ईद मिलादुन्नबी कब मनाया जाता है – बारह वफात क्यों मनाते है और कैसे मनाते है Naeem Ahmad, August 4, 2021March 10, 2023 ईद मिलादुन्नबी मुस्लिम समुदाय का प्रसिद्ध और मुख्य त्यौहार है। भारत के साथ साथ यह पूरे विश्व के मुस्लिम समुदाय में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस्लाम के संदेशवाहक हजरत मुहम्मद का जन्म रबी अववल की 2 तारीख को 571 ई. में हुआ था। इस दिन को “ईद मिलाद-उन-नबी” ( ईद मिलादुन्नबी ) या “बारह वफात” भी कहते हैं। क्योंकि उनकी मृत्यु भी इसी तिथि को हुई थी। ईद का शाब्दिक अर्थ प्रसन्नता होता है। हजरत मुहम्मद (सल्लाहो अलैहेव सललम) अरब के नगर मक्का में “बनिहाशिम” के कुरैश वंश में पैदा हुए थे। आप के पिताश्री का नाम अब्दुल्लाह और माताजी का नाम आमना था। ईद मिलादुन्नबी या बारह वफात की जानकारी इन हिन्दीअरब का यह काल निरक्षरता व बेरहमी का था। यहां औरतों को जानवरों की तरह रखा जाता था, यहां तक कि लड़की के जन्म होने पर उस का गला घोंट कर मार दिया जाता था। खानदानी झगड़े, शराबनोशी, कत्ल-व-गारत आम बातें थीं। हजरत मुहम्मद के पिता का निधन, उनके जन्म से पहले ही हो गया था, इसलिए आप का पालन-पोषण दादा अब्दुल मुतल्लिब के पास हुआ। पांव-पांव चलने लगे तो भाइयों के साथ बकरियां चराने जाते। कुछ बड़े हुए तो माताजी और दादा का साया भी सिर से उठ गया। आठ वर्ष की आयु से अपने चाचा अबुतालिब के पास रहने लगे। ईद मिलादुन्नबी त्यौहार हजरत मुहम्मद (सल्लाहो अलैहेव सल्लम) बचपन ही से शिष्ट एवं शांतभाव के थे। पहले पहले मजदूरी पर बकरियां चरायीं फिर व्यवसाय शुरू कर दिया। ईमानदार इस प्रकार थे कि लोग उन्हें “सादिक” अर्थात सच्चा और “अमीन” अर्थात् अमानतवाला कहने लगे। पच्चीस साल की आयु में अपने से बड़ी उम्र की विधवा हजरत खदीजा से ब्याह कर के उन्होंने एक मिसाल कायम की। क्योंकि उस काल में औरत को अच्छी नजर से देखा नहीं जाता था। हजरत मुहम्मद (सल्लाहो अलैहेव सलल्लम) अपना ध्यान खुदा की तरफ लगाते और अधिकतर “हिरा” नामक पहाड़ के गुफा में चले जाते। चालीस साल की आयु में खुदा की तरफ से हजरत जिबरईल संदेश लाए कि आप नबी (खुदा का संदेशवाहक) बना दिए गए। यह बहुत बड़ी जिम्मेवारी थी। हजरत मुहम्मद मिसाली जीवन व्यतीत करते थे। पुण्य करना, कमजोरों के काम आना और व्यक्तिगत दुःख-दर्द को खुशी से बर्दाश्त करना उनकी रुचि थी। हजरत ने इस्लाम का संदेश लोगों में फैलाना शुरू किया। उनके चरित्र के प्रभाव से इस्लाम हर ओर फैलता चला गया। इस्लाम में सभी मनुष्यों को बराबरी स्थान प्राप्त है। इस्लाम के बराबरी के संदेश ने भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। लेकिन जब हजरत मुहम्मद की ख्याति ज्यादा फैलने लगी तो उनके दुश्मनों ने अपनी शक्ति कम हो जाने के भय से उनको तरह-तरह से सताना शुरू किया। जब स्थिति बर्दाश्त से बाहर हो गई तो हजरत मुहम्मद (सल्लाहो अलैहेव सल्लम) मक्का से हिजरत करके मदीना चले गए। उस समय वे 52 वर्ष के थे। उनकी हिजरत से इस्लामी वर्ष अर्थात ‘हिजरी” शुरू होता है। मदीना जाकर उन्होंने वहां मस्जिद बनायी। जब वहां भी लोग उनकी सच्चाई, अमन पसंद और जुल्म का विरोध करने की आदत से उनके दुश्मन बन गए तो मजबूरी में उनको कई बार युद्ध भी करना पड़ा। हिजरत के दस वर्ष के बाद आपने मक्का जाकर आखिरी हज किया और “अरफात” के मैदान में एक यादगार नसीहत दी, जिस में मुसलमानों को कमजोरों पर जुल्म न करने, किसी का हक न मारने, औरतों बच्चों और नौकरों के साथ नरमी बरतने, हलाल कमाई खाने और रोज़ाना नमाज, हज और जकात (यानी धन का चालीसवां भाग जो सालभर के बाद खुदा की राह में दिया जाए) देने की हिदायत की। मृत्यु के समय आप की आयु तिरसठ वर्ष थी और आप खुदा के अंतिम संदेशवाहक थे। आप ने मुसलमानों को सादगी, सच्चाई और ईमानदारी का पाठ दिया। ईद मिलादुन्नबी से पहले की रात में एक समय ऐसा आता है कि मुंह मांगी प्रार्थना कुबुल हो जाती है। हजरत मुहम्मद के जीवन के बारे में सभाएं होती हैं। इनको “जल्स-ए-सीरतुन्नबी” कहते हैं। बारह वफात के दिन लोग कब्रिस्तान जाकर अपने प्रिय और बुजुर्गों की कब्रों पर फातिहा पढ़ते हैं और उनकी आत्माओं की शांति की प्रार्थना करते हैं। इस दिन पड़ोसियों, संबंधियों में शीरीनी बांटी जाती हैं और गरीबों को खाना खिलाया जाता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें—– [post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार