इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की तथा इलेक्ट्रॉन किसे कहते है Naeem Ahmad, March 7, 2022March 12, 2022 इंग्लैंड के वैज्ञानिक जे जे थाम्सन ने सन् 1897 में इलेक्ट्रॉन की खोज की। उन्होंने यह भी सिद्ध कर दिया कि पदार्थ में इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह उन दिनों की बात है जब वैज्ञानिकों के सामने कैथोड-रे की आंतरिक रचना का जटिल प्रश्न उपस्थित था। कैथोड किरण की सबसे पहले एक अन्य अंग्रेज वैज्ञानिक सर विलियम क॒क्स मे खोज की थी। उन्होंने एक शीशे की नली में से वायु निकाल कर उसे शून्य किया और बाद में एक प्रबल वोल्टेज की विद्युत का डिस्चार्ज कर उसे खोज निकाला। इसी शून्य नली का प्रयोग करते हुए बाद में राष्ट्जन ने एक्सरे किरणों की खोज की थी। इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की उन दिनो दो बातों पर बड़ी गर्मजोशी से विचार हो रहा था। थाम्सन का विचार था कि कैथोड किरणे विद्युताविष्ट कणों का एक समूह होती हैं, जब कि अन्य वैज्ञानिकों का विचार था कि इन किरणों और विद्युत कणों में काफी भिन्नता है और ये दोनो अलग-अलग चीजें हैं। विरोधी पक्ष की बात भी सही जान पड़ती थी क्योंकि कैथोड किरणें जब नली में शीशे से जाकर टकराती थीं तो एक अद्भुत रोशनी चमक के साथ पैदा होती थी परंतु इसके विपरीत इलेक्ट्रॉनों को आंखों से देखा नहीं जा सकता था। परंतु थाम्सन ने अपने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध कर दिया कि कैथोड किरण किरण न होकर विद्युताविष्ट कणों की एक अविरल धारा है। थाम्सन इससे पूर्व यह भी सिद्ध कर चुके थे कि कैथोड किरण को किसी भी चुम्ब॒कीय क्षेत्र अथवा विद्युत द्वारा विचलित किया जा सकता है। इसका भी सीधा अर्थ यही निकलता था कि कैथोड किरण इलेक्ट्रॉन कणों का एक पुंज है। इतना ही नहीं, थाम्सन ने इलेक्ट्रॉन का भार ज्ञात करने में भी सफलता पायी।उन्होंने सिद्ध किया कि इलेक्ट्रॉन हाइड्रोजन के अणु का 1/2000 भाग होता है। उन्होने इलेक्ट्रॉन की गति का भी हिसाब लगाया और पाया कि इलेक्ट्रॉन की गति प्रति सेकंड 25,60,00 किमी. है। इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन की खोज से आज टेलीविजन जैसे उपयोगी उपकरण का विकास संभव हो पाया। टेलीविजन की ट्यूब वास्तव में एक कैथोड-रे ट्यूब ही है। जिसके अंदर विद्युन्मय कणो को तेज गति के साथ विचलित किया जाता है। इस विचलन से चित्र की प्रतिकृति प्राप्त होती है, जो वास्तविक मनुष्य की हूबहू आकृति प्रकट करती है। परंतु कुछ वैज्ञानिक विद्युत-कणो अर्थात् इलेक्ट्रॉनों की सत्ता स्वीकार करने से कतरा रहे थे। तब थाम्सन के एक शिष्य चार्ल्स टी. आर, विल्सन ने ईलेक्ट्रॉन की फोटो लेने का बीड़ा उठाया! परन्तु थाम्सन को यह बात असंभव लगी। इसका कारण यह था कि इलेक्ट्रॉन स्वयं सबसे हल्के तत्व हाइड्रोजन के एक अणु का दो हजारवां भाग था। फिर उसकी फोटो की कल्पना कैसे की जा सकती थी। परंतु विल्सन ने कई वर्षो तक कडा परीक्षण कर एक ऐसा उपकरण बनाने मे सफलता पा ही ली, जिससे इलेक्ट्रॉन का चित्र लेना संभव हो गया। इस उपकरण का नाम था ‘विल्सन क्लाउड चैम्बर’। इसके लिए विल्सन को नोबल पुरस्कार दिया गया थाम्सन के इलेक्ट्रॉन की खोज इस तरह पूर्ण हो चुकी थी। इलेक्ट्रॉन की सत्ता की एक स्वर से सबने स्वीकारा। अब इलेक्ट्रॉन का भार, गति और उसका चित्र भी उतारा जा चुका था। बाद में थाम्सन के पुत्र जार्ज पेजेट थाम्सन ने भी अपने पिता के कार्य को और आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योग दिया। सन् 1937 में उन्हें स्फटिकों द्वारा इलेक्ट्रॉनों के दिशांतरण (डिफ्लेक्शन) विषय पर भौतिकी का नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े [post_grid id=’8586′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व की महत्वपूर्ण खोजें प्रमुख खोजें