इत्र का आविष्कार किसने किया और कब हुआ Naeem Ahmad, July 15, 2022February 27, 2024 कृत्रिम सुगंध यानी इत्र का आविष्कार संभवतः सबसे पहले भारत में हुआ। प्राचीन भारत में इत्र द्रव्यो का निर्यात मिस्र, बेबीलोन, यूनान, चीन, तिब्बत, जापान और ईरान आदि देशों में होता था। प्राचीन काल से ही भारत में मंदिरों हवनों आदि में धूप, चंदन से बनें सुगंधित पदार्थों के उपयोग की प्रथा रही है। इसके बाद पर्सिया के अग्नि मंदिरों, सूफियों के उपासना ग्रहों, बर्मा और जापान के पगोड़ा, तिब्बत के लामा मंदिरों आदि में सुगंधित द्रव्य जलाने की प्रथा प्रचलित हुई।ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता हैप्राचीन काल से ही भारत का पश्चिमी देशों से व्यवसायिक संबंध रहा है। यहां से चन्दन, केशर, कस्तूरी, अगरू आदि अनेक प्रकार के सुगंधित पदार्थ अनेक वस्तुओं के साथ बाहर भेजें जातें थे। मिस्र, यूनान, बेबीलोन, रोम आदि देशों में इन सुगंधित पदार्थों का उपयोग विलासिता की वस्तुओं के रूप में होता था। बेबीलोन और असिरिया के लोग बालों में सुगंधित तेल लगाया करते थे। रोम में प्राचीन काल में इत्र के उपयोग का बड़ा रिवाज़ था। एथेंस की शाही दावतों में गुलाब अथवा अन्य सुगंधित फूलों के अर्क से मिश्रित मदिरा का सेवन होता था। रोम की इतिहास प्रसिद्ध साम्राज्ञी किलयोपेट्रा को इत्र का बहुत शौक था।डायनेमो का आविष्कार किसने किया और डायनेमो का सिद्धांतइत्र का आविष्कार किसने किया और कब हुआरोमन साम्राज्य के पतन के बाद इत्र का उपयोग यूरोप के अंधकारमय युग में न जाने कहां विलीन हो गया। यूरोप में जाग्रति के युग के आगमन के साथ इत्र की निर्माण कला फिर से पश्चिमी देशों में पहुंची। फ्रांस तो लगभग पांच सौ वर्षों से विभिन्न प्रकार के इत्रो के उत्पादन और उपयोग का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। भारत में वैदिक काल से सुगंधित पदार्थों का अग्नि कुंड में हवन किया जाता था। और इस प्रकार आसपास के वातावरण की वायु शुद्ध हो जाती थी। रामायण और महाभारत काल में नगरीय सभ्यता उच्च स्तर तक पहुंच चुकी थी। स्त्रियां विभिन्न प्रकार के सुगंधित पदार्थों का इस्तेमाल श्रंगार के रूप में करती थी।इत्रगुलाब के इत्र का आविष्कार संभवतः सबसे पहले बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां ने किया था। पानी से भरे हौज में तैरते हुए गुलाब के फूलों आसपास एक प्रकार के चिकने तेल पदार्थ इकट्ठा होते देखकर उसके दिमाग में इसके इत्र का विचार आया था। उसने इस चिकने पदार्थ को इकट्ठा किया और पाया कि इसे कई दिनों तक सुरक्षित रखकर सुगंध प्राप्त की जा सकती है। इसके बाद उसने गुलाब के अर्क को निकालने का आदेश दिया। और इस प्रकार गुलाब के इत्र का आविष्कार हुआ।बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआआजकल इत्र तैयार करने और उसकी सुगंध को अधिक मनमोहक बनाने की अनेक विधियां ढूंढ ली गई। पहले लोग सुगंधित पौधों के फूल अथवा चांद की रस निकालकर उसे जैतून अथवा अन्य तेलों में मिलाकर इत्र बनाते थे। मध्य युग के आत्तारो को इत्र बनाने के लिए स्प्रिट के उपयोग का पता चला। इत्र बनाना एक बहुत बडी कला हु। इत्र बनाने वाले इत्र बनाने की नयी -नयी चीजा की खोज मे रहते है ओर प्रयोग करते रहते है। कभी-कभी नये इत्र को तयार करने में वर्षो लग जाते हैं।रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआफिलीपाइन के ‘यलाल’ फूल, जावा की ‘वटिवर’ जड़, अल्जीरिया के ‘जेरानियम’ फूल, भारत और अन्य देशोंमे पाए जाने वाले गुलाब, चमेली, केशर रजनीगंधा, कंमुदिनी, रात-रानी, चम्पा चंदन आदि सेकडो चीजे इत्र बनाने के काम में आती हैं। रासायनिक विश्लेषण से यह पता चला है कि किसी भी फूल अथवा पौधे के तेल या अर्क में विभिन्न सुगंधित तत्त्व लगभग निश्चित मात्रा में मौजूद रहते हैं। और अब तो कोलतार क्रूड ऑयल आदि सस्ते पदार्थों से भी सुगंधित पदार्थ बनाए जाते है। रसायन शास्त्रियों ने अनेक ऐसे सेंट तैयार किए हैं, जिनकी सुगंध प्रकृति में प्राप्त नही है।बिजली का आविष्कार किसने किया और कब हुआइत्र तैयार करने के आज सबसे अनोखे आधार है। पशुओ के शरीर से निकले हुए पदार्थ जिनमे कई तो बड दुर्गंधमय है, व्हेल मछली से प्राप्त मोम, हिरण के शरीर से प्राप्त कस्तूरी, चूहे, बिल्ली आदि के ग्लेंड (ग्रंथिया)। अमेरिका के न्यूजर्सी नगर मे 15 मिनट मे लगभग 60 गैलन इत्र तैयार होता है। वहा की इत्र की फैक्टरियों मे कोलतार पाइप ओक वृक्ष का तेल, लॉग, जायफल, सुंगधित घास, एसिड स्पिरिट तथा तारपीन के तेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है।कांच का आविष्कार किसने किया और कब हुआगुलाब का तेल एक बहुमूल्य सुगंधित पदार्थ है, जो आसवन सयंत्र से निकाला जाता है। इसका उत्पादन बुल्गरिया, रूस, टर्की, मोरक्को और भारत में कन्नौज, अलीगढ़ और गाजीपुर में किया जाता है। भारत में इसे अब तक पुरानी विधि से ही निकाला जाता था, परन्तु लखनऊ की राष्ट्रीय प्रयोगशाला केन्द्रीय औषधीय ओर सुगंध पौधा संस्थान ने आधुनिक ओर कारगर विधि ढूंढ निकाली है और एक आसवन संयंत्र तैयार किया है। इसमें बढ़िया किस्म का शुद्ध गुलाब का तेल तैयार किया जाता है। गुलाब का अर्क सौंर्दय प्रसाधनों और चिकित्सा में भी प्रयुक्त किया जाता है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-[post_grid id=”8586″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व के प्रमुख आविष्कार प्रमुख खोजें