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अगा खान पैलेस कल्याणी नगर

कल्याणी नगर का इतिहास और अगा खान पैलेस

कल्याणी नगर पूणे महाराष्ट्र में नर्मदा नदी के दक्षिण में है। यह नगर एक ऐतिहासिक नगर है। समुंद्री किनारे पर होने के कारण सातवाहनों के शासन के समय कल्याणी सबसे बड़ी निर्यात बंदरगाह थी। कन्हेरी और जुनार लेखों में इसका एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में उल्लेख है। कल्याणी नगर 19वीं सदी के आगा खान महल के लिए भी जाना जाता है। यह महल…

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उत्तराखंड हिल स्टेशन

उत्तराखंड हिल स्टेशन जिनके बारे में कम लोग जानते हैं

उत्तराखण्ड में कई सीक्रेट हिल स्टेशन हैं. पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां के ज्यादातर जगहों को हिल स्टेशन ही कहा जाता है. जब भी उत्तराखंड हिल स्टेशन की सैर की बात आती है, टूरिस्ट सिर्फ नैनीताल, मसूरी, औली और मुनस्यारी इत्यादी जगहों की सैर करते हैं, जबकि इसके अलावा भी उत्तराखण्ड में कई ऑफबीट हिल स्टेशन हैं, जिनकी खूबसूरती टूरिस्टों को मंत्रमुग्ध कर…

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कन्हेरी गुफाएं

कन्हेरी गुफाएं क्यों प्रसिद्ध है तथा कितनी है

कन्हेरी गुफाएं यह स्थान महाराष्ट्र राज्य में मुंबई के निकट बोरीवली से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कन्हेरी की गुफाएं लगभग 100 ईसा पूर्व से 50 ईसा पूर्व तक बनाई गई 109 गुफाएँ हैं, तथा इन प्राचीन गुफाओं में बौद्ध धर्म के लेख पाए गए हैं। ये प्राचीन कन्हेरी की गुफाएं प्रारंभिक बौद्ध काल की हैं। कन्हेरी गुफाएं क्यों प्रसिद्ध है तथा…

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एलिफेंटा की गुफाएं

एलिफेंटा की गुफाएं किसने बनवाई और कहां स्थित है

ऐलीफेंटा महाराष्ट्र राज्य की राजधानी मुंबई के निकट अरब सागर में एक छोटा सा टापू है। यह टापू यहां स्थित एलिफेंटा की गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। यद्यपि इस टापू पर अभी भी लोग ज्यादा संख्या में नहीं रहते और यह मुख्य रूप से पर्वतीय तथा निर्जन वन क्षेत्र ही है, फिर भी इस टापू पर मानव जाति के छठी शताब्दी ई० में ही पहुँच…

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सांची स्तूप

सांची स्तूप किसने बनवाया, इतिहास और महत्व

सांची विदिशा के सांस्कृतिक, कलात्मक व धार्मिक अस्तित्व का मेरूदण्ड है, जहां लगभग 1500 वर्षो तक बौद्ध धर्म की पताका फहराती रही। सांची स्तूप संसार के प्रसिद्ध स्तूपों में से एक है, भारतवर्ष के प्राचीनतम स्मारकों का अद्वितीय अक्षुण्य उदाहरण है। बौद्ध धर्म की जातक कथाओं के चित्रण के अतिरिक्त, समसामयिक जीवन की झांकी व राजनैतिक परिवर्तनों का प्रभाव जितना सुस्पष्ट यहां दर्शनीय है,…

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उदयेश्वर नीलकंठेश्वर मंदिर

उदयेश्वर नीलकंठेश्वर मंदिर विदिशा मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण स्थानों में उदयपुर (विदिशा) एक विशेष आकर्षण है, यह राजस्थान वाला उदयपुर नहीं है यह मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक नगर है। जहां देश- विदेश के पर्यटक व विद्वान बहुत बड़ी संख्या में प्रति वर्ष पहुँचते है । यह विदिशा नगर से 34 मील उत्तर में है तथा बरेठ रेलवे स्टेशन से 3 मील व…

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विदिशा के दर्शनीय स्थल

विदिशा के पर्यटन स्थल – विदिशा के दर्शनीय स्थल

विदिशा मध्य प्रदेश के सम्पन्न जिलों नें गिना जाता है । इसके उत्तर में गुना, पूर्व में सागर, दक्षिण में रायसेन तथा पश्चिम में राजगढ़ जिले हैं। यह दिल्ली-बम्बई लाईन पर सेन्ट्रल रेलवे का एक स्टेशन हैं, जहां पर सभी गाड़ियां रुकती हैं। यहां से भोपाल, इन्दौर, अशोक नगर, गुना, सागर, खजुराहो आदि शहरों को वें जाती हैं। जिले का हेडक्वार्टर होने के कारण यहां…

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गडरमल मंदिर विदिशा

गडरमल मंदिर विदिशा – गड़रिया का बनाया हुआ मंदिर

मध्य प्रदेश के विदिशा के बडोह गांव में नवी शताब्दी का गडरमल मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर को एक गडरिये ने बनवाया था, इसी वजह से इस मंदिर को गडरमल मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर की छत के दोनों तरफ नौ देवियां बनी हुई हैं, यह उसी तरह है जैसे कि पंचकूला के देवी मंदिर में हैं या फिर ग्वालियर किले…

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लोहांगी पहाड़ी विदिशा

लोहांगी पहाड़ी विदिशा – लोहांगी पीर विदिशा

मध्य प्रदेश के विदिशा में रेलवे स्टेशन के निकट 200 फीट ऊँची एक छोटी सी पहाड़ी है, जिसे लोहांगी पहाड़ी या लोहांगी पीर कहते है, इस पहाड़ी जिसका ऊपरी आधा भाग सीधी कतार है किन्तु उसके ऊपर समतल है। यही कारण है कि यहां लगभग 100 मीटर के व्यास के भीतर मंदिर, मस्जिद आदि स्मारक है। इनके अतिरिक्त शुगकालीन स्तम्भ शीर्ष भी किसी अन्य…

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हेलियोडोरस स्तंभ बेसनगर

हेलियोडोरस स्तंभ – हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख

हेलियोडोरस स्तंभ भारत के मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में आधुनिक बेसनगर के पास स्थित पत्थर से निर्मित प्राचीन स्तम्भ है। इसका निर्माण ११० ईसा पूर्व हेलिओडोरस ने कराया था।हेलियोडोरस प्राचीन भारत का यूनानी राजनयिक था। वह पांचवें शुंग राजा काशीपुत भागभद्र के राज्य काल के चौदहवें वर्ष में तक्षशिला के यवन राजा एण्टिआल्कीडस (140-130 ई.पू.) का दूत बनकर विदिशा आया था। हेलियोडोरस यवन होते…

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