1999 के सैफ खेलों में सबसे तेजी से अंतरराष्ट्रीय गोल बनाने वाले फुटबॉल खिलाड़ी आई एम विजयन का पूरा नाम इंवलप्पिल मनी विजयन है। आई एम विजयन का जन्म 25 अप्रैल 1969 को त्रिशूर केरल में हुआ था। विजयन भारतीय फुटबॉल के सबसे अच्छे स्ट्राइकरों में से एक है, उनके जीवन की कहानी गरीब से अमीर बनने की कहानी जैसी है। वह त्रिशूर में सोडे की बोतलें बेचा करते थे। और एक दिन वे भारतीय फुटबॉल की एक महत्वपूर्ण पहचान बन गए। यह सब विजयन की कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा है कि वे इस स्थान पर पहुंच सके।
आई एम विजयन ने फुटबॉल खिलाड़ी बनकर प्रसिद्धि पाई है, और केरल पुलिस, मोहन बागान ए.सी, जे.सी.टी. मिल्स, एफ.सी.कोचीन तथा भारतीय टीमों के लिए फुटबॉल खेली है। वे स्ट्राइकर पोजीशन पर खेलते है।
आई एम विजयन का जीवन परिचय
विजयन ने 1987 में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार केरल पुलिस के लिए फुटबॉल में भाग लिया। यद्यपि विजयन की शारीरिक बनावट अजीब व रूखा सूखा व्यक्तित्व था, परंतु उन्होंने खेल में अपनी अलग छाप छोड़ी। पुलिस में चार साल तक कार्य करने के बाद विजयन ने केल पुलिस छोड़कर कलकत्ता क्लब फुटबॉल में शामिल होना बेहतर समझा, क्योंकि वहां उन्हें अपना भविष्य बेहतर नजर आया। तब उन्होंने मोहन बागान और ईस्ट बंगाल जैसे दिग्गजों के साथ खेलकर कुछ बेहतर फलदायक साल बिताएँ।
विजयन ने अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखते हुए 1989 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल की शुरुआत की। उन्होंने विभिन्न टूर्नामेंटों में भारतीय खिलाड़ियों की ओर से हमला भी जारी रखा। उन्होंने नेहरू कप, प्री ओलंपिक, प्री वर्ल्डकप, सैफ कप, खेलों में भाग लिया। उन्होंने भारत के अन्य बेहतरीन खिलाडी बाइचुंग भूटिया के साथ जोड़ी बनाते हुए भारत की फॉरवर्ड लाइन को मजबूत किया।
आई एम विजयन केरल के प्रथम फुटबॉल खिलाड़ी बने जिन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार 2002 में प्रदान किया गया था। इसके अतिरिक्त उन्हें 1993 में, 1997 में तथा 1999 में बेस्ट फुटबॉलर ऑफ द ईयर चुना गया। 1999 के सैफ खेलों में विजयन ने एक नई उपलब्धि हासिल की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे तेज गोल करने का रिकॉर्ड उनके नाम बन गया। उन्होंने नेट पर आने के 12 सेकंड के भीतर भूटान के विरुद्ध गोल लगा दिया।
आई एम विजयन
इसके बाद विजयन का खेलों से विदाई लेने का वक्त आया तो उन्होंने विदाई भी स्टाइल पूर्वक ली। 2003 में अफ्रो-एशियाई खेलों में खेल कर उन्होंने खेल से विदाई ली, लेकिन इन खेलों में वह चार गोल लगाकर सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत हुए। खेलों से रिटायरमेंट के बाद विजयन ने एक पुरस्कार विजेता फिल्म संयम में काम किया जिसे जयराज ने निर्देशित किया है। विजयन की पत्नी का राजी है इनके तीन बच्चे भी है।
2004 में, उन्होंने त्रिशूर में “बॉक्सर स्पोर्ट्स गुड्स कंपनी (BSGC)” नामक एक स्पोर्ट्स उपकरण कंपनी शुरू की। सक्रिय फुटबॉल से संन्यास लेने के बाद, विजयन ने अपना ध्यान अपने फुटबॉल स्कूल पर केंद्रित किया जो उन्होंने त्रिशूर में खोला था। वह अब नेशनल कांग्रेस के भी सदस्य थे। 2010 में विजयन ने औपचारिक रूप से कलकत्ता फुटबॉल लीग में प्रीमियर डिवीजन के साथ दक्षिणी समिति के साथ एक कोचिंग का काम संभाला। मार्च 2017 में, भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने विजयन को फुटबॉल के लिए राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया। अक्टूबर 2018 में, विजयन ने घोषणा की कि वह अपने दोस्तों के साथ संयुक्त रूप से ‘बिगडैडी एंटरटेनमेंट’ नामक एक फिल्म निर्माण कंपनी शुरू कर रहे हैं, जो मुख्य रूप से फुटबॉल के इर्द-गिर्द घूमेगी।
खेल जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
• आई एम विजयन भारतीय फुटबॉल टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे है।
• 12 सेकंड के भीतर सबसे तेज गोल दागने का रिकॉर्ड उनके नाम है।
• 2003 के अफ्रो- एशियाई खेलों मे विजयन ने चार गोल लगाएं।
• सन् 2002 में एम विजयन को अर्जुन पुरस्कार दिया गया।
• अर्जुन पुरस्कार पाने वाले विजयन केरल राज्य के प्रथम फुटबॉल खिलाड़ी हैं।
• विजयन ने देश के लिए 79 मुकाबलों में 40 इंटरनेशनल गोल किए।
• विजयन इकलौते एसे खिलाड़ी रहे जिन्हें एक से अधिक बार AIFF प्लेयर ऑफ द इयर का अवॉर्ड मिला वो 1993, 1997 और 1999 में इसे जीते।
• विजयन ने जयराज निर्देशित फिल्म संयम में अभिनय भी किया। यह फिल्म एक सम्मान प्राप्त फिल्म है।
• उन्होंने अंतिम मैच 2004 में घरेलू टीम केरल पुलिस के लिए खेला था।
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