उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं और इतिहास Naeem Ahmad, February 19, 2023March 24, 2024 उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं उड़ीसा में भुवनेश्वर के पास पुरी जिले में है। यह स्थान बालाजी बाजीराव और हैदराबाद के निजाम सलाबतजंग के मध्य 1759 ई० में हुए युद्ध का कारण भी प्रसिद्ध था। इस युद्ध में निजाम की हार हुई थी। फलस्वरूप उसे मराठों को 62 लाख रु सालाना आमदनी वाली भूमि तथा असीरगढ़, दौलताबाद, बीजापुर, अहमद नगर और बुरहानपुर के किले देने पड़े थे। उदयगिरि और खंडगिरि गुफाओं का इतिहास उदयगिरि की पहाड़ियों में कुछ गुफ़ाएं पाई गई हैं, जिनमें दूसरी शताब्दी ई०पू० में बौद्ध भिक्षु रहा करते थे। इनमें स्वर्ग हाथी, विजय, चीता, गणेश और रानी गुफा अधिक प्रसिद्ध हैं। यहाँ प्राप्त एक शिलालेख से चंद्रगुप्त द्वितीय के प्रशासन और उसके मंत्रियों के बारे में जानकारी मिली है। इसमें उल्लेख है कि राजा के कई मंत्री होते थे और उनमें विष्णु, वराह देव तथा गंगा-यमुना की मूर्तियाँ मिलने के साथ-साथ हाथी गुफा में एक शिलालेख भी मिला है, जिससे कलिंग के राजा खारवेल (24 ई०प०) के बारे में जानकारी मिलती है। इस लेख से पता चलता है कि खारवेल चेदि वंश का तीसरा सम्राट था। उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं उसने अपने प्रारंभिक जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। वह सोलहवें वर्ष में राजकुमार और चौबीसवें वर्ष में कलिंग का शासक बना। उसने कलिंगाधिपति की उपाधि धारण की। वह एक लोक कल्याणकारी शासक था। उसने अपने राज्य की सेना को शक्तिशाली बनाया। उसने राष्ट्रिकों और वज्जियों को पराजित किया और सातवाहनों को ललकारा। उसने मगध नरेश वृहस्पति मित्र को भी हराया और उससे अपनी पाद-वंदना कराई। खारवेल ने दक्षिण के पांड्य नरेश पर आक्रमण करके उससे काफी धन-संपत्ति प्राप्त की। वह जैन धर्मावलंबी था। उसने जैन साधुओं के लिए अनेक गुफाएँ बनवाईं। इसी लेख ज्ञात हुआ है कि खारवेल ने अपनी रानी के लिए उदयगिरि में 65 लाख कर्षापाण की लागत से एक महल बनवाया था। उदयगिरि में 401 ईस्वी का दरीगृह शैली का एक विष्णु मंदिर (ग्रीष्म निवास जैसा, जिसमें बहुत से दरवाजे खिड़कियां होते हैं) पाया गया है।उदयगिरि की बौद्ध गुफाओं की नक्काशी देखने योग्य है। इन गुफाओं में रानी गुफा की स्थापत्य कला आकर्षक है। उदयगिरि से कुछ मिनट के पैदल रास्ते पर ही खंडगिरि की गुफाएँ हैं। इनमें अनंत गुफा सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह गुफा खंडगिरि पर्वत की चोटी तक जाती है। चोटी पर अट्ठारहवीं शताब्दी में बना पारसनाथ का एक मंदिर है। एक पत्थर पर सभी चौबीस तीर्थंकारों की मूर्तियाँ गढ़ी हैं। पहाड़ी पर कई अन्य हिंदू तथा जैन मंदिर हैं। उदयगिरि तथा खंडगिरि की गुफाएँ भुवनेश्वर के बिल्कुल पास होने के कारण इन्हें देखकर रात को वापस भुवनेश्वर आया जा सकता है अथवा आगे कोणार्क (65 किमी) या पुरी जाया जा सकता है। इन्हें देखने के लिए नवंबर से मार्च तक का समय सबसे अच्छा रहता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”6188″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल अद्भुत गुफाएंउडीसा के हिल स्टेशनउडीसा टूरिस्ट पैलेसउडीसा पर्यटन