाराणा भीमसिंह के समय जब मराठा के आक्रमण बहुत अधिक होने लगे और आंतरिक अव्यवस्था हो गई तब एकलिंगजी तालुक गांव पर भी दूसरों का अधिकार हो गया तब उक्त महाराणा ने लगभग तीन फीट लम्बा तामपत्र खुदवाकर के सारे गांवों को वापस भेंट किए थे। मंदिर में कई शिलालेख लग रहे है। इनमें सबसे प्राचीन 1028 ईसवीं का है। जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त महाराणा मोकल, रायमल, जगतसिंह, राजसिंह, संग्रामसिंह दितीय, भीमसिंह आदि के कई शिलालेख लगे हुए है। तथा 40 से भी अधिक तामपत्र यहां संग्रहित है। मंदिर की स्थिति नागदा और देलवाड़ा के प्रसिद्ध प्राचीन स्थानों के मध्य है। ये दोनों जैन और वैष्णव तीर्थ स्थल है। अतएवं इसका महत्व बहुत ही अधिक है।एकलिंगजी टेम्पल दर्शन टाइम – एकलिंगजी टेम्पल उदैपुर दर्शन टाइमएकलिंगजी टेम्पल दर्शन टाइम व पूजा की व्यवस्था भी उल्लेखनीय हैं। प्रतिदिन तीन बार पूजा है। एक बार सुबह, दूसरी बार दोपहर, तथा तीसरी बार सांयकाल। तीनों बार तीन तीन आरतीया होती है। मंत्रोच्चार के साथ इस प्रकार की पूजा बहुत ही कम जगह देखने को मिलती है। साल में कई बार उत्सव होते है। इनमें अक्षय तृतीया तथा शिवरात्रि आदि के उत्सव उल्लेखनीय है।प्रिय पाठकों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएँ। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है।प्रिय पाठकों यदि आपके आसपास कोई धार्मिक, ऐतिहासिक या पर्यटन महत्व का स्थल है जिसके बारे में आप पर्यटकों को बताना चाहते है। तो आप अपना लेख कम से कम 300शब्दों में हमारे submit a post संस्करण में जाकर लिख सकते है। हम आपके द्वारा लिखे गए लेख को आपकी पहचान के साथ अपने इस प्लेटफॉर्म पर जरूर शामिल करेगेंराजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— मांउट आबू के पर्यटन स्थल – माउंट आबू दर्शनीय स्थल पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेष कर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और जोधपुर ( ब्लू नगरी) jodhpur blue city – जोधपुर का इतिहास जोधपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में वहाँ की एतिहासिक इमारतों वैभवशाली महलों पुराने घरों और प्राचीन अजमेर 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चित्तौडगढ दुर्ग भारत का सबसे बडा किला इतिहास में वीरो की भूमि चित्तौडगढ का अपना विशेष महत्व है। उदयपुर से 112 किलोमीटर दूर चित्तौडगढ एक ऐतिहासिक व जैसलमेर के दर्शनीय स्थल – जैसलमेर के टॉप 10 टूरिस्ट पैलेस जैसलमेर भारत के राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत और ऐतिहासिक नगर है। जैसलमेर के दर्शनीय स्थल पर्यटको में काफी प्रसिद्ध अजमेर का इतिहास – अजमेर हिस्ट्री इन हिन्दी अजमेर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्राचीन शहर है। अजमेर का इतिहास और उसके हर तारिखी दौर में इस अलवर के पर्यटन स्थल – अलवर में घूमने लायक टॉप 5 स्थान अलवर राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत शहर है। जितना खुबसूरत यह शहर है उतने ही दिलचस्प अलवर के पर्यटन स्थल उदयपुर दर्शनीय स्थल – उदयपुर के टॉप 15 पर्यटन स्थल उदयपुर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर है। उदयपुर की गिनती भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में भी नाथद्वारा दर्शन – नाथद्वारा का इतिहास – नाथद्वारा टेम्पल हिसट्री इन हिन्दी वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों, मैं नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन कोटा दर्शनीय स्थल – टॉप 10 कोटा टूरिस्ट प्लेस चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा राजस्थान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। रेगिस्तान, महलों और उद्यानों के कुम्भलगढ़ का इतिहास – कुम्भलगढ़ का किला राजा राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य में झुंझुनूं के पर्यटन स्थल – झुंझुनूं के टॉप 5 दर्शनीय स्थल झुंझुनूं भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राजस्थान को महलों और भवनो की धरती भी कहा जाता पुष्कर सरोवर तीर्थ यात्रा – पुष्कर झील का धार्मिक महत्व भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मे स्थित पुष्कर एक प्रसिद्ध नगर है। यह नगर यहाँ स्थित प्रसिद्ध पुष्कर करणी माता मंदिर – चूहों वाला मंदिर के अद्भुत रहस्य बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर, करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर बीकानेर पर्यटन स्थल – बीकानेर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल जोधपुर से 245 किमी, अजमेर से 262 किमी, जैसलमेर से 32 9 किमी, जयपुर से 333 किमी, दिल्ली से 435 जयपुर पर्यटन स्थल – जयपुर टूरिस्ट प्लेस – जयपुर सिटी के टॉप 10 आकर्षण भारत की राजधानी दिल्ली से 268 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर, जिसे गुलाबी शहर (पिंक सिटी) भी कहा जाता सीकर पर्यटन स्थल – सीकर का इतिहास व टॉप 6 दर्शनीय स्थल सीकर सबसे बड़ा थिकाना राजपूत राज्य है, जिसे शेखावत राजपूतों द्वारा शासित किया गया था, जो शेखावती में से थे। भरतपुर पर्यटन स्थल -भरतपुर के टॉप 8 टूरिस्ट प्लेस भरतपुर राजस्थान की यात्रा वहां के ऐतिहासिक, धार्मिक, पर्यटन और मनोरंजन से भरपूर है। पुराने समय से ही भरतपुर का बाड़मेर पर्यटन स्थल – बाड़मेर के टॉप 8 दर्शनीय स्थल 28,387 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ बाड़मेर राजस्थान के बड़ा और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। राज्य के दौसा पर्यटन स्थल – दौसा राजस्थान के टॉप 7 दर्शनीय स्थल दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है, धौलपुर पर्यटन स्थल – धौलपुर राजस्थान के टॉप10 आकर्षण धौलपुर भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह लाल रंग के सैंडस्टोन (धौलपुरी पत्थर) के लिए भीलवाड़ा पर्यटन स्थल – भीलवाड़ा राजस्थान के टॉप20 दर्शनीय स्थल भीलवाड़ा भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर और जिला है। राजस्थान राज्य का क्षेत्र पुराने समय से पाली पर्यटन स्थल – पाली राजस्थान के टॉप टूरिस्ट प्लेस पाली राजस्थान राज्य का एक जिला और महत्वपूर्ण शहर है। यह गुमनाम रूप से औद्योगिक शहर के रूप में भी जालोर का इतिहास – जालोर के टॉप पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल जोलोर जोधपुर से 140 किलोमीटर और अहमदाबाद से 340 किलोमीटर स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित, राजस्थान राज्य का एक टोंक पर्यटन स्थल – टोंक जिले के टॉप 9 दर्शनीय स्थल टोंक राजस्थान की राजधानी जयपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है। और राजस्थान राज्य का राजसमंद पर्यटन स्थल – राजसमंद जिले के टॉप 10 ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल राजसमंद राजस्थान राज्य का एक शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। राजसमंद शहर और जिले का नाम राजसमंद झील, 17 सिरोही का इतिहास – सिरोही पर्यटन स्थल – सिरोही के दर्शनीय स्थल सिरोही जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह उत्तर-पूर्व में जिला पाली, पूर्व में जिला उदयपुर, पश्चिम में करौली आकर्षक स्थल – करौली राजस्थान के टॉप दर्शनीय स्थल करौली राजस्थान राज्य का छोटा शहर और जिला है, जिसने हाल ही में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है, अच्छी सवाई माधोपुर आकर्षक स्थल – सवाई माधोपुर राजस्थान मे घूमने लायक जगह सवाई माधोपुर राजस्थान का एक छोटा शहर व जिला है, जो विभिन्न स्थलाकृति, महलों, किलों और मंदिरों के लिए जाना नागौर के ऐतिहासिक स्थल – नागौर का मौसम, तापमान राजस्थान राज्य के जोधपुर और बीकानेर के दो प्रसिद्ध शहरों के बीच स्थित, नागौर एक आकर्षक स्थान है, जो अपने बूंदी इंडिया दर्शनीय स्थल – बूंदी राजस्थान के ऐतिहासिक, पर्यटन स्थल बूंदी कोटा से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर और राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। बारां जिला आकर्षक स्थल – बारां के टॉप पर्यटन, ऐतिहासिक, टूरिस्ट प्लेस कोटा के खूबसूरत क्षेत्र से अलग बारां राजस्थान के हाडोती प्रांत में और स्थित है। बारां सुरम्य जंगली पहाड़ियों और झालावाड़ के ऐतिहासिक स्थल – झालावाड़ के टॉप 12 दर्शनीय स्थल झालावाड़ राजस्थान राज्य का एक प्रसिद्ध शहर और जिला है, जिसे कभी बृजनगर कहा जाता था, झालावाड़ को जीवंत वनस्पतियों हनुमानगढ़ का किला – हनुमानगढ़ ऐतिहासिक स्थल – हनुमानगढ़ पर्यटन स्थल हनुमानगढ़, दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित है। हनुमानगढ़ एक ऐसा शहर है जो अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व चूरू का इतिहास, किला, पर्यटन, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। जिले को। द गोगामेड़ी का इतिहास, गोगामेड़ी मेला, गोगामेड़ी जाहर पीर बाबा गोगामेड़ी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की मान्यता राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों तेजाजी की कथा – प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला भारत में आज भी लोक देवताओं और लोक तीर्थों का बहुत बड़ा महत्व है। एक बड़ी संख्या में लोग अपने शील की डूंगरी चाकसू राजस्थान – शीतला माता की कथा शीतला माता यह नाम किसी से छिपा नहीं है। आपने भी शीतला माता के मंदिर भिन्न भिन्न शहरों, कस्बों, गावों सीताबाड़ी का इतिहास – सीताबाड़ी का मंदिर राजस्थान सीताबाड़ी, किसी ने सही कहा है कि भारत की धरती के कण कण में देव बसते है ऐसा ही एक गलियाकोट दरगाह राजस्थान – गलियाकोट दरगाह का इतिहास गलियाकोट दरगाह राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागबाडा तहसील का एक छोटा सा कस्बा है। जो माही नदी के किनारे श्री महावीरजी टेम्पल राजस्थान – महावीरजी का इतिहास यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैन धर्मावलंबियों के अनगिनत तीर्थ स्थल है। लेकिन आधुनिक युग के अनुकूल जो कोलायत मंदिर के दर्शन – कोलायत का इतिहास प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम उस पवित्र धरती की चर्चा करेगें जिसका महाऋषि कपिलमुनि जी ने न केवल मुकाम मंदिर राजस्थान – मुक्ति धाम मुकाम का इतिहास मुकाम मंदिर या मुक्ति धाम मुकाम विश्नोई सम्प्रदाय का एक प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। इसका कारण कैला देवी मंदिर करौली राजस्थान – कैला देवी का इतिहास माँ कैला देवी धाम करौली राजस्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहा कैला देवी मंदिर के प्रति श्रृद्धालुओं की ऋषभदेव मंदिर उदयपुर – केसरियाजी ऋषभदेव मंदिर राजस्थान राजस्थान के दक्षिण भाग में उदयपुर से लगभग 64 किलोमीटर दूर उपत्यकाओं से घिरा हुआ तथा कोयल नामक छोटी सी हर्षनाथ मंदिर सीकर राजस्थान – जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर हर्ष नामक एक रामदेवरा का इतिहास – रामदेवरा समाधि मंदिर दर्शन, व मेला राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम रूणिचा धाम अथवा रामदेवरा मंदिर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक तीर्थ है। यह नाकोड़ा जी का इतिहास – नाकोड़ा जी भैरव चालीसा नाकोड़ा जी तीर्थ जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग के बलोतरा जंक्शन से कोई 10 किलोमीटर पश्चिम में लगभग केशवरायपाटन का मंदिर – केशवरायपाटन मंदिर का इतिहास केशवरायपाटन अनादि निधन सनातन जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनीसुव्रत नाथ जी के प्रसिद्ध जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र गौतमेश्वर महादेव मंदिर अरनोद राजस्थान – गौतमेश्वर मंदिर का इतिहास राजस्थान राज्य के दक्षिणी भूखंड में आरावली पर्वतमालाओं के बीच प्रतापगढ़ जिले की अरनोद तहसील से 2.5 किलोमीटर की दूरी रानी सती मंदिर झुंझुनूं राजस्थान – रानी सती दादी मंदिर हिस्ट्री इन हिन्दी सती तीर्थो में राजस्थान का झुंझुनूं कस्बा सर्वाधिक विख्यात है। यहां स्थित रानी सती मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां सती ओसियां का इतिहास – सच्चियाय माता मंदिर ओसियां राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। डिग्गी कल्याण जी की कथा – डिग्गी धाम कल्याण जी टेम्पल डिग्गी धाम राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर टोंक जिले के मालपुरा नामक स्थान के करीब रणकपुर जैन मंदिर समूह – रणकपुर जैन तीर्थ का इतिहास सभी लोक तीर्थों की अपनी धर्मगाथा होती है। लेकिन साहिस्यिक कर्मगाथा के रूप में रणकपुर सबसे अलग और अद्वितीय है। लोद्रवा जैन मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ लोद्रवा जैन टेंपल भारतीय मरूस्थल भूमि में स्थित राजस्थान का प्रमुख जिले जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लोद्रवा अपनी कला, संस्कृति और जैन मंदिर गलताजी मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ गलताजी धाम जयपुर नगर के कोलाहल से दूर पहाडियों के आंचल में स्थित प्रकृति के आकर्षक परिवेश से सुसज्जित राजस्थान के जयपुर नगर के सकराय माता मंदिर या शाकंभरी माता मंदिर सीकर राजस्थान हिस्ट्री इन हिंदी राजस्थान के सीकर जिले में सीकर के पास सकराय माता जी का स्थान राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक बूंदी राजपूताना की वीर गाथा – बूंदी राजस्थान राजपूताना केतूबाई बूंदी के राव नारायण दास हाड़ा की रानी थी। राव नारायणदास बड़े वीर, पराक्रमी और बलवान पुरूष थे। उनके सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुर राजस्थान जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा मुबारक महल कहां स्थित है – मुबारक महल सिटी प्लेस राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है, चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थान राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक भवनों का मोर-मुकुट चंद्रमहल है और इसकी सातवी मंजिल ''मुकुट मंदिर ही कहलाती है। जय निवास उद्यान जयपुर – जय निवास गार्डन राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों और भवनों के बाद जब नगर के विशाल उद्यान जय तालकटोरा जयपुर – जयपुर का तालकटोरा सरोवर राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर प्रासाद औरजय निवास उद्यान के उत्तरी छोर पर तालकटोरा है, एक बनावटी झील, जिसके दक्षिण बादल महल कहां स्थित है – बादल महल जयपुर जयपुर नगर बसने से पहले जो शिकार की ओदी थी, वह विस्तृत और परिष्कृत होकर बादल महल बनी। यह जयपुर माधो विलास महल का इतिहास हिन्दी में जयपुर में आयुर्वेद कॉलेज पहले महाराजा संस्कृत कॉलेज का ही अंग था। रियासती जमाने में ही सवाई मानसिंह मेडीकल कॉलेज 1 2 Next » भारत के पर्यटन स्थल भारत 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