प्रिय पाठको अपनी पिछली पोस्ट में हमने महाराष्ट्र के पर्यटन स्थलो की सैर की और उनके बारे में विस्तार से जाना। अब हम अपनी यात्रा का रूख भारत के प्रसिद्ध व विकासशील राज्य गुजरात की ओर करते है। अपनी गुजरात पर्यटन यात्रा के अंतर्गत सबसे पहले हम गुजरात के प्रमुख शहर और जिला अहमदाबाद दर्शनीय स्थल की सैर करेगें और अपनी इस अहमदाबाद की यात्रा के दौरान हम विस्तार से जानेगें कि…..
- अहमदाबाद का इतिहास क्या है?
- अहमदाबाद के दर्शनीय स्थल कौन कौन से है?
- अहमदाबाद के पर्यटन स्थल कौन कौन से है?
- अहमदाबाद का मौसम कैसा है?
- अहमदाबाद का खाना
- अहमदाबाद की संस्कृति
- अहमदाबाद के धार्मिक स्थल
- अहमदाबाद की भाषा
आदि के बारे में जानेगें तो सबसे पहले हम अपनी इस पोस्ट में अहमदाबाद के इतिहास के बारे में जानेगें। क्योकि दोस्तो मेरा मानना है कि किसी भी जगह की यात्रा पर जाने से पहले वहा का इतिहास जानना बहुत जरूरी होता है। इससे हमे वहा के ऐतिहासिक स्थलो को जानने और समझने में मदद मिलती है

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अहमदाबाद का इतिहास
सबसे पहले जानते है कि अहमदाबाद का नाम अहमदाबाद कैसे पडा और अहमदाबाद की स्थापना कब और किसने की? तो हम बता दे कि सुल्तान अहमद शाह ने इस शहर की स्थापना 1411 ई° में की थी और सुल्तान अहमद शाह के नाम पर ही इस शहर का नाम अहमदाबाद पडा। यह शहर भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान आन्दोलनकारियो का प्रमुख शिविर रहा है। इतना ही नही यह शहर स्वतंत्रता संघर्ष से जुडे अनेक आन्दोलनो की शुरूआत का भी गवाह रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की स्थापना अहमदाबाद में की। साबरमती नदी के किनारे बसा यह खुबसूरत शहर वर्तमान समय में व्यापार और वाणज्यिक केंद्र के रूप में बहुत अधिक विकसित हो रहा है। अपने ऐतिहासिक और औद्योगिक पहचान के रूप में दर्शनीय इस शहर को गुजरात का ह्रदय कहा जाता है। इंडोनेशियन स्थापत्य कला का प्रारंभ भारत के मानचेस्टर कहलाने वाले इसी शहर में हुआ था। पर्यटन की दृष्टि से अहमदाबाद दर्शनीय स्थल लो से भरपूर है। यहां देश विदेश के पर्यटको का तांता लगा रहता है। आइये आगे की पोस्ट में उन्ही कुछ प्रमुख अहमदाबाद दर्शनीय स्थल के बारे में जानते है।
अहमदाबाद यह गुजरात में साबरमती नदी के किनारे स्थित है। किसी समय इसका नाम कर्णवती भी होता था। अन्हिलवाड़ा के शासक अहमदशाह (1411-41) ने इसे 1411-12 में बसाकर अपनी नई राजधानी बनाया। वह एक पराक्रमी राजा और अच्छा प्रशासक था। अपने शासन काल में उसने कभी पराजय का मुंह नहीं देखा। उसके पौत्र महमूद बेगड़ा ने 1459 से 1511 तक यहां से शासन किया। महमूद बेगड़ा एक प्रतापी राजा था। उसने चंपानेर के किले, जूनागढ़, कच्छ, अहमदनगर के निजामशाही सुल्तान तथा अनेक नरेशों को हराया। उसने पुर्तगालियों के खिलाफ तुर्की की आटोमन सल्तनत से संधि करके 1507 में बंबई के दक्षिण में चोल के पास एक पुर्तगाली जहाज को डुबो दिया, परंतु बाद में दीव (जो उस समय गुजरात का एक भाग था) के पास हुए एक युद्ध में महमूद बेगड़ा का एक जहाजी बेड़ा नष्ट कर दिया गया। बहादुर शाह इस वंश का एक और प्रसिद्ध शासक था। उसने 1526 से 1537 तक राज्य किया। उसने 1531 में
मालवा को जीतकर गुजरात राज्य में मिला लिया और 1534 में चित्तौड़ पर आक्रमण किया। 1535 में उसे हुमायूं ने हरा दिया।
बहादुरशाह ने मालवा में शरण ली। हुमायूं ने चंपानेर के किले पर अधिकार कर लिया। परंतु शेरखाँ की गतिविधियों के कारण हुमायूं को गुजरात छोड़कर शीघ्र वापस जाना पड़ा और बहादुर शाह को गुजरात तथा चंपानेर का किला फिर मिल गया। 1537 ई० में उसे पुर्तगालियों से संधि करने के लिए उनके जहाज पर जाना पड़ा। ऐसा माना जाता है कि रास्ते में ही उसे मार दिया गया।
1572 ई० में मुजफ्फर शाह तृतीय ने अहमदाबाद अकबर को सौंप दिया था, जिसने गुजरात को अपने राज्य में मिला लिया। उन दिनों अहमदाबाद विश्व के सबसे अच्छे शहरों में से एक था। छह महीनों के बाद ही अहमदाबाद में पुनः विद्रोह हो गया। अकबर ने फतेहपुर से अहमदाबाद तक 600 मील की दूरी केवल 9 दिनों में तय करके वहां विद्रोह को दबा दिया। मिर्जा कोका को गुजरात का गवर्नर बनाकर वह अक्तूबर, 1573 में वापस लौट आया। शाहजहां ने अपने विवाह के पश्चात् कुछ वर्ष यहां बिताए थे। प्रथम असहयोग आंदोलन के दौरान दिसंबर, 1921 में अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में महात्मा गाँधी को आंदोलन चलाने और आवश्यकता होने पर अवज्ञा आंदोलन चलाने का अधिकार दिया गया। 1915 में महात्मा गाँधी ने यहां साबरमती आश्रम स्थापित किया। 12 मार्च, 1930 को उन्होंने यहीं से डांडी यात्रा आरंभ की। सी आर दास, विठ्ठल भाई पटेल और मोती लाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार को राजनैतिक रूप से निर्बल बनाने के लिए मार्च, 1923 में स्वराज पार्टी का गठन यहीं किया था। अक्तूबर, 1946 में यहां बड़े स्तर पर सांप्रदायिक दंगे हुए। अहमदाबाद वस्त्र-निर्माण और वाणिज्य का एक बड़ा केंद्र होने के कारण इसे भारत का मानचेस्टर भी कहा जाता है।
अहमदाबाद के पर्यटन स्थलों में यहां राजपुर बीबी और सीदी बशीर की मस्जिदों में बनी झूलती मीनारें मध्यकालीन स्थापत्य कला की अदभुत नमूना हैं। इनमें से यदि एक को हिलाएँ, तो दूसरी अपने आप हिलने लगती है। यहां सुल्तान कुतुबुद्दीन ने 1415 ई० में कंकरिया झील, सुल्तान अहमदशाह ने 1423 ई० में जुम्मा मस्जिद और शेरशाह शूरी ने जामा मस्जिद का निर्माण कराया। शेरशाह का मकबरा यहां माणक चौक पर देखा जा सकता है। यहीं पर जूनागढ़ के अंतिम राजा की समाधि है। उसे जबरदस्ती मुसलमान बनाए जाने के दुख में उसकी मृत्यु हो गई थी। राजा वीर सिंह की रानी रूपाबाई ने यहाँ से 19 किमी दूर अदलाज गाँव में 1499 में एक बड़े तथा कलात्मक क॒एं का निर्माण करवाया था। इस कुएं में पानी की सतह तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं तथा कई मंजिलें हैं। ऐसे ही कुएं आसवी दादाहरि और माता भवानी में हैं, जहाँ कुओं के साथ ही दादाहरि की मस्जिद है, जो अहमदाबाद की अच्छी इमारतों में से एक है। इसी प्रकार का कुआँ लखनऊ के बड़े इमामबाड़े में भी देखने को मिलता है। अहमदाबाद से 32 किमी दूर कुछ ही विकसित स्वामी नारायण संप्रदाय का अक्षर धाम मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से एक अजूबा है। यह एक विशाल, भव्य, सुंदर, कीमती, शिक्षाप्रद, मनोरंजक तथा आकर्षक मंदिर है, जो भारत में अपनी तरह का एक ही है। यदि अहमदाबाद जाकर इस मंदिर को न देखा, तो समझिए कि आपने अहमदाबाद में कुछ नहीं देखा। इस मंदिर के अलावा शहर में कुछ पुराने मंदिर भी हैं। इनमें सेठ हठी सिंह का शिव मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर तथा जैन मंदिर प्रसिद्ध हैं। अहमदाबाद में अहमदशाह और उसकी रानियों का सुंदर मकबरा, हैबत खाँ का मकबरा, अहमदशाह के दास सीदी सैयद का मकबरा और बेगड़ में सुल्तान महमूद बेगड़ा के आध्यात्मिक गुरु शाह आलम का मकबरा, रानी रूपमती की कब्र, साबरमती आश्रम, रानी क्षिप्री की मस्जिद तथा माता भवानी मंदिर भी देखने लायक हैं। सीदी सैयद की मस्जिद में पत्थर तराश कर भारत
में अपनी तरह की सबसे अलग और उत्तम जालियाँ हैं। ये जालियाँ आपस में गुँथी हुई पेड़ की शाखाओं के रूप में हैं और अपनी उत्कृष्टता का प्रभाव छोड़े बिना नहीं रहतीं। अहमदशाह ने यहां तीन दरवाजे भी बनवाए थे। यहां के भाद्र किले का नाम अन्हिलवाड़ा के हिंदू किले के नाम पर रखा गया है। अहमदाबाद में ली कार्बूजियर द्वारा डिजाइन किया गया संस्कार केंद्र, म्यूनिसिपल संग्रहालय, टेक्सटाइल संग्रहालय, साबरमती में गाँधी स्मारक संग्रहालय, श्रेयस लोक कला संग्रहालय, ट्राइबल म्यूजम तथा ऐल डी इंस्टीच्यूट ऑफ इंडोलोजी भी दर्शनीय हैं।
अहमदाबाद के आस-पास के दर्शनीय स्थानों में सतपुड़ा की पहाड़ियां और 52 किमी दूर महालबर्दी पाड़ा का वन्य जीव अभयारण्य तथा गिरा जलप्रपात प्रमुख हैं। यहां के लिए सरकारी तथा गैर-सरकारी बसें मिल जाती हैं। शहर से 87 किमी दूर सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल लोथल और 119 किमी दूर माढेड़ा का सूर्य मंदिर है। यह मंदिर वास्तुकला के सर्वोत्तम नमूनों में से एक है। अहमदाबाद में गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम (414-55) के सिक्के मिले हैं। व्यापार एवं वाणिज्य प्राचीन काल में अहमदाबाद सूती तथा रेशमी वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध था। इसकी पटोला रेशम हालैंड, जापान, फिलिपीन, बोर्निया, जावा, सुमात्रा आदि तक निर्यात की जाती थी। यहां सुनार और हस्तशिल्पी काफी संख्या में रहते थे। कारीगरों ने अपने व्यापार संघ बनाए हुए थे।
अहमदाबाद दर्शनीय स्थल – अहमदाबाद के पर्यटन स्थल
जामा मस्जिद अहमदाबाद
शहर के बीचो बीच स्थित इस खूबसूरत मस्जिद का निर्माण 1423 ई° में सुल्तान अहमद शाह ने करवाया था। जामा मस्जिद भारत की ही नही बल्कि विश्व की सबसे खूबसूरत एंव कलात्मक मस्जिदो में से एक है। 260 स्तंभ एंव 15 विविध कलात्मक गुम्बदो वाली इस मस्जिद को पिछले दिनो आए विनाशकारी भूकंप से काफी नुकसान पहुंचा है। इसके स्तंभो व जालियो में दरारे पड गई है।
रानी रूपमती की मस्जिद अहमदाबाद
15 वी सदी की कला का प्रतिनिधित्व करती इस मस्जिद का निर्माण सन् 1430 से 1440 के बीच हुआ था। 12 स्तंभो और 3 गुम्बदो वाली इस मस्जिद की विशेषता यह है कि बिना सीधे सूर्य प्रकाश के बावजूद भी इसके मध्य भाग में हमेशा रोशनी रहती है।
झूलती मीनारे
15 वी सदी में निर्मित झूलती मीनारो की खासियत यह है कि एक मीनार को हिलाने से दूसरी मीनार स्वत: हिलने लगती है। पहले इन मीनारो पर पर्यटको के जाने की छूट थी लेकिन अब इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
हठी सिंह जैन मंदिर अहमदाबाद
सन् 1850 में हठी सिंह के जैन मंदिर एक जैन व्यापारी हठी सिंह ने करवाया था। सफेद संगमरमर के पत्थरो से निर्मित यह मंदिर पर्यटको को खूब आकर्षित करते है। इन मंदिरो के सामने चित्तौडगढ़ शैली में बना कीर्ति स्तंभ विशेष रूप से दर्शनीय है।
शाही बाग पैलेस
इस खूबसूरत महल का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। जो अपने विवाह के पश्चात कुछ दिनो तक यहा अपनी बेगम के साथ रहा था। अहमदाबाद दर्शनीय स्थल व सैर पर आने वाले पर्यटक यहा जरूर आते है।
कांकरिया झील अहमदाबाद
यह एक सुंदर झील है। इस झील के मध्य में एक खूबसूरत बाग है। इस झील के पास ही एक प्राणी संग्रहालय है। इस झील का निर्माण सुल्तान कुतुबुद्दीन ने सन् 1451 में करवाया था।
भद्र का किला
सन् 1411 में अहमदशाह द्वारा निर्मित यह किला शहर के मध्य में स्थित है। वास्तुशिल्प की दृष्टि से दर्शनीय इस किले के एक भाग में भद्रकाली का मंदिर है।
सीदी सैय्यद की जाली
सुल्तान अहमद शाह के गुलाम सैय्यद द्वारा निर्मित यह मस्जिद स्थापत्य कला का बेजोड नमूना है।
साबरमती आश्रम
यह महात्मा गांधी द्वारा बनवाया गया वह आश्रम है। जहा उन्होने स्वतंत्रता संग्राम की बागडोर संभाली थी। यहा एक संग्रहालय भी है। जहां गांधी जी के जीवन से संबंधित अनेक वस्तुओ के दर्शन किए जा सकते है।
अहमदाबाद के निकटवर्ती दर्शनीय स्थल
लोथल
दूसरी सदी की हडप्पा संस्कृति के अवशेष आज से 20 साल पहले अहमदाबाद से 87 किलोमीटर दूर लोथल से प्राप्त हुए थे। प्राचीन स्थापत्य कला के शोध विद्यार्थियो और प्राचीन स्थापत्य में रूची रखने वालो के लिए यह एक उत्तम स्थल है।
अदलज की बाव
उत्तर अहमदाबाद से 17 किलोमीटर दूर अदलज नाम का एक गांव है। यहा एक कुआं देखने योग्य है। पूरे गुजरात प्रदेश में ऐसा कुआं कही नही है। इस कुएं का निर्माण 1499 ई° में राजा वीर सिंह की रानी रूपाबाई ने करवाया था। इस कुएं के प्रत्येक स्तंभ व दीवारो पर आकर्षक नक्काशी की गई है जिसे देखने के लिए अहमदाबाद दर्शनीय स्थल की सैर पर आने वाले यहा जरूर आते है।
मोढेरा का सूर्य मंदिर
मोढेरा का सूर्य मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। इसका निर्माण 1026 ई° में हुआ था। अहमदाबाद से 106 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर में अनेक राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव संपन्न होते है।
अहमदाबाद दर्शनीय स्थल के बारे में जानने के बाद आइए बस कुछ यहा की संस्कृति, मौसम और भोजन के बारे में भी जान लाया जाएं
अहमदाबाद की संस्कृति
गुजरात की लोक संस्कृति और लोक गीत हिन्दू धार्मिक साहित्य पुराण में वर्णित भगवान कृष्ण से जुडी किदवंतियो से प्रतिबिंबित होती है। यहा का लोक नृत्य गरबा तथा डांडिया विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहा का रहन सहन ओर पहनावा में राजस्थान की झलक देखी जा सकती है।
पतंग उत्सव
संक्रांति के पर्व पर मनाया जाने वाला पतंग उत्सव अपनी रंग बिरंगी छवी के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है। गुजरात राज्य पर्यटन विभाग की ओर से सन 1989 से प्रतिवर्ष अंतराष्ट्रीय पतंग उत्सव अहमदाबाद में आयोजित किया जाता है। जिसमे देशी और विदेशी मेहमान विभिन्न। प्रकार की रंगबिरंगी और विशाल आकार वाली पतंगे लेकर इस उत्सव में भाग लेते है। इस दौरान यहा का आसमान रंग बिरंगी पतंगो से सज जाता है।
अहमदाबाद का खाना
गुजरात के लोग अधिकतर शाकाहारी होते है। यहा के व्यंजनो का स्वाद भारत के अन्य इलाको से अलग ही होता है। यहा के व्यंजन हलके मिठेपन व नमकीन मिश्रण से बने होते है। यहा की गुजराती थाली बहुत प्रसिद्ध है। जिसमे फरसाण, मिठाईया, खट्टी मिठी चटनी, और अचार आदि के साथ गेहूं की रोटी व चावल परोसे जाते है। इसके अलावा यहा के मुख्य भोजन में फरसाण में पराठा, खमण, ढोकला, खाडवी, कठियावाडी ढेबरा आदि प्रमुख है।
अहमदाबाद का मौसम
गर्मियो में अहमदाबाद की जलवायु अधिकतर शुष्क रहती है। यहा गर्मियो में अधिकतम तापमान 41℃ तथा न्यूनतम 27℃ तक रहता है। सर्दियो में अहमदाबाद का तापमान अधिकतम 29℃ तथा न्यूनतम 14℃ तक रहता है। यहा जून से लेकर सितम्बर तक मानसूनी मौसम रहता है।
अहमदाबाद कैसे जाएं
अहमदाबाद दिल्ली मुंबई सहित देश के सभी प्रमुख हवाई अड्डो और रेलवे स्टेशनो तथा सडक मार्ग द्वारा भलिभांति जुडा हुआ है। जिससे आप यहा देश के किसी भी कोने से सुविधापूर्वक व आसानी से पहुंच सकते है।